लखनऊ। 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के चलते यूपी से कोई भी मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत सका था. ये आजादी के बाद पहली बार था जब कोई भी मुस्लिम सदस्य लोकसभा में राज्य की ओर से नुमाइंदगी नहीं कर पाया था. ऐसे में आरएलडी की तबस्सुम हसन कैराना उपचुनाव में जीत हासिल करके यूपी का इकलौता मुस्लिम चेहरा बन गई हैं.
2014 के लोकसभा चुनाव में यूपी में समाजवादी पार्टी ने 14, बहुजन समाज पार्टी ने 19 और कांग्रेस ने नौ मुस्लिम उम्मीदवार खड़े किए थे. इनमें से ज्यादातर सीटें मुस्लिम बहुल इलाकों की ही थीं. इसके बावजूद कोई मुस्लिम जीतने में सफल नहीं हो सका था.
राजनीतिक जानकारों की मानें, तो ये अभूतपूर्व ध्रुवीकरण का नतीजा था, जिसके चलते ना तो दलित-मुस्लिम समीकरण चला और ना ही मुस्लिम-यादव कार्ड. बीजेपी और उसके सहयोगी अपना दल ने एक भी मुस्लिम को बतौर उम्मीदवार टिकट नहीं दिया था. 2014 में बीजेपी गठबंधन को यूपी की 80 सीटों से 73 सीटें मिली थी.गौरतलब है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में देश भर से कुल 22 मुस्लिम सांसद ही जीत सके थे. ये आंकड़ा सबसे कम था. 2009 की लोकसभा की बात करें तो इसमें कुल 30 मुसलमान सांसद थे. मुस्लिम प्रतिनिधित्व के लिहाज से सबसे बढ़िया आंकड़ा 1980 में था तब लोकसभा में कुल 49 मुसलमान सांसद थे. आम तौर पर लोकसभा में मुस्लिम प्रतिनिधित्व का आंकड़ा 25 से 30 के बीच ही रहता है.