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justiceअहमदाबाद। पत्नी के चरित्र पर शक करते हुए अगर पति आत्महत्या कर लेता है, तो इसमें पत्नी की कोई गलती नहीं मानी जाएगी। एक मामले की सुनवाई के दौरान गुजरात उच्च न्यायालय ने यह फैसला सुनाया है।
अदालत ने कोमल सोनी, पिंकी सोनी और लकुश पटेल के खिलाफ दाखिल चार्जशीट को खारिज कर दिया। बापूनगर पुलिस ने तीनों पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया था। कोमल के पति रमेश ने साल 2014 में आत्महत्या कर ली थी। कोमल और रमेश की शादी 2009 में हुई। उनकी शादीशुदा जिंदगी खुशहाल थी, लेकिन फिर कोमल ने नौकरी करना शुरू कर दिया।

रमेश को शक था कि कोमल का अपने बॉस लकुश पटेल के साथ अवैध संबंध है। उसे शक था कि कोमल की सहकर्मी पिंकी भी उनकी मदद कर रही है। रमेश ने एक चिट्ठी लिखकर इन तीनों को अपनी आत्महत्या के लिए दोषी बताया था। पुलिस ने इस मामले में रमेश के परिवार के आरोपों और चिट्ठी के आधार पर कोमल, पिंकी व लकुश के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। तीनों पर धारा 306 व 114 के तहत मुकदमा भी चलाया गया।

सुनवाई के दौरान जस्टिस पारदीवाला ने माना कि असल तीनों आरोपियों ने इस मामले में इरादतन कुछ गलत नहीं किया। उन्होंने कहा, ‘अगर पति अपने दिमाग में बिना वजह शक पालना शुरू कर देता है तो खुदकुशी करने जैसा बड़ा फैसला लेता है, तो इसके लिए पत्नी को दोषी नहीं माना जा सकता। पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोपी नहीं बनाया जा सकता है। जहां तक बाकी दोनों आरोपियों का सवाल है, तो उनके खिलाफ लगे सभी आरोप बिल्कुल बेबुनियाद हैं। उनका रमेश और कोमल की निजी जिंदगी से कोई लेना-देना नहीं था।’

अदालत ने कहा, ‘पति और पत्नी अपने रिश्ते में सबसे बड़ी गलती यह करते हैं कि वे आधा सुनते हैं, एक तिहाई समझते हैं, शून्य के बराबर सोचते हैं और दोगुनी प्रतिक्रिया करते हैं। मौजूदा मामले में भी यही हुआ लगता है।’ अदालत ने कहा कि इस मामले में पति केवल शक से पीड़ित था। जस्टिस पारदीवाला ने अपने फैसले में भारत व ब्रिटेन में आत्महत्या के मामलों के इतिहास के बारे में ब्योरे से बताया। उन्होंने कहा कि भारत में सती प्रथा को रोकने के मकसद से आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला शुरू किया गया था।