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सुप्रीम कोर्ट ने पीएम मोदी की तुलना चर्चित कामचोर ‘रिप वान विंकल’ से की और लगाई फटकार

नई दिल्ली। अभी पीएमओ की ओर एक आरटीआई के जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिना छुट्टी लिए 24 घंटे 365 दिन काम करने की खबरें सामने आई थीं। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार की तुलना कुंभकर्ण से की है। कोर्ट ने उनकी तुलना 19वीं सदी की एक कहानी के चर्चित कामचोर पात्र रिप वान विंकल से की है। कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा है कि केंद्र सरकार इन दोनों पात्रों की तरह ही बर्ताव कर रही है।

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस आरएफ नरीमन की बेंच ने केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को डांट लगाने की दौरान केंद्र सरकार को भी इन दोनों विशेषणों से नवाजते हुए फटकारा। सुप्रीम कोर्ट की त्यौरियां केंद्र सरकार और पर्यावरण मंत्रालय की लापरवाहियों पर चढ़ी हुई हैं। गुरुवार का मामला एक रिपोर्ट से जुड़ा है, जिसे पर्यावरण मंत्रालय को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश करना था।

सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण मंत्रालय को दो महीने के अंदर उत्तराखंड में अलकनंदा और भागीरथी नदी पर चल रहे 24 हाइड्रो-इलेक्ट्रिक प्रॉजेक्ट्स के बायॉडायवर्सिटी इंपैक्ट (जैवविविधता प्रभाव) के संबंध में रिपोर्ट मांगी थी। एपेक्स कोर्ट ने रिपोर्ट के इंतजार में इन सभी प्रॉजेक्ट्स पर रोक लगा रखी है।

गुरुवार को रिपोर्ट पेश नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सरकार से कड़े लहजे में कहा, ‘रिपोर्ट को यहां होना चाहिए था। आप (केंद्र सरकार) कुंभकर्ण की तरह व्यवहार कर रहे हैं। हम यह समझने में नाकाम हैं कि आखिर केंद्र सरकार ने हमारे सामने रिपोर्ट पेश क्यों नहीं की। आपकी (केंद्र) मंशा क्या है? आपको काफी समय दिया जा चुका है। आप ‘रिप वान विंकल’ जैसे ही हैं।

19वीं सदी की एक कहानी के पात्र रिप वान विंकल की प्रतीकात्मक तस्वीर। वान अपनी कामचोरी के लिए प्रसिद्ध था। कहानी के मुताबिक वह लगभग 20 साल तक सोता रहा था।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने हाइड्रो-इलेक्ट्रिक प्रॉजेक्ट्स के साथ-साथ जैवविविधता को भी महत्वपूर्ण ठहराते हुए, दोनों के बीच एक संतुलन की जरूरत पर बल दिया। सरकार से कोर्ट ने सवाल पूछा कि आखिर यह संतुलन कैसे मेंटेन किया जाएगा। इस मामले के कुछ पक्षों, जिनमें भरत झुनझुनवाला और एनजीओ के वकील प्रशांत भूषण, कोलिन गोंजाल्वेज भी शामिल हैं, ने बताया कि कोर्ट ने हाइडल प्रॉजेक्टस के प्रभावों की जांच के लिए 13 सदस्यों की एक एक्सपर्ट कमिटी बनाई थी।

आपको बता दें इससे  पहले बसपा सुप्रीमो मायावती भी पीएम मोदी को कुंभकर्ण बता चुकी हैं। मायावती ने 8 अगस्त 2016 को गोरक्षकों पर दिए बयान को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला था। मायावती ने कहा था कि दो साल से गोरक्षक मुस्लिमों और दलितों को निशाना बना रहे थे और प्रधानमंत्री मोदी कुंभकर्ण की तरह सो रहे थे।