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मिलिए दुनिया की सबसे बड़ी 4 घोटालेबाज महिलाओं से, जिन्होंने लोगों को ख्वाब दिखाकर लूटा

घोटालों की बात जब भी की जाती है तो किसी न किसी आदमी का नाम याद आ ही जाता है। शेयर बाजार में घोटाले की बात की जाए तो हर्षद मेहता का नाम याद आता है। बैंक घोटाले की बात की जाए तो नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे लोगों का नाम याद आता है। बहुत ही कम ऐसे मौके होते हैं जब किसी महिला के घोटाले करने की बात सामने आती है। खैर भारत में इन दिनों एक महिला चित्रा रामकृष्ण पर चर्चा खूब की जा रही है, चित्रा रामकृष्ण पर एनएससी को एक प्राइवेट क्लब की तरह चलाने का आरोप लग रहा है। जिस तरह से चित्रा रामकृष्ण ने इस घोटाले को अंजाम दिया, उसकी कहानी किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं है। आइए इनसे शुरुआत करते हुए आपको दुनिया की चार सबसे बड़ी घोटालेबाज महिलाओं के बारे में बताते हैं।

चित्रा रामकृष्ण

चित्रा रामकृष्ण ने चार लाख करोड़ रुपए की मार्केट कैप वाली नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को कुछ यूं चलाया मानो वह उनका कोई प्राइवेट क्लब हो। मनमाने तरीके से आनंद सुब्रमण्यम को नियुक्त किया, इतना ही नहीं उन्हें मोटा वेतन दिया जिसकी लोग कल्पना भी नहीं कर सकते। इसी को-लोकेशन स्कैम कहा जा रहा है, जिसके तहत कुछ निजी जानकारियां कुछ लोगों को या ब्रोकर्स को वक्त से पहले दिए जाने का आरोप है, जिससे उन लोगों ने करोड़ों का मुनाफा कमाया होगा। सेबी ने मामले की जांच के बाद अपनी रिपोर्ट दी है, जिसमें उनके ऊपर तमाम आरोप हैं।

किसी फिल्म में ड्रामे जैसी है चित्रा की कहानी

यह पूरा मामला किसी फिल्म की कहानी जैसा है। चित्रा से यह पूछा गया कि उन्होंने यह सब क्यों किया तो उन्होंने कहा कि हिमालय की एक योगी पर कहने पर वह ये सब कुछ करती थीं। जांच के बाद सीबीआई को शक है कि आनंद सुब्रमण्यम ही वह बाबा है। वहीं चित्रा दूसरी ओर यह भी कहती है कि उन्होंने बाबा को कभी देखा ही नहीं। अब दिमाग में जो एक सवाल बार-बार उठता है वह ये कि इतनी पढ़ी-लिखी और ऊंचे पद पर बैठी महिला ऐसी बेकार की बात कैसे कर सकती है कि वह किसी बाबा के इशारे पर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को चला रही थी, जिससे वह कभी मिली ही नहीं। चित्रा कहती है कि वह लगभग 20 सालों से इस रहस्यमई बाबा के इशारों पर कार्य कर रही थीं। खैर मामले की जांच जारी है।

एलिजाबेथ होम्स

आज के समय में आए दिन नए स्टार्टअप्स शुरू किए जाते हैं और बंद होते हैं, लेकिन अमेरिका की एलिजाबेथ होम्स ने ऐसा स्टार्टअप शुरू किया था जो किसी क्रांति से कम नहीं था। 19 बरस की उम्र में उन्होंने 2003 में एक ऐसी डिवाइस बनाने पर काम शुरू किया, जिसके जरिए खून की सिर्फ कुछ बूंदों से ही कैंसर समेत लगभग 200 टेस्ट हो सकेंगे। उन्होंने थॉमस एडिसन के नाम पर इस डिवाइस का नाम एडिशन रखा। यह डिवाइस भी कई बार फेल होने के बाद सफल हुई है। उन्होंने सिलिकॉन वैली नाम की एक कंपनी भी शुरू की जिसका नाम था थेरानोस। 2014 तक इस कंपनी का वैल्यूएशन 9 अरब डॉलर हो गया। जब वह अपने इस आईडिया के बारे में किसी प्रोफ़ेसर या साइंटिस्ट को बताती है तो उन पर कोई विश्वास नहीं करता वो सब इस बात को नामुमकिन कहते हैं। हालांकि, अपनी आकर्षक छवि और बात करने के अंदाज से एलिजाबेथ होम्स हर किसी को अपनी बात पर यकीन दिला देती थीं।

एलिजाबेथ होम्स को लोग आज का स्टीव जॉब्स कहने लगे थे। उन्हें फोर्ब्स के अरबपतियों की लिस्ट में शामिल किया गया और फॉर्च्यून मैगजीन ने भी अपनी लिस्ट में जगह दी। धोखे की नींव पर बना रेत का महल 2015 में ढेर हो गया, जब वॉल स्ट्रीट जर्नल के एक पत्रकार ने उनके इनोवेशन को फर्जी बता दिया। जांच हुई तो पता चला कि वह एडिशन पर बस कुछ ही टेस्ट करती थी और उनकी एक्यूरेसी भी बहुत कम होती थी। एक ही झटके में 9 अरब डॉलर यानी 68 हजार करोड़ की कंपनी थेरोनस की वैल्यू जीरो हो गई। उन पर भी धोखाधड़ी का आरोप लगा।

रोजा इग्नातोवा

बुल्गारिया की रहने वाली रुजा इग्नातोवा ने दुनिया का सबसे बड़ा क्रिप्टो फ्रॉड किया था। उन्होंने यूके में अपनी एक कंपनी बनाई और 2014 में वनकॉइन क्रिप्टो करेंसी की शुरुआत की। उन्होंने लोगों का यकीन जीतने के लिए उन्हें बताना शुरू किया की वनकॉइन बहुत ही सेफ क्रिप्टोकरेंसी है, जिसके लिए केवाईसी भी की जाती है। रुजा ने लोगों को यह बताया कि वह ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग करती हैं, ताकि पैसों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और वनकॉइन का उपयोग किसी गलत काम के लिए ना हो। उनका दावा यह भी था कि आने वाले कुछ वर्षों में वनकॉइन बिटकॉइन से भी बड़ी क्रिप्टोकरंसी बन जाएगी।

वनकॉइन की बढ़ती लोकप्रियता को देख लोग बिना जानकारी जुटाए इसमें निवेश करने लगे। ताकि मोटा मुनाफा कमाया जा सके। इक्का-दुक्का लोग वनकॉइन पर शक किया करते थे, तब रोजा ने पुर्तगाल में अक्टूबर 2017 में एक इवेंट के जरिए लोगों के सवालों के जवाब देने की बात कही। इस इवेंट में वो यह बताने वाली थी कि कब वह कैसे वनकॉइन को कैश में तब्दील कर सकते हैं। लोग रुजा का इवेंट में उनका इंतजार करते रहे और वो करीब 5 अरब डॉलर यानी करीब 35000 करोड़ का क्रिप्टो करेंसी घोटाला करके फरार हो गई। उनके साथ इस घोटाले में हिस्सा ले रहे बहुत से लोग गिरफ्तार हुए, लेकिन रुजा कहीं पता नहीं चला। वो अब तक फरार हैं। द टाइम्स ने इसे इतिहास के सबसे बड़े घोटालों में से एक कहा है।

चंदा कोचर

आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रबंध निदेशक चंदा कोचर की लोग एक समय खूब चर्चा किया करते थे। बताया जाता था कि कैसे एक महिला ने एक निजी बैंक में इतने बड़े पद पर जगह बनाई। चंदा कोचर ने खूब शोहरत बटोरी, लेकिन एक गलती ने उनके नाम और शोहरत पर धब्बा लगा दिया। इस गलती में महत्वपूर्ण रोल उनके पति दीपक कोचर का है। जिन्हें गिरफ्तार किया गया था और लगभग 6 महीने तक वह कस्टडी में थे। 2009 में चंदा कोचर आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ बनी थीं, लेकिन 2018 में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के चलते उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा।

यह था मामला

2012 में जब चंदा कोचर आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ थीं। इस दौरान उन्होंने वीडियोकॉन ग्रुप को 3250 करोड़ रुपये का ऋण दिया था। इस ऋण के करीब 6 महीने बाद उनके पति दीपक कोचर ने NuPower Renewables Pvt LTD (NPRL) नाम की एक कंपनी बनाई, जिसे वीडियोकॉन ग्रुप के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत ने करोड़ों रुपये ट्रांसफर किए थे। जब मामला खुला तो ईडी ने चंदा कोचर दीपक कोचर और वेणुगोपाल धूत समेत कुछ अन्य लोगों के खिलाफ बैंक धोखाधड़ी और पीएमएलए के मामला दर्ज किया। वहीं यह पाया गया कि चंदा कोचर ने बैंक की आचार संहिता का उल्लंघन कर वीडियोकॉन को कर्ज दिया, जिसका एक हिस्सा उस कंपनी को मिला।