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हारी हुई बाजी जीतना जानते हैं मोदी, UP-गुजरात के बाद अब कर्नाटक में उतरे

नई दिल्ली। कर्नाटक चुनाव में बीजेपी के सबसे बड़े स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मैदान में आ गए हैं. हर बार की तरह कर्नाटक में भी बीजेपी के लिए मोदी सबसे बड़ी उम्मीद हैं. इस उम्मीद का कारण भी है. मोदी हारी हुई बाजी जीतने के लिए जाने जाते हैं. यूपी और गुजरात में उन्होंने ऐसा करके दिखाया है और अब वे कर्नाटक में सियासी रण में उतरे हैं. देखना होगा कि राज्य में बीजेपी की उम्मीदों पर वो कितना खरा उतर पाते हैं.

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जहां कांग्रेस सिद्धारमैया के नेतृत्व में मैदान में उतरी है, वहीं बीजेपी ने बीएस येदियुरप्पा पर दांव खेला है. सिद्धारमैया अपने पांच साल के कार्यकाल में राज्य में मजबूत नेता बनकर उभरे हैं. बीजेपी के गुजरात मॉडल की तर्ज पर उन्होंने कर्नाटक का विकास मॉडल तैयार किया है. बीजेपी के मजबूत वोटबैंक लिंगायत समुदाय को अपने पाले में करने के लिए उन्होंने इस वर्ग को अलग धर्म का दर्जा देने को भी हरी झंडी दे दी.

सिद्धारमैया को घेरने के लिए बीजेपी ने अपने सारे संसाधन झोंक दिए हैं लेकिन सियासी माहौल को अपने पक्ष में करने के लिए उसका सबसे बड़ा सहारा मोदी ही हैं. खासकर तब जबकि तमाम ओपिनियन सर्वे बीजेपी की कांग्रेस से कड़ी टक्कर का ऐलान कर रहे हैं.

पीएम मोदी को राज्य में 15 से अधिक चुनावी रैलियों को संबोधित करना है. इन रैलियों के जरिए मोदी के मुख्य निशाने पर सिद्धारमैया और राहुल गांधी ही रहने वाले हैं. पार्टी ने उनकी रैलियों का रोडमैप ऐसा बनाया है जिसके जरिए राज्य की करीब 200 विधानसभा सीटें कवर होंगी.

मोदी पहले चरण में 48 सीटें कवर करेंगे. उनके दौरे की शुरुआत चामराजनगर से हुई. यहां से उन्होंने चामराजनगर, मैसूर और मांड्या की 22 सीटों को कवर किया. इसके बाद मोदी उडुपी और चिक्कोद में सभा को संबोधित करेंगे, जिनके तहत 26 सीटें आती हैं.

मोदी अपने दूसरे चरण के प्रचार में 47 सीटें कवर करेंगे. वे 3 मई को कलबुर्गी, बेल्लारी और बेंगलुरु में सभाएं करेंगे. तीसरे चरण के मोदी 49 विधानसभा सीटों को कवर करेंगे. वे 5 मई को टुमकुर, शिवमोगा (शिमोगा) और गड़ाग में सभाएं करेंगे. इसके बाद 7 रायचूर, चित्रदुर्ग, कोलार और 8 मई को विजयवाड़ा, मेंगलुरु में सभाएं करेंगे. इसके जरिए वे राज्य की 65 सीटों को कवर करेंगे.

गौरतलब है कि मोदी के गृहराज्य गुजरात में पिछले साल विधानसभा चुनाव हुए थे. कांग्रेस ने यहां शुरू से ही बीजेपी के खिलाफ किलेबंदी कर रखी थी. बीजेपी बैकफुट पर थी. किसान, पाटीदार और व्यापारी हर तबके से बीजेपी विरोधी सुर सुनाई दे रहे थे. माना जा रहा था कि गुजरात में बीजेपी के लिए सत्ता में वापसी की राह मुश्किल होगी. ऐसे माहौल में नरेंद्र मोदी चुनावी रणभूमि में उतरे और उन्होंने एक दिन में चार-चार रैलियां करके चुनावी माहौल को अपने पक्ष में कर लिया. मोदी ने गुजरात में कुल 37 रैलियों को संबोधित किया.

गुजरात की तरह यूपी में भी बीजेपी की जीत की नींव रखने का काम नरेंद्र मोदी ने किया. सूबे के सियासी फिजा साफ नहीं थी और कांग्रेस से गठबंधन के बाद ऐसा लग रहा था कि एक बार फिर अखिलेश यादव अपनी सत्ता को बरकरार रखने में कामयाब हो जाएंगे. लेकिन मोदी सियासी समर में उतरे और उन्होंने ताबड़तोड़ 24 चुनावी रैलियां करके राज्य में बीजेपी के सत्ता के वनवास को खत्म कर दिया.

पीएम मोदी ने महाराष्ट्रा में 27 रैलियां की. उसके बाद असम में 15, झारखंड में 14 और हरियाणा में 11  रैलियां करके हर जगह कमल खिलाने का काम किया. हालांकि मोदी ने बिहार में 31 रैलियां की लेकिन पार्टी को सत्ता में नहीं ला सके. बाद में महागठबंधन टूटने के बाद जेडीयू के साथ मिलकर उन्होंने राज्य में सरकार बनाई.