नई दिल्ली। काले धन पर प्रहार में 500 और 1,000 रुपये के बड़े नोटों के बाद सोना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अगला निशाना बन सकता है। इस संबंध में शुक्रवार को आई रिपोर्ट में इसका अंदेशा जताया गया है। हालांकि, वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस रिपोर्ट पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। पिछले सप्ताह गोल्ड की कीमत दो दा साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया क्योंकि जूलरों ने इस डर में सोने का भंडार बढ़ाना शुरू कर दिया कि मोदी सरकार घरेलू काले धन के खिलाफ लड़ाई के क्रम में नोटबंदी के बाद कहीं सोने के आयात पर कहीं रोक न लगा दे।
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है और आकलन के मुताबिक इसके सालाना 1,000 टन की मांग की एक तिहाई के लिए पेमेंट ब्लैक मनी से होता है। काला धन नागरिकों की वह संपत्ति है जिसे सरकार की नजर से बचाकर टैक्स नहीं चुकाया जाता है। अधिकारियों ने कहा कि नोटबंदी से नकदी आधारित सोने की तस्करी बाधित हो चुकी है। नकदी की कमी और कीमतें घटने से इस तिमाही में स्क्रैप गोल्ड की आपूर्ति भी आधी रह जाने की उम्मीद है।
मोदी ने जोर देकर कहा, ‘अगर इन लोगों को तैयारी के लिए 72 घंटे भी मिल जाते तो वह मेरी प्रशंसा में कहते- वाह! मोदी जैसा कोई नहीं।’ प्रधानमंत्री का यह बयान संसद में इस मुद्दे पर विपक्ष के साथ ठनी रार के बीच आया है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गुरुवार को कहा था कि नोटबंदी को संगठित लूट करार देते हुए सरकार की बड़ी असफलता करार दी।