इस वक्त राष्ट्र में स्वास्थ्य के लिहाज से निपाह वायरस की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है। अभी तक केरल में इसकी वजह से 13 मौतें हो चुकी हैं। आखिर हो भी क्यों न, क्योंकि सेना से लेकर गृह मंत्रालय तक सबने इसके बारे में एडवाइजरी जारी की है। सोशल मीडिया पर भी यह सबसे बड़ा हॉट टॉपिक बना हुआ है। सबसे ज्यादा शेयर इसी से जुड़ी जानकारियों के ही हो रहे हैं। इस वायरस का प्रमुख स्रोत चमगादड़ को माना जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन(डब्ल्यूएचओ) ने भी बोला है कि फलभक्षी चमगादड़ के कारण निपाह वायरस का संक्रमण होता है। लेकिन हिंदुस्तान में अभी तक जांच में पाया गया है कि इसका स्रोत चमगादड़ नहीं है। यहीं से सवाल उठता है कि यदि चमगादड़ की वजह से इसका प्रसार नहीं हो रहा है तो आखिर किस वजह से हो रहा है?
हिमाचल प्रदेश में निपाह वायरस की पुष्टि नहीं: अधिकारी
हिमाचल प्रदेश में सेहत विभाग के अलावा मुख्य सचिव बीके अग्रवाल ने 27 मई को बताया कि केरल के दो जिलों के बाहर निपाह वायरस के प्रसार के बारे में कोई सूचना नहीं है। हिमाचल प्रदेश के एक सरकारी स्कूल परिसर में चमगादड़ों की मौत की खबरों से राज्य में भय का माहौल व्याप्त हो गया। ऑफिसर ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में मिले चमगादड़ से नमूने पुणे स्थित नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ विरोलॉजी भेजी गयी थी जिसके परिणाम निगेटिव आए हैं। उन्होंने लोगों से निपाह वायरस से नहीं घबराने की सलाह दी है व बोला कि राज्य में सभी मेडिकल कॉलेज किसी भी घटना से निपटने के लिए तैयार है।
चमगादड़, केरल में निपाह वायरस फैलने के मूल स्रोत नहीं : रिपोर्ट
केरल के कोझीकोड व मलप्पुरम जिलों से चमगादड़ों से एकत्रित नमूनों की जांच में उनमें निपाह वायरस नहीं मिला है। यह बात एक केंद्रीय मेडिकल टीम ने सेहत मंत्रालय को 26 मई को सौंपी गई एक रिपोर्ट में कही है। सेहत मंत्रालय के एक ऑफिसर ने बोला कि रिपोर्ट में निपाह वायरस फैलने में चमगादड़ व सुअर के मूल स्रोत होने से मना किया गया है। मेडिकल टीम अब निपाह वायरस फैलने के अन्य संभावित कारणों का पता लगा रही है। कुल 21 नमूने एकत्रित किये गए थे जिसमें से सात चमगादड़, दो सुअर, एक गोवंश व एक बकरी या भेड़ से था। इन नमूनों को भोपाल स्थित राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान व पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान भेजा गया था।
अधिकारी ने कहा, ”इन नमूनों में उन चमगादड़ों के नमूने भी शामिल थे जो कि केरल में पेराम्बरा के उस घर के कुएं में मिले थे जहां शुरुआती मौत की सूचना मिली थी। इन नमूनों में निपाह विषाणु नहीं पाये गए हैं। ” ऐसे लोग जिनके निपाह वायरस से संक्रमित होने का शक था उनके नमूनों में भी यह विषाणु नहीं पाया गया है। हिमाचल प्रदेश में मृत मिले चमगादड़ों के नमूने पुणे भेजे गए थे, उनमें भी यह विषाणु नहीं मिला है। इसके साथ ही हैदराबाद के संदिग्ध मामलों के दो नमूनों में भी यह विषाणु नहीं मिले हैं।
इस बीच सेहत मंत्रालय ने लोगों से आग्रह किया है कि वे घबराएं नहीं। मंत्रालय ने बोला है कि निपाह वायरस का फैलना केरल तक सीमित है। मंत्रालय ने आम जनता व सेहत देखभाल सुविधा मुहैया कराने वालों को बचाव तरीका करने की सलाह दी है। राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र निदेशक के नेतृत्व में एक केंद्रीय टीम केरल में स्थिति पर निरंतर नजर रखे हुए है। सेहत मंत्रालय ने बोला कि संपर्क का पता लगाने की रणनीति पास रही है। उसने बोला कि यह पता चला है कि जो भी मामले सामने आये हैं उनमें शामिल आदमी उस आदमी या उसके परिवार के सीधे या अप्रत्यक्ष संपर्क में आया जिसकी इसके चलते पहली मौत हुई थी।
मृतक संख्या बढ़कर 13 हुई
केरल के कोझीकोड में निपाह विषाणु के चलते 27 मई को एक व आदमी की मृत्यु हो गई जिससे इस बीमारी के चलते मृतक संख्या बढ़कर 13 हो गई है। आधिकारिक सूत्रों ने बोला कि जिले के पलाझी के रहने वाले 26 वर्षीय अबिन ने एक व्यक्तिगत अस्पताल में एक हफ्ते तक ज़िंदगी के लिए प्रयत्नकरने के बाद दम तोड़ दिया। पेराम्बरा में एक गांव में निपाह विषाणु फैलने के बाद 16 आदमी जांच में इससे संक्रमित पाये गए हैं। इनमें से 13 व्यक्तियों की मौत हो चुकी है। सेहत मंत्री के के शैलजा ने संवाददाताओं से बोला कि प्राधिकारियों ने उन लोगों की जानकारी एकत्रित की है जो मृतक व्यक्तियों के साथ सीधे संपर्क में थे व वे सभी अब निगरानी में हैं। यद्यपि प्राधिकारियों को इस बारे में अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है कि इस वायरस के फैलने का असली स्रोत क्या है?
स्वास्थ्य मंत्रालय की एडवाइजरी
कर्नाटक व हिमाचल प्रदेश जैसे अन्य राज्यों में निपाह विषाणु के फैलने के भय के बीच केंद्रीय सेहतमंत्रालय ने आम जनता व सेहत सेवा कर्मियों के लिए परामर्श जारी किया है। इसमें यह बताया गया है कि इन्हें अति जोखिम वाले इलाकों में क्या एहतियाती कदम उठाने चाहिए व साथ ही यह जानकारी दी गई है कि यह बीमारी कैसे फैलती है व इसके क्या लक्षण होते हैं?
मंत्रालय ने आम जनता को ताड़ी, जमीन पर पड़े पहले से खाए हुए फलों का सेवन करने व प्रयोग में ना लाए जा रहे कुओं में ना जाने तथा केवल ताजा फल खाने की सलाह दी है। इसमें बोला गया है कि बीमारी के कारण मारे गए लोगों के शवों का अंतिम संस्कार सरकारी परामर्श के अनुसार करना चाहिए व इस भावुक क्षण के दौरान बीमारी को परिवार के सदस्यों तक फैलने से रोकने के लिए विधि विधानों में परिवर्तन करने चाहिए। परामर्श में सूचना दी गई है कि चमगादड़, सुअर, कुत्ते, घोड़ों जैसे जानवरों में फैलने वाला निपाह वायरस जानवरों से मनुष्यों में भी फैल सकता है व इससे कई बार मनुष्यों को गंभीर बीमारी भी हो सकती है।