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कर्नाटक फतह में जुटे BJP के रणनीतिकार, अगले महीने PM की हुंकार!

नई दिल्ली। गुजरात और हिमाचल प्रदेश में उम्मीद के मुताबिक बहुमत हासिल करने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अब अपने अगले मिशन की तैयारियों में जुट गई है. इस साल जितने चुनाव होने थे वो हो गए. अब अगले साल होने वाले चुनाव की बारी है.

इन दो राज्यों में मिली जीत से उत्साहित भाजपा को उम्मीद है कि अगले साल जिन 8 राज्यों में चुनाव होने हैं वहां पर उसे उम्मीद के मुताबिक कामयाबी मिलेगी. इन 8 राज्यों में 4 राज्य बड़े हैं जो पार्टी के लिए बेहद अहम हैं जिनमें दक्षिणी राज्य कर्नाटक प्रमुख है.

कर्नाटक में वर्तमान विधायिका का कार्यकाल 28 मई, 2018 को खत्म हो रहा है. दक्षिण भारत में यही वो राज्य है जहां पर भाजपा ने सत्ता सुख हासिल किया है. उसे उम्मीद है कि ‘मोदी लहर’ का फायदा यहां भी मिलेगा और राज्य में दूसरी बार भगवा लहराएगा. कहा जा रहा है कि पार्टी की चुनावी टीम अब कर्नाटक चुनाव में लग गई है.

जनवरी में मोदी जाएंगे!

इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए साल पर वहां जाने वाले हैं और 28 जनवरी को राजधानी बंगलुरू में पार्टी की बड़ी रैली भी आयोजित कर सकते हैं. पार्टी अध्यक्ष अमित शाह भी जल्द वहां का दौरा कर सकते हैं और वहां की स्थिति का जायजा लें. शाह इससे पहले 2 नवंबर को 75 दिन चलने वाले एक रैली की शुरुआत कर चुके हैं जिसका लक्ष्य कार्यकर्ताओं में जोश भरना और अपने कैडर को चुनाव के लिए तैयार करना है.

दूसरी ओर, परिणाम आने के बाद कर्नाटक में भाजपा के प्रभारी मुरलीधर राव ने कहा कि इन परिणामों का असर कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भी दिखेगा. उन्होंने कहा, “यह चुनाव देश के लिए बेहद खास माना जा रहा था, पूरा देश इस चुनाव को लेकर उत्साहित था. यहां के परिणाम 2018 के कर्नाटक चुनाव और 2019 के आम चुनाव में असर डालेंगे.”

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से मिलेगी चुनौती

अगले साल 2018 में भाजपा के 3 खास राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने हैं जहां पर पार्टी अभी सत्ता में है और उसकी कोशिश वहां अपना शासन बचाए रखने की होगी. वहीं कर्नाटक में 5 साल बाद वह फिर से सत्ता में लौटना चाहेगी.

पार्टी अध्यक्ष अमित शाह लगातार तैयारियों के लिए जाने जाते हैं. 2 राज्यों में जीत के बाद उनका अगला लक्ष्य यह दक्षिणी राज्य होगा क्योंकि यहां पर उनकी राह आसान नहीं होगी. खासकर गुजरात में जिस तरह से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भाजपा को चुनौती पेश की. साथ ही वहां मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की लोकप्रियता बनी हुई है. उनकी कुछ सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए चलाई गई कुछ योजनाओं ने उन्हें लोकप्रिय बना रका है. मार्च में यूपी चुनाव में दमदार जीत के बाद अप्रैल में कांग्रेस ने 2 सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा को हराकर अपनी खास बढ़ाई थी.

भाजपा ने घोषित किया मुख्यमंत्री उम्मीदवार

भाजपा ने 2 दिन पहले यानी गुजरात और हिमाचल में परिणाम आने से पहले ही लिंगायत नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदुयुरप्पा को अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित भी कर दिया. हालांकि उनका शासनकाल घोटालों और अवैध खनन के कारण खासा विवादित रहा. 2008 से 2013 तक भाजपाराज के दौरान पार्टी को 3 मुख्यमंत्री चुनना पड़ा. येदुयुरप्पा 2008 से जुलाई 2011 तक मुख्यमंत्री रहे और इसके बाद अवैध खनन तथा भ्रष्टाचार के आरोप लगने के कारण उन्हें पार्टी की ओर से पद से हटा दिया गया.

इससे नाराज होकर उन्होंने पार्टी छोड़कर नई पार्टी बनाई, लेकिन 2014 में उनकी घर वापसी हुई. येदुयुरप्पा के सहारे पार्टी को बहुतायत लिंगायत समुदाय का समर्थन पाने की आस है. इस समुदाय को लुभाने के लिए कांग्रेस ने भी काफी कोशिश की है, लेकिन यह समुदाय फिर से येदुयुरप्पा के साथ जुड़ गया है और वह एक बार पुनः प्रभावी हो गए हैं.

अब सबकी नजर कर्नाटक पर टिकी है क्योंकि यहां मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की सरकार अच्छा कर रही है और भाजपा यहां कांग्रेस के किले में सेंध लगाने की फिराक में है. इस राज्य में जीत के लिए मोदी-शाह की चैंपियन जोड़ी को खूब पसीना तो बहाना पड़ेगा ही, साथ ही कुछ अलग तरह की रणनीति बनानी होगी.