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रेडियो स्टेशन से ऐलान, गैर-मुस्लिम डॉक्टरों की यह सलाह मत सुनना!

नई दिल्ली। ईस्ट मिडलैंड्स का एक रेडियो स्टेशन अपने श्रोताओं को एक अनोखी सलाह प्रसारित कर विवादों के घेरे में आ गया है. इस रेडियो स्टेशन पर एक इस्लामिक विद्वान ने श्रोताओं को उन डॉक्टरों की सलाह को नजरअंदाज करने के लिए कहा था जो मुस्लिम नहीं हैं. इस फोन-इन-शो में सलाह देने वाले स्कॉलर को ‘मुफ्ती’ बताया गया था. उन्होंने श्रोताओं से कहा कि गैर-मुस्लिम डॉक्टरों की सलाह पर डायबिटीज के मरीज रमजान के दिनों में रोज़ा रखना नहीं छोड़ें.

नियामक संस्था ऑफकॉम को इस शो के संबंध में एक शिकायत मिली जिसमें श्रोताओं को इस्लाम से संबंधित मुद्दों पर सलाह मांगने के लिए कहा गया था. नॉटिंगम रेडियो स्टेशन पर शो के दौरान डायबिटीज के साथ रोज़ा रखने पर चर्चा हो रही थी. मुफ्ती ने एक कॉलर को बताया कि अगर कोई गैर-मुस्लिम डॉक्टर सलाह दे रहा है तो उनकी सलाह पर बिल्कुल भी ध्यान देने की जरूरत नहीं है क्योंकि उनकी सलाह कोई मायने नहीं रखती है.यह शो पंजाबी में प्रसारण करता है. रेगुलेटर ऑफकॉम ने इसे ‘काफी हानिकारक’, भेदभाव और घृणा पैदा करने वाला और आपत्तिजनक पाया है. इस रेडियो स्टेशन को वॉलंटियर्स चलाते हैं. करीमिया इंस्टीट्यूट जहां यह कम्युनिटी रेडियो स्टेशन स्थित है, ने अभी तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

दरअसल कॉलर यह जानना चाहता था कि इस्लामिक कानून के अंतर्गत डायबिटीज के मरीज को रोज़ा के दौरान इंसुलिन लेने की इजाजत कब दी गई है. इस्लामिक स्कॉलर ने बताया, ‘देखिए, अगर डॉक्टर मुस्लिम है और धार्मिक है तो उसकी सलाह मायने रखती है लेकिन अगर वह मुस्लिम नहीं है.. एक गैर-मुस्लिम आपको थोड़ा सा सिर दर्द होने पर भी रोज़ा छोड़ने की सलाह ही देगा. आपको बस यह देखना है कि सलाह देने वाला कौन है? एक मुस्लिम डॉक्टर जो धार्मिक है, कभी भी आपको गलत सलाह नहीं देगा.’

मुफ्ती ने आगे कहा कि डायबिटीज से थोड़ा परेशान लोगों को रोज़ा छोड़ने की इजाजत नहीं दी गई है.

ऑफकॉम के एक प्रवक्ता ने कहा, हमने जांच में पाया कि डायबिटीज के मरीजों को रोज़ा रखने के लिए प्रेरित करना और मेडिकल परामर्श को नजरअंदाज करने की सलाह देना बहुत ही खतरनाक और आपत्तिजनक है. ऑफकॉम ने एक श्रोता की शिकायत के बाद जांच के आदेश दे दिए थे. ऑफकॉम ने पाया कि स्टेशन ने प्रसारण के दो नियमों का उल्लंघन किया है. प्रसारित सामग्री नुकसानदेह होने के साथ-साथ आपत्तिजनक भी है.

नॉटिंगम अहमदिया मुस्लिम समुदाय के सदस्य डॉक्टर इरफान मलिक ने कहा, ‘मेडिकल परामर्श केवल एक क्वालिफाइड मेडिकल प्रैक्टिसनर से ही ली जानी चाहिए. उन्होंने कहा, आपको मुस्लिम और गैर-मुस्लिम डॉक्टरों के बीच भेदभाव नहीं करना चाहिए. डॉक्टरी के पेशे में धार्मिक विश्वास नहीं आने चाहिए क्योंकि अंत में एक मेडिकल सलाह मेडिकल ही होती है.’