आरक्षण की आड़ में सत्ता की राजनीति।
राहुल पाण्डेय ‘अविचल’
इंदिरा गाँधी द्वारा आपातकाल लगाने के बाद देश में जो जनक्रांति हुयी उससे कांग्रेस को बहुत नुकसान पहुंचा था। कई दलों ने मिलकर संयुक्त मोर्चा बनाया जिसमें चंद्रशेखर, जगजीवन राम, चौधरी चरण सिंह, मोरार जी देसाई एवं अटल विहारी बाजपेयी जैसे दिग्गज मौजूद थे।
चुनावी घोषणापत्र में एक मुद्दा रहा कि यदि हमारी सरकार आई तो ओबीसी को आरक्षण दिया जायेगा। कांग्रेस पार्टी की भारी पराजय हुयी तथा मोरार जी देसाई देश के प्रधानमंत्री बने। जिन्होंने बीपी मंडल की अध्यक्षता में ओबीसी को आरक्षण देने हेतु आयोग की सिफारिश की। इंदिरा जी एवं संजय जी जेल भेजे गये लेकिन इंदिरा ने कूटनीतिक चाल चलते हुये चौधरी चरण सिंह को फोड़ लिया तथा देसाई की कुर्सी चली गयी।
कांग्रेस पार्टी के समर्थन से चौधरी चरण सिंह प्रधानमंत्री बने। लोकसभा चुनाव न जीत पाने के कारण चौधरी साहब को त्याग पत्र देना पड़ा। बाबू जगजीवन राम जी इंदिरा जी से मिले और कहा कि बिटिया मैंने तुम्हारे पिता जी का हमेशा साथ दिया है मुझे भी प्रधानमंत्री बनवा दो। इंदिरा जी ने कहा कि अपनी मौजूदा पार्टी से प्रस्ताव लेकर आइये आपको भी समर्थन कर दूँ।
जब जगजीवन राम जी अपना नाम लेकर राष्ट्रपति से मिले तो राष्ट्रपति ने इंदिरा जी से पूंछा कि क्या आप जगजीवन राम जी को समर्थन दे रहीं हैं?
इंदिरा जी कहा कि महामहिम आप बतायें कि क्या मात्र एक ही चुनाव से देश में तीन प्रधानमंत्री बन सकते हैं? क्या यह जनता के साथ न्याय होगा? जिसका परिणाम यह हुआ कि देश में चुनाव हुआ तथा इंदिरा जी प्रधानमंत्री बनीं। बीपी मंडल ने 1982 में ओबीसी आरक्षण की रिपोर्ट प्रधानमंत्री को सौपी। इंदिरा जी ने सिफारिश को लागू नहीं किया।
उनके बाद राजीव जी प्रधानमंत्री बने तथा उन्होंने ओबीसी आरक्षण की आहट को भांपकर सरकारी क्षेत्र का निजीकरण करना शुरू किया। बोफोर्स घोटाले में राजीव जी का नाम आने पर बीपी सिंह ने राजीव जी को बदनाम करना शुरू कर दिया।
यहाँ तक कहा कि तोप आग नहीं बल्कि फूल उगलेगी। राजीव जी चुनाव हार गये कई पार्टियों के गठबंधन से बीपी सिंह प्रधानमंत्री बने। बीपी सिंह ने उप-प्रधानमंत्री चौधरी देवी लाल को बर्खास्त कर दिया जिससे ओबीसी जनता बीपी सिंह पर कोप गयी तथा कोप भाजन से बचने के लिए बीपी सिंह ने ओबीसी आरक्षण पर मंडल आयोग की रिपोर्ट को संसद में पास करवा दिया।
जिसके प्रतिफल में देश में सवर्णों में आक्रोश पैदा हो गया तथा 160 से अधिक लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। आरक्षण पास करवाने में बीजेपी की भूमिका थी इसलिए उन्होंने सवर्णों का ध्यान खीचने के लिए राम मंदिर मुद्दा उठा लिया। रथयात्रा पर निकले आडवाणी का रथ रोके जाने पर क्रोधित आडवानी ने बीपी सिंह सरकार ने समर्थन वापस लेकर सरकार गिरा दी। उसी दरम्यान सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी।
कांग्रेस के समर्थन से चन्द्रशेखर प्रधानमंत्री बने। चंद्रशेखर अधिक समय तक प्रधानमंत्री नहीं रहे , कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया। दहिया ट्रस्ट घोटाले की खबर छापकर राजीव शुक्ल जो कि बीपी सिंह के करीबी थे चर्चा में आ गये। राजीव गाँधी ने इसी के साथ बीपी सिंह के खिलाफ बड़ा हथियार पा लिया था। लोकसभा चुनाव प्रचार में राजीव गाँधी की हत्या हो गयी।
कांग्रेस पार्टी ने सबसे अधिक सीट प्राप्त करके सरकार बनायी।
पीबी नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री बने तथा वर्ष 1992 में सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण पर बड़ा फैसला सुनाया। क्रीमीलेयर ओबीसी को आरक्षण देने पर रोक लगा दी तथा ओबीसी आरक्षण को उचित ठहराया परन्तु संविधान के अनुच्छेद 15(4) एवं 16(4) के तहत पचास फीसद से अधिक आरक्षण पर रोक लगा दी जिसमे कि दलित आरक्षण भी शामिल था। देश में एससी/एसटी आयोग की तर्ज पर पिछड़ा वर्ग आयोग बनाने का आदेश किया जो कि किन जातियों को ओबीसी से बाहर करना है तथा किन जातियों को शामिल करना है इसकी समीक्षा करेगी तथा सरकार उसे लागू करेगी।
जबकि आरक्षण आज भी राजनीति का कारण बना हुआ है तथा क्रीमीलेयर के निर्धारण का कोई आधारभूत मानक नहीं है साथ ही साथ सरकारें वोट के लालच में क्रीमीलेयर का दायरा बढ़ाती जा रही हैं। अतः देश में वास्तविक पीड़ितों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। अति पिछड़ी जातियां तो बिलकुल इस आरक्षण का लाभ नहीं पा रहीं हैं तथा सामान्य वर्ग की सीटों में कुछ पिछड़ी जातियों द्वारा प्रतिस्पर्द्धा करना यह साबित करता है कि आयोग राजनीतिक कारणों से इनको ओबीसी से बाहर करने का साहस नहीं कर पा रहा है।