केंद्र सरकार ने फर्जी खबरों से निपटने के लिए एक नियामक व्यवस्था बनाने का फैसला किया है। हालांकि सरकार के इस कदम की आलोचना भी शुरू हो गई है। अक्सर केंद्र सरकार को निशाने पर लेने वाले राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने एक बार फिर इस मुद्दे पर सरकार को घेर लिया है। कपिल सिब्बल ने कहा कि अब सरकार तय करेगी कि क्या फर्जी है और क्या नहीं? और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कहते हैं कि लोकतंत्र खतरे में नहीं है!
क्या बोले कपिल सिब्बल
कपिल सिब्बल ने कहा कि ‘अब पीआईबी फैसला करेगा कि क्या फर्जी है और क्या नहीं और वह इसे नोटिफाई भी करेगा। अगर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म इसे नजरअंदाज करते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अब ये सरकार तय करेगी!…और अमित शाह कहते हैं कि लोकतंत्र खतरे में नहीं है।’ बीते दिनों राहुल गांधी के लंदन में दिए बयान में कहा था कि भारत में लोकतंत्र खतरे में है। इस पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक जनसभा के दौरान राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए कहा था कि ‘लोकतंत्र खतरे में नहीं है बल्कि यह आपका (राहुल गांधी) परिवार और खानदानी राजनीति खतरे में है।’ माना जा रहा है कि कपिल सिब्बल ने अपने ताजा बयान में अमित शाह के उसी बयान को लेकर तंज कसा है।
विपक्षी पार्टियों ने भी सरकार को घेरा
फैक्ट चेक निकाय बनाने के सरकार के फैसले की विपक्ष ने आलोचना शुरू कर दी है। कांग्रेस के साथ ही टीएमसी, राजद और सीपीआई (एम) आदि पार्टियां सरकार के इस कदम की तीखी आलोचना कर रही हैं। विपक्षी पार्टियां सरकार के कदम को सेंसरशिप लगाने के बराबर बता रही हैं। हालांकि सरकार ने विपक्ष के आरोपों को नकार दिया है। शिवसेना (उद्धव बाल ठाकरे) नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने आरोप लगाया है कि अपने खिलाफ खबरों को नियंत्रित करने के लिए सरकार यह कोशिश कर रही है।
एडिटर्स गिल्ड ने भी की आलोचना
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी सरकार द्वारा फैक्ट चेक निकाय के गठन की आलोचना की और केंद्र सरकार के इस कदम को कठोर और परेशान करने वाला बताया है। एडिटर्स गिल्ड ने आईटी मंत्रालय से फैक्ट चेक निकाय के गठन के लिए जारी नोटिफिकेशन को वापस लेने की मांग की।