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जाति प्रथा एक ‘बीमारी’ इसे पूरी तरह से खत्म करने की जरूरत: मीरा कुमार

नयी दिल्ली। राजस्थान में कथित तौर पर पानी का मटका छूने को लेकर एक शिक्षक की पिटाई के बाद एक दलित छात्र की मौत को लेकर जारी आक्रोश के बीच कांग्रेस की वरिष्ठ नेता मीरा कुमार ने रविवार को जाति प्रथा को एक ‘बीमारी’ करार दिया। उन्होंने जाति प्रथा को पूरी तरह से खत्म करने और पूर्वाग्रह के खिलाफ ‘कतई बर्दाश्त नहीं करने’ की नीति अपनाने पर जोर दिया। साक्षात्कार में पूर्व केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि जाति आधारित अत्याचार की घटनाओं को लेकर इस बात में नहीं उलझना चाहिए कि यह किसके शासन में हुई या कौन-सा राजनीतिक दल इसके लिए जिम्मेदार है, क्योंकि इससे मुख्य मुद्दे से ध्यान भटकता है कि जाति व्यवस्था समाप्त की जानी चाहिए।

पूर्व लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में जाति प्रथा न तो कमजोर हुई है और न ही समाप्त हुई है। मीरा कुमार की यह टिप्पणी 20 जुलाई को राजस्थान के जालौर जिले के एक स्कूल में कथित रूप से पानी का मटके छूने को लेकर एक शिक्षक द्वारा दलित छात्र इंद्र कुमार (9) की पिटाई किए जाने के कुछ दिनों बाद आई है। अगस्त की शुरुआत में अहमदाबाद के एक अस्पताल में इलाज के दौरान छात्र की मौत हो गई थी। आरोपी शिक्षक छैल सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है। राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस दलित छात्र की मौत को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रही है। यह पूछे जाने पर कि क्या दलितों पर अत्याचार रोकने के मामले में कांग्रेस सरकार की तरफ से कोई कमी है, मीरा कुमार ने कहा, “मुझसे हर कोई इस बारे में पूछता है। ऐसा नहीं है कि मैं किसी का बचाव कर रही हूं या किसी पर आरोप लगा रही हूं। मैं सिर्फ इतना कहना चाहती हूं कि हां, राजनीतिक वर्ग कुछ हद तक जिम्मेदार है, लेकिन यह मुद्दा सामाजिक है और राजनीति समाज का प्रतिबिंब है।”

उन्होंने कहा, “यह कहना कि शासन विशेष या पार्टी विशेष इसके लिए जिम्मेदार है और यह इस राज्य में हुआ है, ये आंकड़े हैं, अन्य राज्यों में आंकड़े अलग हैं, क्योंकि वहां अलग पार्टी की हुकूमत है, हमें वास्तव में इस सब में नहीं पड़ना चाहिए, क्योंकि इससे मुख्य मुद्दे से ध्यान भटकता है।” मीरा कुमार (77) ने कहा कि लोग जब राजनीतिक कोण के बारे में बात करना शुरू कर देते हैं तो इससे मुद्दे की अहमियत घट जाती है। पूर्व सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ने कहा कि हर बार जब कोई अत्याचार होता है तो वह इस बहस में उलझकर रह जाता है कि गलती किसकी है। जाति प्रथा के उन्मूलन पर आगे बढ़ने के तरीकों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि सामाजिक इच्छाशक्ति बेहद जरूरी है।

कांग्रेस नेता ने कहा, “समाज को आगे आना चाहिए। धर्म इस समस्या की जड़ है तो धर्मगुरु क्या कह रहे हैं… युवा हमेशा बदलाव चाहते हैं, उन्हें आगे आना चाहिए। महिलाएं, जो मां हैं, बच्चे के जन्म के समय से ही उसके दृष्टिकोण को आकार देने में उनकी प्रमुख भूमिका होती है।” उन्होंने इस संबंध में ‘कतई बर्दाश्त नहीं करने’ की नीति अपनाने का आह्वान किया। मीरा कुमार ने कहा कि जाति, धर्म, रंग, आर्थिक पृष्ठभूमि के आधार पर पूर्वाग्रहों को दूर करने की जरूरत है। उन्होंने हाल ही में एक ट्वीट किया था कि 100 साल पहले कैसे उनके पिता बाबू जगजीवन राम को स्कूल में सवर्णों के लिए रखे गए मटके से पानी पीने से रोका गया था।

कांग्रेस नेता ने कहा, “इतने सारे पूर्वाग्रह हैं। हमें बचपन से ही शुरुआत करनी चाहिए और ‘शून्य पूर्वाग्रह’ का मूलमंत्र अपानाना चाहिए, ठीक वैसे ही जैसे कि आतंकवाद को लेकर हमारा शून्य सहिष्णुता का दृष्टिकोण है। मैंने किसी को यह कहते नहीं सुना कि किसी भी तरह के पूर्वाग्रह के लिए शून्य सहिष्णुता या कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति अपनाएं।” मीरा कुमार के मुताबिक, जाति से संबंधित अत्याचार अक्सर ‘आत्मा को कमजोर कर देते हैं।’ उन्होंने कहा कि शारीरिक नुकसान की घटनाएं तो महज लक्षण हैं, जबकि ‘बीमारी’ असल में जाति व्यवस्था है। पूर्व केंद्रीय मंत्री के अनुसार, जाति प्रथा एक बीमारी है और जब तक यह समाप्त नहीं होती, अत्याचार रुक नहीं सकते। उन्होंने कहा कि जाति प्रथा को पूरी तरह से खत्म करने पर ध्यान देना होगा।

बिहार में नीतिश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार बनने से जुड़े सवाल पर मीरा कुमार ने कहा, “यह एक ‘स्वागतयोग्य घटनाक्रम’ और ‘सकारात्मक संकेत’ है। मैं आशा करती हूं कि अन्य राज्यों में भी इसका अनुसरण हो।” कुछ तबकों के इस आकलन पर कि कांग्रेस ने बिहार सरकार में दो मंत्री पदों के साथ घाटे का सौदा किया है, मीरा कुमार ने कहा, “मुझे लगता है कि हमें इसके सकारात्मक पहलुओं पर नजर दौड़ानी चाहिए। इसे लेकर सकारात्मक रहें।” यह पूछे जाने पर कि क्या महागठबंधन सरकार के गठन से 2024 के आम चुनावों को लेकर उम्मीद जगी है, उन्होंने कहा, “हां। लेकिन अभी बहुत स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता। हमें इसे मजबूत बनाना होगा। इसे मजबूत बनने के लिए समय दें, इसमें निवेश करें और फिर यह चारों तरफ फैल जाएगा।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस को 2024 के आम चुनावों में भाजपा को टक्कर देने के लिए विपक्षी गठबंधन का आधार बनना चाहिए, उन्होंने ‘हां’ में जवाब दिया। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनकर उभरने की अटकलों से जुड़े सवाल पर मीरा कुमार ने कहा, “मैंने विभिन्न हलकों से इस बारे में सुना है। देखते हैं कौन दावेदार बनता है।

विपक्ष के पास कई दिग्गज हैं, पार्टियां उचित समय पर नाम तय करेंगी।” प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत कई विपक्षी नेताओं से पूछताछ किए जाने के संदर्भ में पूर्व लोकसभा अध्यक्ष ने केंद्र सरकार पर ‘प्रतिशोध की राजनीति’ करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “जब आप विपक्ष में होते हैं तो आप पर इतने आरोप लगते हैं। और कितने सारे लोगों ने कांग्रेस छोड़कर सत्ताधारी दल के प्रति अपनी निष्ठा जताई, उनके ऊपर लगे आरोप अचानक हट जाते हैं। हमने ऐसा होते देखा है।” नए अध्यक्ष के चुनाव के लिए कांग्रेस के आंतरिक चुनावों पर मीरा कुमार ने कहा कि संगठनात्मक चुनाव हो रहे हैं और जो भी परिणाम आएंगे, सभी को स्वीकार्य होंगे। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष ने यह भी कहा कि उन्हें पार्टी द्वारा जो भी भूमिका सौंपी जाएगी, वह उसे निभाएंगी।