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रेल हादसाः साढ़े तीन हजार यात्रियों पर आया संकट टला, परीक्षार्थियों को वाहनों से भेजा

लखनऊ। दरियाबाद स्टेशन के पास हादसे का शिकार हुई पटना-कोटा एक्सप्रेस ट्रेन में सवार बड़ी संख्या में परीक्षार्थियों को अन्य वाहनों से भेजने की व्यवस्था की गई। ट्रेन में करीब साढ़े तीन हजार यात्री सवार थे। दरअसल, लखनऊ और कानपुर में  रविवार को कई तरह की परीक्षाएं हो रही हैं। ऐसे में ट्रेन में दूसरे राज्यों से भी सैकड़ों की संख्या में परीक्षा देने वाले नौजवान थे। जिनकी परीक्षा सुबह से थी उन्होंने अपनी समस्या बताई अफसरों ने परीक्षार्थियों की परीक्षा न छूटने के लिये वाहन का इंतजाम करवाया। परीक्षार्थियों को निजी वाहनों से लखनऊ भिजाया गया। बस्ती के अमरचंद्र ने बताया कि बीएचयू बनारस की प्रवेश परीक्षा देने लखनऊ जा रहा था। बस्ती के ही ब्रजेश कुमार ने बताया कि वह अपनी बहन को स्टाफ नर्स की परीक्षा दिलाने लखनऊ जा रहा था।

पटरियों से चिंगारी देख निकलीं चीत्कारें

उल्लेखनीय है कि आधी रात  ट्रेन में झटका लगने से नींद से जगे यात्री अगले पल रेल पटरियों से निकल रही चिंगारी देख चीत्कार मारकर चिल्लाने लगे। अभी किसी को कुछ समझ में आता इससे पहले ताबड़तोड़ धड़ाम-धड़ाम की आवाजों के साथ भीषण गर्द गुबार उड़ाते हुए ट्रेन रुक गई। पटरियां कई जगह चटख गईं। बोगियों में लोग एक दूसरे को पकड़कर संभलने की कोशिश करने लगे। कुछ चीखने और रोने लगे तो कई एक दूसरे को पकड़कर जिंदगी खो जाने के डर से भयावह होकर बेसुध हो गए।

चार मिनट तक सिर्फ चीखपुकार 

हादसे के करीब चार मिनट में बच्चे और महिलाओं की चीखपुकार से बोगियों में भयावह मंजर के दौरान लोगों ने एक दूसरे को संभालने का काम शुरू किया। रेलवे, जीआरपी और जिला पुलिस सक्रिय हुई। जिस जगह ट्रेन रुकी वह स्थान दरियाबाद से 15, टिकैतनगर से 18 व अलियाबाद से 17 किमी दूर है। आसपास काफी दूर तक आबादी नहीं है। हादसे की सूचना जैसे-जैसे मिलती गई प्रशासनिक और रेलवे अधिकारी भी पहुंचते गए। रात करीब साढ़े चार बजे डीआरएम सतीश कुमार, कमांडेंट रेलवे सुरक्षाबल सत्यप्रकाश आदि पहुंचे। रेलवे पटरियों की मरम्मत करने वाले गैंगमैन भी पहुंचकर काम में जुट गए। कई ट्रेनें रास्ते में जहां की तहां रोक दी गई।