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1970-71 के बाद पहला मौका होगा जो कांग्रेस का अध्यक्ष होगा दलित परिवार से

कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए 2 उम्मीदवार मैदान में हैं। एक ओर शशि थरूर हैं तो वहीं दूसरी ओर मल्लिकार्जुन खड़गे हैं। इस रेस में मल्लिकार्जुन खड़गे की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है। नामांकन के दौरान भी उनकी मजबूती देखने को मिली, जब पार्टी के कई वरिष्ठ नेता वहां मौजूद रहे। अगर दोनों की ओर से नामांकन वापस नहीं लिया जाता है तो 17 को इसके लिए मतदान होंगे और 19 को नतीजे भी आ जाएंगे। अगर मल्लिकार्जुन खड़गे जैसा कि इस रेस में आगे दिखाई दे रहे हैं, कांग्रेस के अध्यक्ष चुने जाते हैं तो 50 सालों के बाद यह ऐसा पहला मौका आएगा जब कांग्रेस का अध्यक्ष दलित परिवार से आता हो। 1970-71 के दौरान जगजीवन राम कांग्रेस के अध्यक्ष थे। इसके बाद कांग्रेस में कोई भी दलित नेता अध्यक्ष नहीं बना था।

80 वर्षीय मल्लिकार्जुन खड़गे गांधी परिवार के बेहद ही भरोसेमंद माने जाते हैं। वह जमीन से जुड़े राजनेता रहे हैं। 9 बार के विधायक और दो बार के लोकसभा सांसद रहे मल्लिकार्जुन खड़गे अब तक राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष थे। दलित परिवार में जन्मे हट गए 1972 में पहली बार विधायक चुने गए थे। तब से लगातार 2009 तक वह विधायक रहे। दो बार ऐसे मौके आए जब मल्लिकार्जुन खड़गे कर्नाटक में मुख्यमंत्री बन सकते थे। लेकिन उन्होंने आलाकमान के फैसले का समर्थन किया और किसी और के मुख्यमंत्री बनने पर ऐतराज भी नहीं जताया। अपने गृह राज्य कर्नाटक में मल्लिकार्जुन खड़गे‘सोलिल्लादा सरदारा’ (कभी नहीं हारने वाला नेता) के रूप में मशहूर हैं। खड़गे 50 साल से अधिक समय से राजनीति में सक्रिय हैं।

सियासी सफर की शुरुआत खड़गे ने अपने गृह जिले गुलबर्ग (कलबुर्गी) में एक यूनियन नेता के रूप में किया था। गांधी-नेहरू के विचारों से प्रभावित होकर वह वर्ष 1969 में कांग्रेस में शामिल हुए और गुलबर्ग शहरी कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने। चुनावी मैदान में खड़गे अजेय रहे और वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने कर्नाटक (खासकर हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र) को अपने चपेट में लेने वाली नरेंद्र मोदी लहर के बावजूद गुलबर्ग से 74 हजार मतों के अंतर से जीत हासिल की। उन्होंने वर्ष 2009 में लोकसभा चुनाव के मैदान में कूदने से पहले गुरुमितकल विधानसभा चुनाव से नौ बार जीत दर्ज की। वह गलुबर्ग से दो बार लोकसभा सदस्य रहे। हालांकि, वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में खड़गे को भाजपा नेता उमेश जाधव के हाथों गुलबर्ग में 95,452 मतों से हार का सामना करना पड़ा।