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मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला चीन के तनाव के बीच 45 हजार करोड़ रुपए के सैन्य साजोसामान की खरीद को मंजूरी प्रदान की

पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ चल रहे सीमा गतिरोध के बीच भारत सरकार देश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने पर खूब जोर दे रही है। हाल ही में जम्मू-कश्मीर में रक्षा प्रदर्शनी का आयोजन किया गया जिसमें घरेलू रक्षा उत्पादन कंपनियों ने अपने उत्पादों को प्रदर्शित किया। इस बीच मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला करते हुए 45 हजार करोड़ रुपए के सैन्य साजोसामान की खरीद को मंजूरी प्रदान कर दी है। खास बात यह है कि पूरे 45 हजार करोड़ रुपए के रक्षा उत्पाद किसी विदेशी कंपनी से नहीं बल्कि भारतीय कंपनियों से खरीदे जाएंगे। यानि एक तरफ सरकार रक्षा के क्षेत्र में पूर्ण आत्मनिर्भरता हासिल करने की ओर कदम तो बढ़ा ही रही है साथ ही स्वदेशी रक्षा कंपनियों को इस प्रोत्साहन की बदौलत देश में रोजगार के भी अवसर बढ़ा रही है। यही नहीं, जब भारतीय सेनाएं देश में ही बने रक्षा उत्पादों का उपयोग करेंगी तो विदेशी रक्षा बाजार में एक बड़ा संदेश जायेगा जिससे कई देश हमारे यहां बने रक्षा उत्पादों को खरीदेंगे। इससे आने वाले वर्षों में भारत दुनिया में सबसे बड़ा रक्षा आयातक की बजाय सबसे बड़े रक्षा निर्यातक के रूप में सामने आ सकता है।

जहां तक रक्षा उत्पादों की खरीद की बात है तो आपको बता दें कि रक्षा मंत्रालय ने लगभग 45,000 करोड़ रुपये की लागत से विभिन्न हथियार प्रणालियों और अन्य उपकरणों की खरीद के नौ प्रस्तावों को मंजूरी दी, जिनमें हवा से सतह पर मार करने वाले कम दूरी के प्रक्षेपास्त्र ध्रुवास्त्र एवं 12 एसयू-30 एमकेआई लड़ाकू विमान और डोर्नियर विमानों को अपडेट करना शामिल हैं। हम आपको बता दें कि डोर्नियर विमानों की सटीकता और विश्वसनीयता में सुधार के लिए वैमानिकी उन्नयन के भारतीय वायु सेना के प्रस्ताव को आगे बढ़ाना महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस साल की शुरुआत में कई मौकों पर विमान में तकनीकी खराबी की सूचना मिली थी। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने लगभग 45,000 करोड़ रुपये के नौ पूंजी अधिग्रहण प्रस्तावों के लिए आवश्यकतानुसार स्वीकृति (एओएन) प्रदान कर दी है।” हम आपको बता दें कि एओएन किसी भी रक्षा अधिग्रहण परियोजना की प्रारंभिक मंजूरी को संदर्भित करता है। रक्षा अधिकारियों ने बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने कुल नौ खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दी। रक्षा मंत्रालय ने कहा, “ये सभी खरीद भारतीय विक्रेताओं से की जाएगी, जिनसे ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में भारतीय रक्षा उद्योग को पर्याप्त बढ़ावा मिलेगा।’’ डीएसी की बैठक में राजनाथ सिंह ने कहा कि अब स्वदेशीकरण की दिशा में महत्वाकांक्षाओं के उन्नयन का समय आ गया है। उन्होंने कहा, “भारतीय-स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित (आईडीडीएम) परियोजनाओं के लिए 50 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री की सीमा के बजाय, हमें न्यूनतम 60-65 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री का लक्ष्य रखना चाहिए।”

रक्षा मंत्रालय ने बयान में कहा है कि सुरक्षा, गतिशीलता, हमले की क्षमता और मशीनीकृत बलों की उत्तरजीविता बढ़ाने के लिए, डीएसी ने हल्के बख्तरबंद बहुउद्देशीय वाहन (एलएएमवी) और एकीकृत निगरानी और लक्ष्यीकरण प्रणाली (आईएसएटी-एस) की खरीद को मंजूरी दे दी है। डीएसी ने तोपों और राडार को तेजी से एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने और उनकी तैनाती के लिए हाई मोबिलिटी व्हीकल (एचएमवी) की खरीद को भी मंजूरी दे दी है। मंत्रालय ने कहा कि डीएसी ने भारतीय नौसेना के लिए अगली पीढ़ी के सर्वेक्षण पोत की खरीद को भी मंजूरी दे दी। रक्षा मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि डोर्नियर विमान के वैमानिकी उन्नयन को सुनिश्चित करने के लिए भारतीय वायु सेना के एक प्रस्ताव को भी आवश्यकतानुसार स्वीकृति (एओएन) दी गई थी। मंत्रालय ने कहा कि स्वदेश में निर्मित एएलएच एमके-4 हेलीकॉप्टरों के लिए शक्तिशाली स्वदेशी सटीक निर्देशित हथियार के रूप में ध्रुवास्त्र की खरीद को भी डीएसी ने मंजूरी दी है। ध्रुवास्त्र कम दूरी तक हवा से सतह तक मार करने वाली मिसाइल है।

 

हम आपको यह भी बता दें कि इसी सप्ताह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को घरेलू रक्षा कंपनियों से उभरती दुनिया के साथ भारत के तालमेल के लिए अनुसंधान और विकास में अधिक निवेश करने का आह्वान किया था। सेना की उत्तरी कमान, सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स (एसआईडीएम) और आईआईटी-जम्मू द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित ‘नॉर्थ-टेक संगोष्ठी’ को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने देश के रक्षा विनिर्माण क्षेत्र को “कल्पनाशील, नवोन्वेषी, गतिशील और प्रगतिशील” बताया था। हम आपको यह भी बता दें कि इसी प्रदर्शनी को देखने आये प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने इस बात पर जोर दिया कि देश के पास ऐसी प्रणालियां मौजूद हैं जो सौ किलोमीटर के दायरे तक मौजूद हथियारों को निशाना बना सकती हैं। अनिल चौहान ने साथ ही कहा था इन्हें लक्ष्य अभ्यास के लिए नहीं खरीदा गया है बल्कि इन्हें ‘‘अभियान के दौरान” इस्तेमाल किया जाएगा। सीडीएस ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं चाहता हूं कि आप इस प्रदर्शनी को और करीब से देखें। आपको यहां ऐसी प्रणालियां मिलेंगी जो सौ किलोमीटर के दायरे में मौजूद गोला-बारूद को निशाना बना सकती हैं। अगर आप उनसे पूछें, तो लोगों ने इसे खरीदा है। लोगों ने इसे लक्ष्य अभ्यास के लिए नहीं खरीदा है बल्कि उन्हें अभियान के दौरान उपयोग किया जाना है। इसमें से कुछ एक विशेष समय पर हमारे भंडार का हिस्सा होंगी।’’