Breaking News

सुप्रीम कोर्ट ने एक उच्चाधिकार समिति का गठन किया, जो शंभू सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर गौर करेगी

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक उच्चाधिकार समिति का गठन किया जो शंभू सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर गौर करेगी। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली समिति फरवरी 2024 से अंबाला की शंभू सीमा के पास डेरा डाले हुए किसानों की चिंताओं का समाधान करेगी। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने समिति को एक सप्ताह के भीतर अपनी पहली बैठक बुलाने का निर्देश दिया।

शीर्ष अदालत ने कहा कि किसान अपने शांतिपूर्ण आंदोलन को वैकल्पिक स्थलों पर स्थानांतरित करने के लिए स्वतंत्र होंगे। सुप्रीम कोर्ट हरियाणा सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें उसे अंबाला के पास शंभू सीमा पर लगाए गए बैरिकेड्स को एक सप्ताह के भीतर हटाने के लिए कहा गया था, जहां प्रदर्शनकारी किसान 13 फरवरी से डेरा डाले हुए हैं।

शीर्ष अदालत ने मामले पर बेहतर समझ हासिल करने के लिए न्यायमूर्ति नवाब सिंह की अगुवाई वाली समिति को प्रदर्शनकारी किसानों से मिलने और उनकी मांगों को सुनने का निर्देश दिया है। SC ने समिति से कहा कि वह पहुंचे और किसानों से शंभू सीमा क्षेत्र से अपने ट्रैक्टर हटाने का अनुरोध करें। अदालत ने किसी को भी इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने के खिलाफ चेतावनी दी। समिति को इस मामले पर चरणबद्ध तरीके से विचार करने का आदेश दिया गया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि उसे उम्मीद है कि समिति अगली सुनवाई पर अग्रिम स्थिति रिपोर्ट रिकॉर्ड पर पेश करेगी।

उसने समिति से यह भी कहा कि आंदोलनकारी किसानों से संपर्क साधे और उनसे तत्काल पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू सीमा से ट्रैक्टर और ट्रॉली आदि हटाने को कहा जाए ताकि आम यात्रियों को राहत मिले। पीठ ने कहा कि पंजाब और हरियाणा की सरकारें समिति को सुझाव देने के लिए स्वतंत्र होंगी। समिति में सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी पी एस संधू, देवेंद्र शर्मा, प्रोफेसर रंजीत सिंह घुमम्न और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के कृषि अर्थशास्त्री डॉ सुखपाल सिंह शामिल हैं।