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यह भवन और उसमें भी यह सेंट्रल हॉल, एक प्रकार से हमारी भवानाओं से भरा हुआ है: पीएम मोदी

संसद के पांच दिवसीय विशेष सत्र के दूसरे दिन आज भारत का नया संसद भवन आधिकारिक तौर पर सांसदों के लिए अपने दरवाजे खोलेगा। संसदीय कार्यवाही पुराने भवन से अत्याधुनिक नए भवन में स्थानांतरित हो जाएगी। यह ऐतिहासिक बदलाव गणेश चतुर्थी के साथ मेल खाता है, जो नई शुरुआत के लिए पारंपरिक रूप से शुभ अवसर है। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेंट्रल हॉल में कहा कि आज नए संसद भवन में हम सब मिलकर नए भविष्य का श्री गणेश करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज हम यहां विकसित भारत का संकल्प दोहराना, फिर एक बार संकल्प बद्ध होना और उसका परिपूर्ण करने के लिए जी जान से जुटने के इरादे से नए भवन की तरफ प्रस्थान कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह भवन और उसमें भी यह सेंट्रल हॉल, एक प्रकार से हमारी भवानाओं से भरा हुआ है। हमें भावुक भी करता है और हमें कर्तव्य के लिए प्रेरित भी करता है। आजादी के पूर्व यह खंड एक तरह से लाइब्रेरी के रूप में इस्तेमाल होता था। आजादी के बाद में संविधान सभा की बैठकें यहां हुईं और संविधान सभा की बैठकों के द्वारा गहन चर्चा के बाद हमारे संविधान ने यहां आकार लिया। उन्होंने कहा कि यहीं पर 1947 में अंग्रेजी हुकूमत ने सत्ता हस्तांतर किया। उस प्रक्रिया का साक्षी यह सेंट्रल हॉल है। इसी सेंट्रल हॉल में हमारे तिरंगे, राष्ट्रगान को अपनाया गया। मोदी ने कहा कि इस एतिहासिक अवसरों पर आजादी के बाद अनेक अवसर आए जब दोनों सदनों के मिलकर भारत के भाग्य को गणने के लिए सहमती बनाई। 1952 में करीब 42 राष्ट्राध्यक्षों ने इस सेंट्रल हॉल में संबोधित किया है। हमारे राष्ट्रपति महोदयों द्वारा 86 बार संबोधित किया गया… दोनों सदनों ने मिलकर करीब 4000 क़ानून पास किए हैं।

 

मोदी ने कहा कि संसद ने बीते वर्षों में ट्रांसजेंडर को न्याय देने वाले कानूनों का भी निर्माण किया। इसके माध्यम से हमने ट्रांसजेंडर को भी सद्भाव और सम्मान के साथ नौकरी, शिक्षा, स्वास्थ्य और बाकी सुविधाएं देने की दिशा में कदम बढ़ाया है। मोदी ने कहा कि हमने इस सदन में अनुच्छेद-370 से मुक्ति पाने, अलगाववाद एवं आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने का महत्वपूर्ण कदम उठाया। इस काम में माननीय सांसदों और संसद की बहुत बड़ी भूमिका है। जम्मू कश्मीर में इसी सदन में निर्मित संविधान लागू किया गया। आज जम्मू कश्मीर शांति और विकास के रास्ते पर चल पड़ा है और नई उमंग, नए उत्साह, नए संकल्प के साथ वहां के लोग आगे बढ़ने का कोई मौका अब छोड़ना नहीं चाहते। उन्होंने कहा कि संसद में बने कानून, संसद में होने वाली हर चर्चा, संसद द्वारा दिया गया हर संकेत भारतीय आकांक्षा को प्रोत्साहित करने वाला होना चाहिए। ये हमारी जिम्मेदारी है, हर भारतीय की अपेक्षा है। यहां जो भी सुधार हों, भारतीय आकांक्षा हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। क्या कभी कोई छोटे कैनवास पर बड़ी तस्वीर बना सकता है? जिस प्रकार हम छोटे कैनवास पर बड़ी तस्वीर नहीं बना सकते, उसी प्रकार यदि हम अपनी सोच के कैनवास को बड़ा नहीं कर सकते, तो हम भव्य भारत की तस्वीर भी नहीं बना पाएंगे।

मोदी ने कहा कि मैंने लाल किले से कहा था- यही समय है, सही समय है। एक के बाद एक घटनाओं पर नजर डालें तो हर एक घटना इस बात की गवाह है कि आज भारत एक नई चेतना के साथ जाग उठा है। भारत एक नई ऊर्जा से भर गया है। यही चेतना और ऊर्जा करोड़ों लोगों के सपनों को संकल्प में बदल सकती है, उन संकल्पों को हकीकत में बदल सकती है। उन्होंने कहा कि हमें ये सुनिश्चित करना है कि संसद का हर कानून, संसद की हर चर्चा, संसद का हर संदेश भारत की आकांक्षाओं को पूरा करने वाला हो! ऐसा करना हमारा कर्तव्य है, हमारी जिम्मेदारी है! हमारा देश हमसे यही अपेक्षा करता है और हमें इसे पूरा करना सुनिश्चित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि तकनीक की दुनिया में भारत का नौजवान जिस प्रकार आगे बढ़ रहा है, वो पूरे विश्व के लिए आकर्षण और स्वीकृति का केंद्र बन रहा है।

नरेंद्र मोदी ने कहा, “आज भारत पांचवी अर्थव्यवस्था पर पहुंचा है लेकिन पहले 3 के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है। मैं जिस स्थान पर हूं उस जानकारी के आधार और विश्व के गणमान्य लोगों से बातचीत करता हूं उस आधार पर कह रहा हूं कि दुनिया आश्वस्त है कि भारत टॉप 3 में पहुंचकर रहेगा…।” उन्होंने कहा कि हमें अब मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में दुनिया में सर्वश्रेष्ठ बनने की दिशा में काम करना होगा। उन्होंने कहा कि अब छोटी-छोटी बातों में उलझने का वक्त नहीं हैं। हम देश के लिए जो भी सुधार सुनिश्चित करें, उसका मूल आधार ‘भारतीय आकांक्षा’ होनी चाहिए! हमारे प्रत्येक कार्य में ‘भारतीय आकांक्षा’ को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए।