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हज यात्रा में महिलाओं के साथ यौन शोषण, सोशल मीडिया पर #MosqueMeToo मुहिम के तहत हो रहे हैं खुलासे

नई दिल्ली। इस खबर पर यकिन करना मुश्किल है, फिर ध्यान आता है कि हर समुदाय में मर्दों का नजरिया औरतों को लेकर लगभग एक जैसा ही रहता है, हज जो मुसलमानों के लिए सबसे पवित्र यात्रा है, इस यात्रा के दौरान खुदा की इबादत के अलावा और कोई ख्याल भी मन में आना गुनाह माना जाता है, उसी हज यात्रा के दौरान मुस्लिम महिलाओं का यौन शोषण किया गया, यौन शोषण को लेकर सोशल मीडिया पर मी टू मुहिम के बाद अब #MosqueMeToo मुहिम चल रही है, इस हैशटैग के साथ महिलाएं अपने साथ हज के दौरान हुई घटनाओं का जिक्र कर रही हैं। ये सोशल मीडिया पर तेजी से ट्रेंड कर रहा है। सोशल मीडिया पर जिस तरह से खुलासों की बाढ़ आ गई है वो बहुत कुछ कह रहा है।

सोशल मीडिया पर #MosqueMeToo मुहिम के तहत महिलाएं हज यात्रा के दौरान अपने साथ हुए यौन शोषण के बारे में बता रही हैं, इस मुहिम की शुरूआत लेखिका और पत्रकार मॉना ट्हावी ने की थी. उन्होंने 2013 में हज के दौरान उनके साथ हुई यौन शोषण की घटना का जिक्र #MosqueMeToo के साथ किया। ट्वीटर पर उनके खुलासे के बाद कई और महिलाएं सामने आई हैं, जिन्होंने अपना अनुभव शेयर किया है। माना ने लिखा कि एक मुस्लिम महिला ने उनका ट्वीट पढ़ने के बाद उनकी मां के साथ हुए यौन शोषण का अनुभव बताया। उस महिला ने एक कविता भेजी थी, जिसे पढ़कर उनकी आंख में आंसू आ गए थे। इसके बाद तो दुनिया भर में इस हैशटैग के साथ लोग अपने अनुभव शेयर करने लगे।

दुनिया भर में ये हैशटैग 2000 से ज्यादा बार इस्तेमाल किया गया,वो भी 24 घंटे के अंदर, एक महिला ने अपना अनुभव बताते हुए ट्वीटर पर लिखा कि भीड़ में उन्हे कुछ लोगों ने गलत तरीके से छूने की कोशिश की थी। एक और यूजर हैं एंग्गी लेगोरियो जिन्होंने ट्वीट किया कि उन्होंने  #MosqueMeToo के बारे में पढ़ा. इसके बाद 2010 में हज यात्रा की भयानक यादें फिर से ताजा हो गईं। उन्होंने लिखा कि लोगों को लगता है कि मक्का मुसलमानों के लिए एक पवित्र जगह है, इसलिए वहां कोई कुछ ग़लत नहीं करेगा. ये धारणा पूरी तरह से गलत है। इस मुहिम के आने के बाद से ही ये सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या वाकई में हज महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है।

अनुमान के मुताबिक लगभग 20 लाख मुसलमान हर साल हज के लिए जाते हैं. इससे पवित्र माने जाने वाले मक्का शहर में लोगों की भारी भीड़ इकट्ठी हो जाती है. #MosqueMeToo मुहिम के तहत लोग कह रहे हैं कि हज में महिलाएं पूरी तरह से कपड़ों में ढकी होती हैं, उसके बाद भी उनके साथ गलत व्यवहार होता है, यौन शोषण होता है। अब ये सवाल भी खड़ा होने लगा है कि हिजाब के बाद भी जब यौन शोषण हो सकता है तो हिजाब की क्या जरूरत है। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इस मुहिम के खिलाफ हैं, ये लोग यौन शोषण के मुद्दे को सोशल मीडिया पर डालने के लिए पत्रकार मॉना ट्हावी की आलोचना कर रहे हैं, कह रहे हैं कि उन्होंने इस्लाम को बदनाम किया है। सच्चाई बताना बदनामी कैसे हो सकता है।

A Muslim woman emailed me after she read my thread about being sexually assaulted at Haj to share her mother’s experience with sexual assault at Haj. She sent me a poem that broke all the pieces I though I had stitched together. I was crying as I replied to her.