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अमृतपाल को 18 मार्च को गिरफ्तार किया होता तो गोलियां चल जातीं: भगवंत मान

अमृतपाल सिंह को पकड़ने में देरी के लिए विपक्ष की आलोचना के बीच, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने रविवार को कहा कि वह ऑपरेशन के दौरान कोई खून खराबा नहीं चाहते थे और उस दिन कट्टरपंथी उपदेशक को गिरफ्तार करने के प्रयास में, “शायद गोलियां चल सकती थीं।” भगवंत मान 18 मार्च की बात कर रहे थे जब अमृतपाल गिरफ्त में आया था। उन्होंने अपने बयान में कहा कि गृह मंत्री और मुख्यमंत्री के तौर पर मैं आपसे साझा कर रहा हूं कि अगर हमने उन्हें 18 मार्च को गिरफ्तार किया होता तो गोलियां चल जातीं। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि हम ऐसा नहीं करना चाहते थे। मान ने कहा कि मैं चाहता था कि सबकुछ (अमृतपाल को गिरफ्तार करने का अभियान) शांतिपूर्ण हो जाए। मैं इस तरह के संयम बरतने के लिए पुलिस की सराहना करता हूं।

अमृतपाल सिंह को पंजाब के मोगा जिले से रविवार सुबह गिरफ्तार कर लिया गया। उसके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई की गई है और उसे असम की डिब्रूगढ़ जेल भेज दिया गया है। इसको लेकर भगवंत मान ने कहा कि वह शनिवार को पूरी रात अमृतपाल को पकड़ने के अभियान में शामिल वरिष्ठ अधिकारियों के संपर्क में रहे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि शांति एवं सौहार्द भंग करने की कोशिश करने वाले लोगों को कानून के अनुसार कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। मान ने 23 फरवरी को अजनाला में हुई घटना को याद करते हुए कहा कि उन्होंने पुलिस महानिदेशक को गुरुग्रंथ साहिब की ‘मर्यादा’ को कायम रखने के लिए सख्त कार्रवाई का निर्देश दिया।

 

हालाँकि, विपक्ष ने ऑपरेशन को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधा। पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता चरणजीत सिंह चन्नी ने इसे “नाटक” कहा। शिरोमणि अकाली दल (SAD) के प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि आप सरकार ने स्थिति से निपटने के लिए “सिख समुदाय को बदनाम किया”। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने राज्य और केंद्र सरकार दोनों को निशाने पर लेते हुए कहा कि कई सवाल अभी भी अनुत्तरित हैं। वहीं, मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि पंजाब की जमीन ऊपजाऊ है और कुछ भी पैदा हो सकता है लेकिन नफरत का बीज कभी नहीं फलेगा, न ही इसके फलने-फूलने की अनुमति दी जाएगी।