मुंबई। बीजेपी सरकार राज में दवा खरीद में हुए 297 करोड़ रुपये के कथित घोटाले को लेकर सोमवार को विधान परिषद में सरकार को परेशानी का सामना करना पड़ा। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. दीपक सावंत ने सरकार की ओर से सफाई देने की पूरी कोशिश की, लेकिन विपक्ष की नारेबाजी और हंगामे में उनकी आवाज दब गई। इस मामले में दो अधिकारियों को निलंबित किया गया है। स्वास्थ्य मंत्री ने इस पूरे मामले की जांच के उच्च स्तर समिति से कराने की बात कही।
इससे पहले विरोधी पक्ष नेता धनंजय मुंडे ने कहा कि राज्य के स्वास्थ्य विभाग में 297 करोड़ रुपये की दवा खरीद में घोटाला हुआ है। उनकी मांग थी कि सदन का सभी कामकाज रोकर इस मसले पर चर्चा की जाए। मुंडे ने आगे कहा कि बिना जरूरत के 297 करोड़ रुपये दवाएं खरीदी गई हैं। आश्चर्य की बात यह है कि महाराष्ट्र में दवा खरीद का विज्ञापन नागालैंड और मिजोरम के अखबारों में दिया गया। इतना ही नहीं बड़े 31 मार्च 2016 को एक दिन में ही पैमाने पर दवा खरीद का आर्डर जारी किया गया। सरकार ने एक साथ इतनी ज्यादा दवाएं खरीदी की अब उन्हें रखने के लिए जगह नहीं है। उन्होंने इसे घोटाला करार दिया और दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। मुंडे का समर्थन विपक्ष के अन्य सदस्यों ने भी किया।
विपक्ष के आरोपों का जवाब देने के लिए जब स्वास्थ्य मंत्री डॉ. दीपक सावंत सरकार का पक्ष रखना चाहते थे परंतु उस वक्त इतना ज्यादा हंगामा हुआ कि वे जवाब ही नहीं दे सके। विपक्षी विधायक लगातार सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। इसी बीच पीठासीन सभापति ने मंत्री से सदन में जवाब जारी रखने के लिए कहा, लेकिन हंगामे के कारण कुछ समय के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। बाद में डॉ. सावंत ने दो अधिकारियों एनएचएम के उपसंचालक डॉ. राजू जोतकर और सहायक संचालक डॉ. सचिन देसाई को निलंबत करने की घोषणा की। डॉ सावंत ने कहा कि सरकार ने 297 करोड़ रुपये की दवाई नहीं खरीदी है और सरकार इस पूरे मामले की जांच उच्च स्तरीय समिति से कराएगी।