Breaking News

अखण्ड सुहाग का व्रत करवा चौथ आज, यहां जानें पूजा विधि, कितने बजे होगा चन्द्र दर्शन

नई दिल्ली आज सुहागिनों का महापर्व करवा चौथ है। आज पति की लम्बी आयु के लिए महिलाओं  ने निर्जला व्रत  रखा है जिसका शाम को  पारंपरिक रीति-रिवाज के अनुसार पारण करेंगी। आज शाम 7 से रात तकरीबन 9 बजे तक देश भर में चंद्रमा दिख जाएगा। दिल्ली में चंद्रदर्शन 8.13 बजे हो सकेंगे।

करवा चौथ के दिन इन मंत्रों के जप से लाभ होगा

करवा चौथ पूजन मंत्र

“ॐ शिवायै नमः, श्रीं ह्रीं क्लीं मातः पार्वत्यै नमः”

अर्घ्य मंत्र (चंद्रमा को अर्घ्य देने के समय)

“सौम्यरूप महाभाग मंत्रराज द्विजोत्तम।
मम पूर्वकृतं पापं ओषधे क्षमस्व मे।”

पति की आरती के समय किया जाने वाला मंत्र 
“ऊँ क्लीं सौभाग्यं देहि, पति मे श्रीं ह्रीं स्वाहा”

करवा चौथ पूजा विधि 

  • करवा चौथ पर शाम को लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं, इस पर भगवान शिव, माता पार्वती, कार्तिकेय, गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर दें।
  • एक लोटे में जल भरकर उसके ऊपर श्रीफल रखकर कलावा बांध दें और दूसरा मिट्टी का करवा लेकर उसमें जल भरकर व ढक्कन में शक्कर भर दें, उसके ऊपर दक्षिणा रखें, रोली से करवे पर स्वास्तिक बनाएं।
  • इसके बाद धूप, दीप, अक्षत व पुष्प चढाकर भगवान का पूजन करें, पूजा के उपरांत भक्तिपूर्वक हाथ में गेहूं के दाने लेकर चौथ माता की कथा पढ़ें या  सुने।
  • फिर रात्रि में चंद्रोदय होने पर चंद्रदेव को अर्ध्य देकर बड़ों का आशीर्वाद लेते हुए व्रत को समाप्त करें।
  • गलती से व्रत टूटने पर क्या करें  
    अगर आपका करवा चौथ का व्रत पूजा से पहले गलती से टूट गया है तो घबराएं नहीं और न ही व्रत को बीच में छोड़ें। अगर गलती से आपका व्रत टूट जाए तो तुरंत हाथ जोड़कर भगवान से इस गलती के लिए माफी मांगें।  माफी मांगने के बाद दोबारा व्रत करने का संकल्प लें। इस संकल्प को करने के लिए सबसे पहले अपने दाहिने हाथ में जल लें और क्षमा याचना मंत्र का  51 बार जाप करें। इसके बाद चंद्रदेव का ध्यान करके जल अर्पित कर दें। इसके बाद आप दोबारा व्रत आरंभ कर सकते हैं।

करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय
वैदिक पंचांग की गणना के मुताबिक 20 अक्तूबर को करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय शाम 07 बजकर 53 मिनट पर होगा। देशभर के अलग-अलग शहरों में चांद के निकलने के समय में कुछ बदलाव हो सकता है। दिल्ली में चांद 7.53 बजे, नोएडा में 7.52, गुरुग्राम में 7:55 और गाजियाबाद में 07:52 बजे चांद दिखाई देगा।

करवा चौथ पर चौथ माता की पूजा के साथ करें गौरी-शंकर पूजा
करवा चौथ पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा विशेष महत्व रखती है। सुहागन महिलाएं गौरी-शंकर के रूप में शिव-पार्वती की मूर्ति का पूजन करती हैं और उन्हें सिंदूर, चूड़ियां, बिंदी, और वस्त्र चढ़ाती हैं। यह पूजा अखंड सौभाग्य और दांपत्य जीवन की सुख-समृद्धि के लिए अत्यंत लाभकारी मानी जाती है। पूजा के समय ‘ऊँ उमामहेश्वराय नमः’मंत्र का जाप किया जा सकता है, जो विवाहित जीवन के समस्त विघ्नों को दूर करने में सहायक होता है।

करवा चौथ पर होती है चौथ माता की पूजा
करवा चौथ के दिन चौथ माता की पूजा का भी विशेष महत्व है। महिलाएं अपने करवे में जल भरकर चौथ माता को अर्पित करती हैं और उनसे सौभाग्य की प्रार्थना करती हैं। पूजा के समय सुहाग की सारी वस्त्र-आभूषण पहनना शुभ होता है।

व्रत के समय ध्यान रखने योग्य बातें
करवा चौथ व्रत के दौरान महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं, जो कि पति की दीर्घायु के लिए समर्पित होता है। इस व्रत में सूर्योदय से चंद्रोदय तक कुछ भी नहीं खाया-पीया जाता है। व्रत की शुरुआत सूर्योदय से पहले सरगी खाने से की जाती है। यह सरगी सास द्वारा दी जाती है, जिसे सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। चंद्रोदय के बाद पति के हाथों से जल ग्रहण करके ही व्रत पूर्ण होता है।

करवा चौथ पर करें सुहाग सामग्री का दान
करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाएं विशेष रूप से सुहाग सामग्री जैसे कि लाल चूड़ियां, सिंदूर, बिंदी, काजल, मेहंदी और कंघी आदि का दान करती हैं। इसे सौभाग्यवती महिलाओं को दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इससे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है और पति की लंबी उम्र का आशीर्वाद मिलता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सुहाग सामग्री दान करने से मां पार्वती का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।

 मिट्टी के करवे से चंद्रदेव को दें अर्घ्य
करवा चौथ पर मिट्टी के करवे का विशेष महत्व होता है। ऐसे में मिट्टी के करवे से चंद्रदेव को अर्घ्य देना बहुत ही शुभ माना जाता है। मिटटी का करवा गणेशजी और पृथ्वी का प्रतीक माना गया है। करवा साबुत और शुद्ध होना चाहिए। टूटा या दरार वाला करवा पूजा में अशुभ माना गया है।

करवा चौथ पर पूजन करने की दिशा
करवा चौथ पर पूजा करने में दिशा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। पूजा करते समय देवी-देवताओं की प्रतिमा का मुख पश्चिम की ओर और पूजा करने वाली सुहागिन महिलाओं का मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर करना चाहिए। उत्तर-पूर्व (ईशान) करवा चौथ की पूजा करने के लिए आदर्श स्थान है क्योंकि यह कोण पूर्व एवं उत्तर दिशा के शुभ प्रभावों से युक्त होता है।