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बाइडेन ने कहा, रूसी तानाशाह ने दूसरे देश पर हमला किया है दुनियाभर में उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी

हालात बदल गये हैं लेकिन पश्चिमी देशों के बीच अभी भी शीष युद्ध वाली दुश्मनी बरकरार दिखाई पड़ रही हैं और उसी का नतीजा है रूस और यूक्रेन के बीच हो रहा यह युद्ध। लंबे संघर्ष के बाद रूस ने 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन पर पहला हमलाकर युद्ध का ऐलान किया। तब से रूसी सेना लगातार यूक्रेन की राजधानी की ओर आगे बढ़ रही है। यूक्रेन की राजधानी कीव पर हमले जारी है वहीं रूसी सेना ने खारकीव को भी तबाह कर दिया है। अब तक 400 से ज्यादा आम नागरिकों की मौत की खबरें हैं। यूक्रेन एक छोटा देश हैं उसके पास रूस के मुकाबले ज्यादा सेना और शक्ति नहीं लेकिन वह युद्ध में लगातार साहस से लड़ रहा है। यूक्रेन को युद्ध के लिए उकसाने वाले नाटो देश और अमेरिका भी युद्ध की नीतियों के चलते यूक्रेन की मदद नहीं कर सकता है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने नाटो देशों को खुली चेतावनी दी है कि अगर कोई यूक्रेन और रूस के बीच आया तो उसे विनाशकारी परिणाम भुगतने होगें।

दूसरी ओर से अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने युद्ध में यूक्रेन के लिए न लड़कर रूस को बाहरी रूप से कमजोर करने की पूरी कोशिशें जारी रखी हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने पहले ‘स्टेट ऑफ द यूनियन’ संबोधन में रूस की आक्रामकता का सामना करने और अमेरिकी मुद्रास्फीति को काबू करने का संकल्प किया। रूस के यूक्रेन पर आक्रमण करने के बीच बाइडन के इस भाषण के मायने और बढ़ गए हैं। राष्ट्रपति ने अपने भाषण की शुरुआत भी यूक्रेन संकट के मुद्दे से ही की। उन्होंने सदन के कक्ष में उपस्थित सांसदों से कहा कि वे खड़े होकर यूक्रेन के लोगों के जज्बे को सलाम करें। इसके बाद सभी सांसद खड़े हो गए।

कड़े शब्दों में बाइडेन ने मास्को के कार्यों की निंदा की और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के कार्यों को ‘पूर्व नियोजित और अकारण’ कहा। उन्होंने कहा कि अमेरिका यूक्रेन के लोगों के साथ खड़ा है। हालांकि, उन्होंने कहा, “अमेरिकी सेना यूक्रेन में रूसी सेना के साथ संघर्ष में शामिल नहीं होगी।” पुतिन को तानाशाह बताते हुए बाइडेन ने कहा, “एक रूसी तानाशाह ने एक दूसरे देश पर हमला किया है दुनियाभर में उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। पुतिन टैंकों के साथ कीव को घेर सकते हैं, लेकिन वह कभी भी यूक्रेनी लोगों के दिलों और आत्माओं को हासिल नहीं करेंगे, और वह कभी भी मुक्त दुनिया के संकल्प को कमजोर नहीं कर पाएंगे।