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24 घंटे में NGT का यूटर्न, अमरनाथ गुफा में बम-बम भोले के जयकारों पर दिया स्‍पष्‍टीकरण

नई दिल्ली। अभी बुधवार की ही बात है जब NGT का एक आदेश सामने आया था। जिसमें नेशनल ग्रीन ट्रिब्‍युनल ने अमरनाथ गुफा और अमरनाथ यात्रा में आरती और बम-बम भोले के जयकार पर रोक लगाने की बात कही थी। लेकिन, चौतरफा निंदा और आलोचना के बाद NGT को अपने इस आदेश पर स्‍पष्‍टीकरण जारी करना पड़ा है। जिसमें उसने साफ तौर पर कहा है कि उसने अपने आदेश में ऐसा कुछ भी नहीं कहा है। NGT का कहना है कि अमरनाथ को लेकर आदेश की गलत रिपोर्टिंग की गई है। यानी नेशनल ग्रीन ट्रिब्‍युनल के मुताबिक मीडिया ने उसके आदेश को गलत तरह से पेश किया। NGT ने अपने स्‍पष्‍टीकरण में कहा है कि उन्‍होंने ना तो मंत्रोच्‍चारण पर कोई रोक लगाई है औश्र ना ही आरती पर किसी तरह की रोक लगाई गई है।

NGT का कहना है कि उसने अपने आदेश में सिर्फ ये कहा है कि शिवलिंग के सामने शांति बनाए रखनी चाहिए। नेशनल ग्रीन ट्रिब्‍युनल का कहना है कि इसके साथ ही अमरनाथ गुफा की सीढ़ियों से पहले लोगों को अपना सामान भी जमा कराना होगा। गुफा में हर किसी को लाइन लगाकर ही जाना होगा। सभी श्रद्धालुओं को एक ही लाइन में चलना चाहिए। NGT ने अपने स्‍पष्‍टीकरण में कहा है कि उसने अमरनाथ गुफा को साइलेंट जोन घोषित नहीं किया है। बस अमरनाथ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की सुरक्षा और आराम को लेकर कुछ दिशा निर्देश जारी किए हैं। दरअसल जब NGT का ये आदेश बुधवार को सामने आया था तो इस पर काफी बवाल शुरु हो गया था। विश्‍व हिंदू परिषद ने एनजीटी के आदेश को हिंदुओं का अपमान करार दिया था।
इसके साथ ही विश्‍व हिंदू परिषद ने एनजीटी से मांग की थी वो इस मामले में अपना आदेश तत्‍काल प्रभाव से वापस ले। वहीं बीजेपी ने भी एनजीटी के इस आदेश को हिंदू विरोधी करार दिया था। दरसअल, हर साल अमरनाथ यात्रा का आयोजन किया जाता है। इस दौरान पूरी यात्रा में श्रद्धालुओं की ओर से बम-बम भोले के जयकारे लगाए जाते हैं। इसके साथ ही घंटे और शंख भी बजाए जाते हैं। कई बार अमरनाथ गुफा के आसपास लैंड स्‍लाइड की घटनाएं होती हैं। एनजीटी ने इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए ही कुछ दिशा निर्देश जारी किए हैं। जिसमें मोबाइल फोन पर भी पाबंदी लगाई गई है। विशेषज्ञों का भी मानना है कि ध्‍वनि प्रदूषण की वजह से लैंड स्‍लाइड का खतरा बढ़ जाता है। तेज ध्‍वनि की वजह से घाटी में कंपन पैदा होता है। जिससे लैंड स्‍लाइड यानी पहाड़ों से पत्‍थर गिरने शुरु हो जाते हैं।
इस तरह की घटनाओं में श्रद्धालुओं की जान को भी खतरा बना रहता है। NGT ने अपने आदेश में कहा कि कुछ मंदिरों में मोबाइल पर बात करने की मनाही है। वो भी इसलिए उन्‍हें साइलेंस जोन घोषित किया गया है। तिरुपति बाला जी और अक्षरधाम मंदिर भी साइलेंस जोन में आते हैं। NGT का कहना है कि पर्यावरण के लिहाज से अमरनाथ गुफा काफी संवेदनशील है। यहां पर लोगों को ग्लेशियरों की संवेदनशीलता का भी ध्‍यान रखना होगा। यहां पर ध्‍वनि प्रदूषण नहीं होना चाहिए और ना ही यहां पर ज्‍यादा बड़ी संख्‍या में श्रद्धालुओं को जाने की इजाजत होनी चाहिए। इस दौरान NGT ने अमरनाथ श्राइन बोर्ड को भी कड़ी फटकार लगाई थी। एनजीटी ने श्रद्धालुओं को पर्याप्त बुनियादी ढांचा उपलब्ध न कराने और स्‍टेटस रिपोर्ट की मांग की थी। जो श्राइन बोर्ड एनजीटी में दाखिल नहीं कर पाया था।