मुंबई। CMO अर्थात मुख्यमंत्री कार्यालय में बाहरी कर्मचारियों को ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (OSD) के पद पर नियुक्त करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इस मामले में विवाद की अगली कड़ी CMO में तैनात आठ OSD के वेतन को लेकर है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री ने जिन आठ बाहरी लोगों को अपना OSD बनाया है उन्हें राज्यपाल और मुख्यमंत्री से ज्यादा वेतन दिया जा रहा है।
इतना ही नहीं राज्य के मुख्यसचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव और विभिन्न विभागों के प्रधान सचिवों का वेतन भी CMO के इन खास अफसरों से कम है। प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात बाहरी कर्मचारी, सरकारी कर्मचारियों के लिए परेशानी का सबब बन गए हैं। वे हर विभाग के काम में हस्तक्षेप कर नीतियों में मनचाहे बदलाव करा रहे हैं, जबकि उनकी जवाबदेही कुछ नहीं है। कल को अगर कुछ गलत हो गया तो सारी जिम्मेदारी सरकारी कर्मचारियों के मत्थे मढ़ दी जाएगी।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि अगर मंत्रियों को अपने विशेष लोगों के साथ ही कम करना है तो सरकारी प्रशासनिक अधिकारियों का चयन करने संस्था महाराष्ट्र पब्लिक सर्विस कमिशन को बंद कर देना चाहिए।
किसको कितना वेतन
कौस्तुभ धवसे ओएसडी इन्फ्रा ₹1,30,401
केतन पाठक ओएसडी सोशल मीडिया ₹1,16,154
रविकिरण देशमुख ओएसडी मीडिया सलाहकार ₹1,16,154
सुमित वानखेडे ओएसडी पीए ₹88,848
प्रिया खान ओएसडी जलयुक्त शिवार ₹88,848
निधी कामदार ओएसडी सोशल मीडिया ₹79,731
अभिमन्यु पवार ओेसडी पीए ₹61,072
श्रीकांत भारतीय ओएसडी सरकार और संगठन के समन्वयक ₹87,900
(इसके अलावा हर ओएसडी को सरकारी कार और दक्षिण मुंबई में रहने को फ्लैट दिया गया है।)
राज्यपाल का मानधन ₹1,10000
मुख्यमंत्री ₹57000
कैबिनेट मंत्री ₹57000
राज्यमंत्री ₹56200
विधायक ₹70000
मुख्य सचिव ₹1,30000
वीएमसी कमिश्नर ₹1,28000
(मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री और राज्यमंत्री और मुख्य सचिव का वेतन बिना HRA के)
RTI ऐक्टिविस्ट अनिल गलगली की सूचना याचिका से मंगलवार को इस बात का खुलासा हुआ था। इसके बाद CMO ने सफाई दी कि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है और कांग्रेस NCP के राज में भी 19 बाहरी कर्मचारियों को नियुक्त किया गया था। CMO के इस दावे की पोल खोलते हुए सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि कांग्रेस-NCP राज में जो बाहरी कर्मचारी नियुक्त किए गए थे उन्हें 30 से 35 हजार रुपये वेतन दिया जा रहा था न कि लाखों रुपये वेतन।