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5 ऐसे बड़े संत जिन्होंने संतई छोड़कर कांग्रेस के बड़े एजेंट के रूप अपनी पहचान बनाई

लखनऊ। कांग्रेस पार्टी आज भले ही ईसाई मिशनरियों और जिहादी संगठनों की समर्थक पार्टी के तौर पर देखी जाती है, लेकिन कुछ समय पहले तक उसने भी हिंदू संतों के बीच अच्छी खासी पैठ बना रखी थी। इनमें से कुछ बाबाओं का ऐसा जलवा हुआ करता था कि वो बाकायदा सत्ता के सबसे बड़े दलाल के तौर पर देखे जाते थे। ज्यादातर को गांधी परिवार का करीबी माना जाता था। गांधी परिवार के तमाम सदस्य उनके आगे मत्था टेकते थे और बदले में उन्हें चुनाव में हिंदुओं का एकमुश्त वोट पाने का वरदान मिला करता था। सोनिया गांधी के आने के बाद कांग्रेस पार्टी के ईसाईकरण का सबसे बड़ा नुकसान इन बाबाओं को हुआ, जिन्हें पहले राजीव गांधी और बाद में सोनिया गांधी ने एक तरह से अपमानित करना शुरू कर दिया। हालांकि इनमें से ज्यादातर बाबा आज भी गांधी परिवार के ही वफादार के तौर पर देखे जाते हैं। एक नज़र ऐसे ही टॉप-5 बाबाओं पर-

1. शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती

स्वरूपानंद खुले तौर पर कांग्रेसी शंकराचार्य के तौर पर देखे जाते हैं। वो राम मंदिर का समर्थन तो करते हैं लेकिन उसका विरोध करने वाली कांग्रेस पार्टी को चुनावी फायदा पहुंचाने का काम भी करते हैं। सोनिया गांधी से लेकर दिग्विजय सिंह उनके आगे मत्था टेक चुके हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने अपने कई बयानों से कांग्रेस पार्टी को मदद करने की कोशिश की थी। हालांकि नतीजे आने के बाद वो शांत पड़ गए। हिंदुओं का सबसे महत्वपूर्ण शंकराचार्य होने के बावजूद अपनी राजनीतिक निष्ठा के कारण कई लोग उन्हें पसंद नहीं करते। स्वरूपानंद ने पिछले दिनों गोवध के मुद्दे पर कांग्रेस के खिलाफ बयान दिया था। जिसके बाद माना जा रहा है कि वो कांग्रेस से दूरी बनाने की कोशिश कर रहे हैं। फिलहाल उनके उत्तराधिकारी माने जाने वाले स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सक्रिय हैं। वो खुलकर कांग्रेस के नेताओं से मिलते और उनके लिए समर्थन जताते रहते हैं। यूपी विधानसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी के वोट कटवाने के लिए वाराणसी में कई सीटों पर अपने उम्मीदवार भी उतारे थे।

2. आचार्य प्रमोद कृष्णम

खुद को कल्किधाम का प्रमुख बताने वाला प्रमोद कृष्णम तो कांग्रेस पार्टी का पूर्णकालिक नेता ही है। वो चुनाव में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर खड़ा भी हो चुका है। प्रमोद कृष्णम खुद को हिंदू संत बताता है, लेकिन वो खुलकर ऐसी बातें कहता है जिससे हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचती हो। कई लोग तो यहां तक कहते हैं कि प्रमोद कृष्णम हिंदू है ही नहीं और वो हिंदू चोले में लोगों को धर्मांतरण कराकर मुसलमान बनाने में जुटा है। हालांकि इस बात की हम कोई स्वतंत्र पुष्टि नहीं कर सकते। हालांकि इतना जरूर है कि प्रमोद कृष्णम की लोकप्रियता हिंदुओं से ज्यादा मुसलमानों के बीच है। पश्चिमी यूपी में उसकी सभाओं में जुटने वाले ज्यादातर टोपीधारी सेकुलर मुसलमान ही होते हैं। प्रमोद कृष्णम को लेकर न्यूज़लूज़ पर हमने बड़ा खुलासा किया था, वो रिपोर्ट आप नीचे के लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं।

3. स्वामी अग्निवेश

भगवा चोले में कांग्रेसी एजेंट की सबसे बड़ी मिसाल स्वामी अग्निवेश हैं। वो खुद को बंधुआ मजदूरी के खिलाफ काम करने वाला सामाजिक कार्यकर्ता बताते हैं, लेकिन उनकी वास्तविक भूमिका खबरी की है। इसके अलावा वो नक्सलियों और कांग्रेस के बड़े नेताओं के बिचौलिये के तौर पर भी काम करते रहे हैं। अन्ना आंदोलन के समय वो एक स्टिंग ऑपरेशन में रंगे हाथ भी पकड़े जा चुके हैं। तब वो टीम अन्ना की बैठक से बाहर निकलकर तब के केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल को फोन करके अंदर हुए फैसलों की जानकारी दे रहे थे। इंडिया अगेंस्ट करप्शन से जुड़े एक बड़े पदाधिकारी ने हमसे बातचीत में दावा किया था कि दरअसल एक के बाद एक घोटालों से पैदा नाराजगी के कारण बीजेपी को जाने वाले वोटों को काटने के लिए कांग्रेस ने अरविंद केजरीवाल को तैयार किया था। लेकिन केजरीवाल कांग्रेस से मिले निर्देशों के मुताबिक काम कर रहे हैं या नहीं, ये नजर रखने का जिम्मा स्वामी अग्निवेश को सौंपा गया था।

4. महंत ज्ञानदास

अयोध्या में हनुमानगढ़ी मंदिर के महंत ज्ञानदास पक्के कांग्रेसी माने जाते हैं। पिछले दिनों राहुल गांधी ने जब अपनी हिंदू विरोधी छवि धोने के लिए मंदिरों का दौरा शुरू किया था तो वो सबसे पहले अयोध्या के हनुमानगढ़ी गए थे। महंत जी कुछ गिने-चुने हिंदू धर्म गुरुओं में से हैं जो बाबरी ढांचे को बनाए रखने के समर्थन में रहे हैं। उनकी ज्यादातर गतिविधियां और बयान राम मंदिर आंदोलन को कमजोर करने के लिए ही रहे हैं। उनकी कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं से निजी संबंध हैं और सबका आना-जाना लगा रहता है। हालांकि पिछले दिनों वो अखिलेश यादव के लिए मेहरबान थे। फिलहाल उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद से शांत पड़े हैं।

5. धीरेंद्र ब्रह्मचारी

ये देश के सबसे हाई प्रोफाइल बदनाम बाबाओं में से एक थे। 1994 में उनकी मौत हो गई। असली नाम धीरेंद्र चौधरी था और बिहार के रहने वाले थे। इमर्जेंसी के दौरान वो इंदिरा गांधी के सबसे करीबी सलाहकारों में थे। वो उन्हें योग भी करवाते थे। इंदिरा गांधी ने दूरदर्शन पर उनका योग का प्रोग्राम शुरू करवा दिया था। लेकिन मेहरबानियां इतनी ही नहीं थीं। कांग्रेस की कृपा से ब्रह्मचारी जी ने दिल्ली, यूपी, जम्मू कश्मीर समेत देश के तमाम इलाकों में कई एकड़ जमीन कब्जा कर ली। आज भले ही कांग्रेस बाबा रामदेव पर व्यापारी होने का आरोप लगाती है, लेकिन तब धीरेंद्र ब्रह्मचारी ने वो-वो कारोबार किए जिनकी कल्पना नहीं की जा सकती। उन्होंने जम्मू में हथियार बनाने की फैक्ट्री भी बनाई। कहते हैं कि इसकी आड़ में वो अवैध हथियारों की डील करवाते थे। उनके रसूख को इसी बात से समझ सकते हैं कि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सबसे पहले उन्हें ही शव तक जाने दिया गया और बाहर आकर उन्होंने ही पत्रकारों को बताया था कि सब कुछ खत्म हो चुका है। धीरेंद्र ब्रह्मचारी के पास अपना प्राइवेट हेलीकॉप्ट और कई हेलीपैड थे। उन्हें मज़ाक में फ्लाइंग बाबा कहा जाता था। 1994 में बेहद रहस्यमय हालात में हेलीकॉप्टर हादसे में ही उनकी मौत हो गई।

हमने जिन 5 धर्म गुरुओं के नाम यहां पर बताए हैं उनके अलावा भी कई साधु संत हैं जो कांग्रेस के करीबी माने जाते रहे हैं। इनमें तांत्रिक चंद्रास्वामी, बनारस के संकट मोचन मंदिर के महंत के परिवार समेत कई अहम नाम शामिल हैं। ये सभी वो हैं जिन्हें कांग्रेस की सरकारों से हमेशा से शह मिला रहा। चंद्रास्वामी का हाल ही में निधन हुआ है।