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…वाजपेयी सरकार में अयोध्या विवाद सुलझाने के करीब पहुंच गए थे शंकराचार्य

नई दिल्ली। कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य जगद्गुरु स्वामी जयेन्द्र सरस्वती बुधवार को चिरनिद्रा में सो गए. 83 वर्षीय जयेंद्र सरस्वती एक समय अयोध्या मामले के हल के लिए काफी सक्रिय थे, और उनका दावा था कि इस मसले का हल निकालने के काफी करीब पहुंच गए थे.

माना जाता है कि पिछली एनडीए सरकार के समय शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को अटल बिहारी वाजपेयी का समर्थन हासिल था. इस संबंध में स्वयं जयेंद्र सरस्वती ने साल 2010 में ये दावा किया था कि वाजपेयी के नेतृत्व वाली तत्कालीन राजग सरकार अयोध्या विवाद के समाधान के बिल्कुल करीब पहुंच गई थी और इस उद्देश्य से एक कानून भी बनाने वाली थी.

हालांकि ये संयोग ही है कि ऑर्ट ऑफ लिविंग के प्रमुख श्रीश्री रविशंकर मौजूदा समय में बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार में अयोध्या मामले के हल के लिए कोर्ट के बाहर समझौते की खातिर प्रयास कर रहे हैं.

जयेंद्र सरस्वती ने 2010 में दावा किया था कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और हिन्दू संगठनों के प्रतिनिधियों से समुचित सलाह-मशविरे के बाद तत्कालीन वाजपेयी सरकार ने वर्ष 2002 में कानून बनाकर अयोध्या विवाद के समाधान का रास्ता निकाल लिया था.’

शंकराचार्य के मुताबिक वाजपेयी ने इस सम्बन्ध में राष्ट्रपति से भी मुलाकात की थी और संसद में कानून बनाकर समस्या के समाधान के लिये वक्तव्य देने का रास्ता साफ हो गया था. यह बताते हुए कि अयोध्या विवाद के हल में तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

अयोध्या विवाद के हल के लिए दी थी 6 जुलाई 2003 की तारीख

राजग सरकार के कार्यकाल में दोनों पक्षों के बीच बातचीत से अयोध्या विवाद का समाधान निकालने के प्रयासों में शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती की केन्द्रीय भूमिका थी. जयेंद्र सरस्वती ने उम्मीद जताई थी कि छह जुलाई 2003 तक अयोध्या मुद्दे का हल निश्चित रूप से निकाल लिया जाएगा.

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के तत्कालीन चेयरमैन सैयद राबे हसन नदवी ने इस बात को स्वीकार किया था कि उन्हें शंकराचार्य से एक चिट्ठी मिली थी, जिसमें अयोध्या विवाद को सुलझाने के कुछ सुझाव पेश किए गए थे. हालांकि ये सुझाव कभी सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आए.

आखिर क्यों विफल हो गया शंकराचार्य का प्रयास

हालांकि यह प्रयास इसलिये विफल हो गया क्योंकि इसे अमली जामा पहनाए जाने से 15 दिन पहले ही अयोध्या विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक वाद दाखिल हो गया.’

शंकराचार्य जीवन भर यह दावा करते रहे कि उनके पास अयोध्या विवाद के समाधान का ऐसा फार्मूला है जो सभी पक्षों को मान्य होगा. हालांकि उन्होंने कभी इसका खुलासा नहीं किया. उनका कहना था कि यदि समय से पहले इसे सार्वजनिक कर दिया गया तो समाधान के रास्ते में रुकावटें आ सकती हैं.

14 मार्च से होने वाली है अयोध्या केस की सुनवाई

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट 14 मार्च से अयोध्या मामले की सुनवाई करने वाला है. श्रीश्री रविशंकर कोर्ट के बाहर समझौते की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और अन्य पक्षों का कहना है कि मामला कोर्ट में है और कोर्ट का फैसला ही मान्य होगा. बावजूद इसके मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य रहे मौलाना नदवी, शिया वक्फ बोर्ड के चीफ वसीम रिजवी जैसे लोग कोर्ट के बाहर समझौते के लिए प्रयास कर रहे हैं.