नयी दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने 2018 में एक मनोरोगी लड़की से बलात्कार करने, घटना को रिकॉर्ड करने और अन्य लोगों के साथ वीडियो क्लिप साझा करने के दोषी व्यक्ति को 15 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने बलात्कार पीड़िता को 10.5 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश देते हुए कहा कि अपराध पूर्वनियोजित था और इसके पीछे सिर्फ वासना मंशा थी। अनिल कुमार (35) को यौन अपराध से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम की धारा छह और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम की धारा 67 बी के अलावा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की संबंधित धारा के तहत बलात्कार और आपराधिक धमकी के जुर्म में दोषी ठहराया गया।
अदालत ने कहा, ‘‘बलात्कार के आरोप में एक अभियुक्त की सुनवाई करते समय अदालतों पर एक बड़ी जिम्मेदारी होती है। उन्हें ऐसे मामलों से अत्यंत संवेदनशीलता के साथ निपटना होता है।’’ बचाव पक्ष के वकील की इस दलील को खारिज करते हुए कि दोषी कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि से था और उसे कम सजा दी जानी चाहिए, अदालत ने कहा, ‘‘किसी व्यक्ति की गरीबी अपने आप में सजा कम करने का आधार नहीं बन सकती है, जब तक कि व्यक्ति की गरीबी उसे अपराध को करने के लिए प्रेरित नहीं करती।’’ अदालत ने कहा कि वर्तमान मामले में यह दोषी की ‘‘विकृत मानसिक स्थिति’’ थी, न कि आर्थिक सीमाएं, जिसकी वजह से उसने इस अपराध को अंजाम दिया।