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1,80,00,000 रुपये की कीमत का एक पेड़, प्रदेश को लूटने की हद

लखनऊ। मायावती सरकार के निर्माण कार्यो का अनुसरण करते तथा कुछ निकटतम आईएएस अधिकारियों की सलाह पर पूर्व मुख्य मंत्री अखिलेश यादव ने विगत अपने पांच वर्ष के कार्यकाल में प्रदेश में कई स्थानों पर विशेष किस्म के निर्माण कार्यो को कराने के फैसले लिए थे।

लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे हो,रिवर फ्रंट योजना या गोमतीनगर स्थित जे पी सेंटर सभी अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट्स ने आते है। इन सभी प्रोजेक्ट्स में पैसा पानी की तरह बहाया गया,जिसने जो बताया मुख्य मन्त्री उसे अनुमोदित करते चले गये। पैसा जैसे पेड़ो में लग रहा हो,जब चाहा हिलाया और गिरा लिया।

पैसों का ऐसा ही “एक पेड़” गोमतीनगर स्थित जे पी सेंटर में भी अखिलेश सरकार द्वारा लगवाया गया है जिसने दुसरो की जेबे मोटी कर दी।  इसकी कीमत सुनते ही पैर के नीचे की जमीन खिसक जाए,जी हाँ पूरे 1,80,00,000 रुपये वो भी भारतीय।

लखनऊ में लगे इस पेड़ की जानकारी होने पर हमने इसकी पड़ताल शुरू की। राम मनोहर लोहिया पार्क के अधिकारियों से ज्ञात हुआ कि ऐसा एक पेड़ गोमतीनगर में ही  निर्माणाधीन जे पी सेंटर(लखनऊ विकास प्राधिकरण के पीछे)में स्थापित किया गया है जो वास्तव में प्राकृतिक पेड़ न होकर विदेश से मंगाया गया पेड़नुमा सोलर लाइट है।

हम सीधे जे पी सेंटर पहुँचे जहाँ निर्माणाधीन क्षेत्र के बीच मे पेड़नुमा यह सोलर लाइट स्थापित की गई है।पूछने पर  पता चला कि पेड़ के पत्तेनुमा क्षेत्र में सोलर पैनल लगे है जिससे दिनभर यह पेड़ चार्ज होकर रात में रौशनी देता है। हम रात्रि में पुनः वहा पहुचे तो पेड़नुमा लाइट रौशनी दे रही थी पर उसे देखने वाला दर्शक न दिन में था न रात्रि में।

एक करोड़ अस्सी लाख में खरीदी लाइट के कुछ बल्ब फ्यूज़ थे तो कुछ गायब।इसे बताने वाला भी कोई नही था।अब प्रश्न यह है कि एक करोड़ अस्सी लाख मूल्य के बेशकीमती पेड़/सोलर लाइट की स्थिति इतनी खराब होने की संभावना थी तो इसे खरीदने से पहले देखा क्यो नही गया। इसका दायित्व किसका था तथा उसके विरुद्ध क्या कार्यवाही होनी है। क्रय करने से पूर्व इसका मूल्य कैसे और किसने अनुमोदित किया। पता करना होगा कि इसका वास्तविक मूल्य क्या था तथा इस पर कितना कमीशन खाया गया।