सोल। परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में एंट्री मिलने की उम्मीदों पर पानी फिरने के बाद भारत ने इशारों-इशारों में चीन को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने शुक्रवार को कहा कि ‘एक देश के अड़ियल रवैये’ की वजह से भारत की कोशिश नाकाम हो गई।
बता दें कि शुक्रवार को 48 देशों वाले इस समूह की अहम बैठक में सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी पर कोई फैसला नहीं हो पाया। ज्यादातर सदस्य देशों ने भारत की एंट्री का यह कहते हुए विरोध किया था कि उसने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं किया है। इसके बाद विकास स्वरूप ने चीन का नाम लिए बिना कहा कि ‘एक देश के अड़ियल रवैये’ ने भारत की कोशिशों को विफल कर दिया। हालांकि एनएसजी समूह के अधिकांश देश भारत के समर्थन में थे।
स्वरूप ने आगे कहा, ‘एनएसजी की बैठक में भारत को एंट्री नहीं देने का फैसला किया गया, लेकिन इस बात पर सहमति बनी है कि एनपीटी पर साइन नहीं करने वाले देशों को इस ग्रुप में शामिल करने के मुद्दे पर बातचीत जारी रहेगी। ज्यादातर देशों ने भारत की एंट्री का समर्थन किया और भारत के आवेदन की सराहना की। हमने उन सभी देशों का शुक्रिया अदा किया।’
बता दें कि इससे पहले अपनी दो दिवसीय बैठक की समाप्ति पर NSG ने परमाणु अप्रसार संधि (NPT) को अंतरराष्ट्रीय अप्रसार व्यवस्था की धुरी बताते हुए इसे ‘पूरी और असरदार’ तरीके से लागू करने के प्रति अपना ‘पूर्ण समर्थन’ घोषित किया। NSG का बयान इस बात का स्पष्ट संकेत है कि भारत के मामले में कोई रियायत नहीं बरती जाएगी। समूह द्वारा जारी एक बयान में हालांकि कहा गया कि वह उन देशों की भागीदारी पर विचार करना जारी रखेगा जिन्होंने NPT पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।