नई दिल्ली। टाटा ग्रुप के नए चेयरमैन चुने गए एन. चंद्रशेखरन 30 साल पहले कंपनी से जुड़ थे। 1987 में इंटर्न से शुरुआत करने वाले चंद्रशेखरन में कई ऐसी खूबियां थीं, जिन्हें सर्च पैनल के लिए खारिज करना मुश्किल था। चंद्रा के नाम से पुकारे जाने वाले 53 वर्षीय चंद्रशेखरन 2009 से ही ग्रुप की दुधारू गाय कही जाने वाली कंपनी टीसीएस की कमान संभाल रहे थे। करीब 100 तरह के बिजनस में दखल रखने वाले ग्रुप के तमाम सीईओज में से जगुआर लैंडरोवर के बॉस राल्फ स्पेथ ही इकलौते ऐसे सीईओ हैं, जो चंद्रशेखरन को चुनौती दे सकते थे। टीसीएस और जेएलआर ही समूह की ऐसी दो कंपनियां हैं, जो लगातार ग्रोथ करती रही हैं। जानें, किन खास खूबियों की वजह से उन्हें टाटा संस की कमान सौंपी गई है…
टीसीएस की कामयाबी से पैदा हुआ भरोसा
चंद्रशेखरन के नेतृत्व में टीसीएस के मुनाफे में तीन गुना का इजाफा हुआ। 2009 में कंपनी का टर्नओवर 30,000 करोड़ रुपये था और उनकी लीडरशिप में ही 2016 तक यह बढ़कर 1.09 लाख करोड़ रुपये हो गया। यही नहीं कंपनी का मुनाफा भी तीन गुना बढ़ते हुए 7,093 करोड़ से बढ़कर 24,375 करोड़ हो गया। देश की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर एक्सपोर्ट कंपनी में फिलहाल 3,50,000 एंप्लॉयीज हैं। टीसीएस देश में सबसे ज्यादा नौकरियां देने वाली प्राइवेट कंपनी है। 116 अरब डॉलर के टाटा ग्रुप के मार्केट कैप में टीसीएस की हिस्सेदारी 60 पर्सेंट है। टाटा संस के कुल रेवेन्यू में कंपनी की हिस्सेदारी 70 पर्सेंट से अधिक है।
चंद्रशेखरन ने बदली टीसीएस की छवि
चंद्रशेखर ने हमेशा खुद को एक बेहतर लीडर के तौर पर साबित किया है। टीसीएस की 23 बिजनस यूनिट्स में सर्विस डिलिवरी, ऑपरेशंस और नीतियों को उन्होंने बेहतर तरीके से लागू करने का काम किया। बाद में उन्होंने इस कंपनी को 8 ग्रुप्स में बांट दिया, जिनके हेड उन्हें रिपोर्ट करते थे। ऐंगल ब्रोकिंग के रिसर्च वाइस प्रेजिडेंट सरबजीत के. नांगरा ने कहा, ‘चंद्रा ने कठिन काम को आसान कर दिखाया। टीसीएस हमेशा से बड़ी कंपनी थी, लेकिन इन्फोसिस को मैनेजमेंट और लाभ के मामले में बेंचमार्क के तौर पर देखा गया। चंद्रा ने टाटा ब्रैंड की छवि बदली और कंपनी को मुनाफे की ओर ले गए।’
वैश्विक अर्थव्यवस्था की जानकारी
टाटा समूह के आंतरिक सूत्रों के मुताबिक चंद्रशेखरन का इंटरनैशनल एक्सपोजर है और वह वैश्किव आर्थिक स्थिति पर काफी करीब से नजर रखते रहे हैं। टीसीएस के क्लाइंट्स में दुनिया की दिग्गज कंपनियां जैसे जनरल इलेक्ट्रिकल्स, जेपी मॉर्गन, वॉलमार्ट, होम डिपो, वोडाफोन, एबीबी, सिसको और इलेक्ट्रॉनिक आर्ट्स शामिल हैं। टाटा जैसे समूह के लिए यह काफी अहम है क्योंकि टीसीएस की हिस्सेदारी ग्रुप के रेवेन्यू में 70 बिलियन डॉलर के करीब है।
कंपनी के सबसे युवा सीईओज में से एक
चंद्रशेखरन ने अपने करियर में मैराथन दौड़ लगाई है। 1987 में टीसीएस में एक सॉफ्टवेयर प्रोग्रामर के तौर पर कंपनी शुरू करने वाले चंद्रशेखरन ने धीरे-धीरे और लगातार ग्रोथ की। 2007 में उन्हें कंपनी का सीओओ नियुक्त किया गया। उन्होंने 2008 में सिटी ग्रुप के बैक ऑफिस के अधिग्रहण की डील में अहम भूमिका अदा की। वह कंपनी के सबसे युवा सीईओज में से एक रहे।
ऑपरेशन और विजन दोनों की समझ
टीसीएस में अपने कठिन शेड्यूल के बावजूद वह देश की आईटी इंडस्ट्री में एक स्टेट्समैन की तरह उभरे। 2012 में नैस्कॉम के चेयरमैन के तौर पर उन्होंने 2020 में इंडस्ट्री का विजन तैयार किया। नैस्कॉम की सीनियर वाइस प्रेजिडेंट संगीता गुप्ता ने कहा कि वह ऑपरेशंस और विजन के परफेक्ट कॉम्बिनेशन हैं।