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मुन्ना बजरंगी की हत्या: बागपत जेल के जेलर निलंबित, सीएम योगी ने दिए जांच के आदेश

लखनऊ। जेल में माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की हत्या के मामले में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं और तत्काल प्रभाव से बागपत जेल के जेलर को निलंबित कर दिया गया है. उन्होंने कहा,” जेल परिसर के अंदर ऐसे प्रकरण का होना अत्यंत गंभीर मामला है. इस मामले में जांच कराई जाएगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.”

बागपत जेल में डॉन की हत्या

आज सुबह पूर्वांचल के कुख्यात माफिया डॉन प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में गोली मार कर हत्या कर दी गई. बीएसपी के पूर्व विधायक लोकेश दीक्षित से रंगदारी मांगने के मामले में उसकी आज ही बागपत कोर्ट में पेशी होनी थी और इसी के लिए उसे झांसी से बागपत लाया गया था.

मुन्ना की हत्या के लिए बागपत जेल आया था सुनील राठी ?

कुख्यात सुनील राठी और विक्की सुनहेड़ा के साथ उसे तन्हाई बैरक में रखा गया था. सुनील पहले रुड़की जेल में बंद था और वहां उसने अपनी जान का खतरा बताया था. उसने कोर्ट से बागपत जेल शिफ्ट करने की गुहार लगाई थी जिसके बाद उसे बागपत जेल शिफ्ट कर दिया गया था.

कौन है सुनील राठी

सुनील राठी उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अपराध जगत का बड़ा नाम है. अपने पिता की हत्या के बाद उसने चार हत्याएं की थीं. उसकी मां पिछले विधानसभा चुनाव में बीएसपी के टिकट पर छपरौली विधानसभा से चुनाव भी लड़ चुकी हैं.

पत्नी ने जताई थी आशंका

मुन्ना की पत्नी सीमा सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सीएम से गुहार लगाई थी. सीमा ने दावा किया था कि एसटीएफ मुन्ना बजरंगी को मुठभेड़ में ढेर करने की फिराक में है. 29 जून को उसने कहा था कि कुछ प्रभावशाली नेता और अधिकारी मुन्ना की हत्या करने का षड्यंत्र रच रहे हैं.

सीमा ने कहा कि जेल में ही उसके पति के खाने में जहर देने की कोशिश की गई थी. सीसीटीवी फुटेज में भी इसकी रिकॉर्डिग है, जिसमें एक एसटीएफ अधिकारी जेल में ही मुन्ना बजरंगी को मारने की बात कह रहे हैं. इसकी शिकायत कई अधिकारियों और न्यायालय से की, लेकिन कहीं से भी सुरक्षा नहीं मिली.

कौन है मुन्ना बजरंगी

1982 से शुरू हुआ मुन्ना बजरंगी का अपराधिक सफर आज खत्म हो गया. उसके बारे में कहा जाता था कि वो सुपारी लेकर किसी की भी हत्या करा सकता है. जौनपुर के कसेरूपूरेदयाल गांव का रहने वाले मुन्ना बजरंगी का नेटवर्क मुंबई, पश्चिम बंगाल, हरियाणा और पूर्वी उत्तर प्रदेश में फैला हुआ था.

1995 में यूपी एसटीएफ मुठभेड़ में मुन्ना गोली खा गया था लेकिन वह बच गया. इस बीच मुन्ना से मुख्तार अंसारी ने हाथ मिला लिया. इस गठजोड़ का परिणाम यह निकला कि मुन्ना ने 2005 में मुहम्मदाबाद के बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या कर दी.

राय की हत्या के बाद मुन्ना बजरंगी अपराध की दुनिया में दहशत का दूसरा नाम बन गया. आरोप है कि अपने नाम के खौफ का इस्तेमाल करते हुए मुन्ना ने करोड़ों रुपये की रंगदारी वसूली. 2012 में मड़ियाहू विधानसभा से वह चुनाव भी लड़ा लेकिन उसे करारी शिकस्त मिली.