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26/11 की काली रात को आज भी नहीं भूल पाए मुंबईकर

मुंबई । मुंबई में हुए 26/11 के आतंकी हमले को आज भी कोई भुला नहीं पाया है। मुंबई के इतिहास में लहू से लिखी इस तारीख की आज 9वीं बरसी है। इस आत्मघाती हमले में मौत के मुंह से बाहर आनेवाले मुंबई क्राइम ब्रांच के कॉन्सटेबल अरुण जाधव ने बताया कि ‘वह काली रात उन्हें आज भी भुलाए नहीं भूलती।’

उन्होंने बताया कि आतंकवादी कसाब और इस्माइल कामा हॉस्पिटल में मौजूद थे और लगातार फायरिंग कर रहे थे। जैसे ही हमारी टीम कामा हॉस्पिटल पहुंची, हमने देखा कि एक ऑपरेटर घायल अवस्था में हॉस्पिटल से बाहर आया और खबर दी कि मुंबई पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी अंदर घायल पड़े हैं। हमने उस घायल ऑपरेटर को गाड़ी में बिठाया और जैसे ही आगे बढ़े, मुझपर और विजय सालस्कर पर पहली बार फायरिंग की गई, हालांकि हमारी जान बच गई थी।

आगे उन्होंने बताया, सालस्कर ने यह बात हेमंत करकरे को बताई और अशोक कामटे ने फैसला लिया कि हम सब कामा हॉस्पिटल के मुख्य द्वार पर जाकर इन आतंकियों का सामना करेंगे। जैसे ही हम मुख्य द्वार की ओर बढ़े, गाड़ी के वायरलेस पर मैसेज आया कि आगे के रास्ते से आतंकियों ने एक कॉन्सटेबल पर फायरिंग की है। अशोक कामटे ने आगे बढ़ने को कहा, पर रास्ते के बीच में आतंकियों ने धोखे से गाड़ी पर गोलीबारी की, जिससे हमारी टीम के सभी वरिष्ठ अधिकारी शहीद हो गए।

9 वर्ष के बाद सीएसटी स्थित दुकानदार अब खुद कितना सुरक्षित महसूस करते हैं, जानते हैं उनकी जुबानी:
सीएसटी स्टेशन के बाहर स्थित स्टेशनरी के मालिक इब्राहिम निमचवाला ने बताया, ‘वह दिन तो बीत गया, पर उसका डर हमारे अंदर जिंदा है।’ मुंबई के मौजूदा सुरक्षा हालात के बारे में उन्होंने कहा, ‘तब और अब में बहुत फर्क आया है। अब सिक्यॉरटी बहुत बढ़ी है, अब उस प्रकार का हमला होना असंभव जैसा है।’

26/11 का दर्द आज भी नहीं भुला पाए मुंबईकर।

पास के ही घड़ी की दुकान के कार्यवाहक वासनवाला ने बताया, ‘घटना 9 वर्ष पुरानी हो चुकी है और हमने उसे कब का भुला भी दिया है। अब बिल्कुल भी डर नहीं है।’ सुरक्षा के सवाल पर उनका जवाब था, ‘यहां अब भी सीसीटीवी कैमरे कुछ चालू और कुछ बंद रहते हैं। उन्हें पूरी तरह से दुरुस्त किया जाना चाहिए। साथ ही सिक्यॉरिटी को थोड़ा और बढ़ाया जाना चाहिए।’

सीएसटी स्टेशन के बाहर ही इमीटेशन की दुकान के गिरीश दमानी ने बताया, ‘सिक्यॉरिटी जितनी होनी चाहिए, अभी भी नहीं है। मेटल डिटेक्टर भी पूरी तरह से काम नहीं करते हैं। मोदी सरकार काम अच्छा कर रही है, हम सब उनके फैन हैं। मगर, पुलिस सिक्यॉरिटी थोड़ी बढ़नी चाहिए।’

यहीं पर कटलरी की दुकान चलाने वाले शब्बीर निमचवाला ने बताया, ‘हम रोज सफर करने वाले लोग हैं और हम 100% सुरक्षित महसूस करते हैं।’

इन जगहों पर हुए थे आतंकी हमले
आतंकियों ने अपनी साजिश को अंजाम देने के लिए मुंबई के कई प्रसिद्ध और व्यस्त स्थानों को चुना था। इसके लिए वे दो-दो की जोड़ी में शहर के अलग-अलग स्थानों पर बंट गए थे।

छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (सीएसएमटी)
26/11 के आतंकी हमले में आतंकियों ने जहां जान-माल का सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया था, वह था छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस। यह मुंबई के व्यस्ततम रेलवे स्टेशनों में से एक है। उस रात आतंकी कसाब और इस्माइल ने यहां बेगुनाह लोगों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाईं और करीब 60 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी।

कामा अस्पताल
छत्रपति शिवाजी टर्मिनस के बाद आतंकियों ने कामा अस्पताल को अपना निशाना बनाया था। आतंकी कसाब और इस्माइल कामा अस्पताल में भी सीएसटी जैसा ही तांडव मचाने पहुंचे थे। पर अस्पताल के डॉक्टरों और नर्सों की सूझबूझ के कारण आतंकी यहां बड़ा नुकसान नहीं पहुंचा सके थे।

लियोपॉड कैफे
मुंबई का लियोपॉड कैफे विदेशी पर्यटकों के बीच बहुत मशहूर है। मुंबई घूमने आने वाले ज्यादातर विदेशी मेहमान इस कैफे में जरूर आते हैं। 26/11 की रात भी रोज की तरह इस कैफे में जमावड़ा लगा हुआ था। आतंकियों ने विदेश तक अपनी धमक पहुंचाने के लिए इस कैफे को चुना था।

नरीमन हाउस
आतंकियों ने इस्राइली मूल के लोगों को निशाना बनाने के लिए नरीमन हाउस की बिल्डिंग को चुना था। नरीमन हाउस के इस बिल्डिंग में ज्यादातर इजरायली मूल के नागरिक रहते हैं।

ताजमहल होटल
सीएसएमटी के बाद आतंकियों ने सबसे ज्यादा नुकसान जिस जगह पहुंचाया वह था गेट वे ऑफ इंडिया के पास का ताजमहल होटल। आतंकियों और भारतीय सुरक्षा बलों के बीच यहां करीबन 3 दिनों तक संघर्ष चला। आतंकियों ने मुंबई के इस प्रसिद्ध होटल में भी लोगों को भी बंधक बना लिया था। बाद में इस होटल को आतंकियों से सुरक्षा बलों ने रिहा करा लिया और कई लोगों की जान बचा ली थी।

ओबेरॉय होटल
आतंकियों ने मुंबई के इस पांच सितारा होटलों को भी अपनी साजिश का निशाना बनाया था। आतंकियों ने इस होटल में कई बेगुनाह लोगों को बंदी बना लिया था।

हमले का मास्टर माइंड हाफिज सईद रिहा
गौरतलब है कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के न्याय समीक्षा बोर्ड ने ‘आतंकी हाफीज सईद के खिलाफ पर्याप्त सबूत न होने’ को कारण बताकर आतंकी हाफिज को गुरुवार को नजरबंद की सजा से रिहा कर दिया। इस घटना की बरसी से चार दिन पहले आतंकी हाफिज सईद को रिहा कर पाकिस्तान ने हमले के पीड़ितों के घावों पर नमक छिड़कने का काम किया है। मुंबई हमले के मामले में भारत का पक्ष रखने वाले वकील उज्ज्वल निकम ने कहा कि ‘हमने आतंकी हाफिज सईद के खिलाफ पाकिस्तान को पर्याप्त सबूत सौपें हैं, मगर वह हमें मूर्ख बना रहा है।’