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रजनी के कांधे कमल खिलाने की चुनौती तो अखिलेश को बब्बू से साइकिल दौड़ाने की आस

हरदोई/शाहाबाद। उत्तर प्रदेश 2022 के विधानसभा रण में जीत के लिए तर्कसों में तीरों को कस चुके प्रत्याशियों के भाग्यों का फैसला हरदोई की जनता 23 फरवरी को कर देगी। यूपी की सत्ता में विजय के लिये शाहाबाद से इस बार भाजपा की ओर से वर्तमान विधायक रजनी तिवारी, बसपा से एबी सिंह तो वहीं सपा सिंबल से पूर्व विधायक व पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष आसिफ खां बब्बू चुनाव मैदान मे ताल ठोक रहे हैं। निर्दलीय अखिलेश पाठक जहां मैदान में है तो वहीं कांग्रेस ने डॉक्टर अज़ीमुश्शान को अपना प्रत्याशी बनाया है।भाजपा की ओर से प्रत्याशी बनायी गयी मौजूदा विधायक रजनी तिवारी के टिकट फाइनल होने के बाद शाहाबाद में भाजपा के लिए राजनीति का मौसम कुछ सुहाना नही दिखाई दे रहा था और भाजपा टिकट के दावेदार रहे अखिलेश पाठक के बगावती तेवर भाजपा के सिरदर्द को बढ़ाने का ही काम कर रहे थे। भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने हालांकि बगावत करके भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले अखिलेश पाठक को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है लेकिन इससे भी भाजपा प्रत्याशी रजनी तिवारी की मश्किलें कम नही हो पा रही हैं। भाजपा प्रत्याशी रजनी तिवारी पर बाहरी होने का आरोप सपा बसपा कांग्रेस व निर्दलीय अखिलेश पाठक लगातार लगा रहे है तो वहीं इन आरोप से बचने के लिए सिटिंग एमएलए को कुछ दिनों पहले आंसू तक बहाकर सफाई देनी पड़ी थी। सिटिंग एमएलए और शाहाबाद से भाजपा प्रत्याशी के सियासी आंसुओं का लाभ अब भाजपा को मिलता हुआ दिखाई दे रहा है और विधायिका के आंसू लोगों को एकजुट कर भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने के लिए विवश कर रहें हैं। भाजपा प्रत्याशी रजनी तिवारी जहां शाहाबाद में किये गए विकास कार्यों के नाम पर जनता से वोट की अपील कर रही हैं तो वहीं विपक्षी उनको निष्क्रिय बताकर उनके दावों में पलीता लगाने का प्रयास कर रहे हैं। भाजपा प्रत्याशी रजनी तिवारी का महिला होना व उनका सरल स्वभाव लोगों को उनके प्रति आकर्षित करने का काम कर रहा है।
शाहाबाद नगर के स्थानीय निवासी बतातें है कि विधायिका ने क्षेत्र में विकास कार्य कराकर भले ही सभी को सन्तुष्ट न कर पाया हो लेकिन उन्होंने किसी का नुकसान करने का प्रयास नही किया। एक और स्थानीय व्यक्ति बतातें हैं कि सपा प्रत्याशी आसिफ खान बब्बू जब बसपा से विधायक हुआ करते थे तो एक वर्ग के लोग हावी रहते थे और बब्बू ने कई गरीब कमजोर लोगों की जमीनों को जबरिया अपने नाम करा लिया या उन पर कब्जा कर लिया था जिसके कारण वह इस बार भी सपा को वोट नही देने जा रहे हैं। स्थानीय नागरिक का कहना है कि इस बार भईया बहुत तगड़ी फाइट है और अखिलेश पाठक के चुनाव लडिबेक कारण रजनी तिवारी की सीट निकरीबो मुश्किल लगती है लेकिन बब्बू के कार्यकाल में उनके समर्थकों के आतंक को देखने वाले न चाहकर भी रजनी तिवारी को ही वोट देंगे। एक स्थानीय जनप्रतिनिधि बतातें है कि चुनाव के समय सब जनता के हितैषी होते है लेकिन चुनाव जीतने के बाद लोग जनता को भूलकर अपनी मनमर्जी करते है और यही काम विधायक रजनी तिवारी ने भी किया। उन्होंने अपने विधायकी के कार्यकाल में केवल अपनी जाति के लोगों को ही महत्व देकर उनके ही काम किये और विधानसभा क्षेत्र के सभी ब्लॉक प्रमुख अपनी ही जाति के लोगों को बनाया। सपा प्रत्याशी आसिफ खान बब्बू भी कोई खास कमजोर नही दिखाई दे रहे हैं और उन्हें भी 69 हजार मुस्लिम मतदाताओं के साथ साथ 22 हजार क्षत्रिय, 24 हजार यादव मतदाताओं व अन्य जातियों का भी अच्छा साथ मिलता हुआ दिखाई दे रहा है। भाजपा से असंतुष्ट चल रहे कश्यप समाज के करीब 20 हजार मतदाता भी इस बार बहुत महत्वपूर्ण हो गए हैं और अभी इनके रुझान का स्पष्ट न होना सपा भाजपा दोनों दलों की सियासी धुकधुकियाँ बढ़ा रही है। यूंतो कश्यप मतदाता निषाद आरक्षण के अपने मुद्दे के हल न होने के कारण अंदरखाने गुस्से में हैं लेकिन मोदी योगी के नाम पर वह भाजपा से परहेज करता हुआ भी नही दिखाई दे रहा है जिसका सीधा लाभ भाजपा प्रत्याशी रजनी तिवारी को मिल सकता है। क्षेत्रीय लोग कहते हैं कि वह निर्दलीय प्रत्याशी अखिलेश पाठक को पसंद करते हैं लेकिन उनके चुनाव जीतने की स्थिति में न होने के कारण वह असमंजस में है कि वह उन्हें वोट दें या भाजपा की रजनी तिवारी को। शाहाबाद विधानसभा में हिंदुत्व भी एक बड़ा मुद्दा दिखाई दे रहा है और बहुसंख्यक समाज के अधिकतर लोग सपा प्रत्याशी के मुस्लिम होने के कारण उनके पक्ष में मतदान नही करना चाह रहे हैं इसका लाभ भी भाजपा प्रत्याशी रजनी तिवारी को ही मिलता हुआ दिखाई दे रहा है। बसपा उम्मीदवार एबी सिंह भी 60 हजार से अधिक दलित व 34 हजार प्लस के करीब लोध वोटबैंक के सहारे सपा भाजपा को कड़ी टक्कर देकर मामले को रोचक बनाये हुए हैं तो वहीं कांग्रेस प्रत्याशी अज़ीमुश्शान मुस्लिम मतदाताओं में अच्छी पैठ रखते हैं जोकि सपा प्रत्याशी आसिफ खान बब्बू के लिए कतई शुभ संकेत नहीं माना जा रहा है। स्थानीय लोग यहां तक बतातें है कि कांग्रेस प्रत्याशी अज़ीमुश्शान जितना वोट पाएंगे उतना नुकसान सपा के बब्बू को होगा और उतना ही फायदा भाजपा प्रत्याशी रजनी तिवारी को होगा। लोग यह भी कहते हैं कि निर्दलीय प्रत्याशी बनकर चुनाव लड़ रहे अखिलेश पाठक भाजपा प्रत्याशी रजनी तिवारी की जीत में बड़ा रोड़ा साबित हो रहे हैं लेकिन उनके चुनाव जीतने आसार न के बराबर हैं। अखिलेश पाठक निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जितने वोट पाते है उतना नुकसान रजनी तिवारी को होगा जिसका सीधा लाभ सपा के आसिफ खान बब्बू को मिल सकता है। हालांकि बहुसंख्यकों का भाजपा के प्रति झुकाव सपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर भाजपा प्रत्याशी रजनी तिवारी की राहों को आसान करने का काम कर रहा है।अब आगे देखना होगा कि पिछले 2017 के विधानसभा चुनाव में आसिफ खान बब्बू को 4260 वोट से नजदीकी शिकस्त देकर विधानसभा पहुंचने वाली भाजपा की सिटिंग एमएलए व प्रत्याशी रजनी तिवारी इस बार भी सपा प्रत्याशी बने बब्बू को सियासी पटखनी दे पाती है या नही। या इस बार सपा की साइकिल पर सवार पूर्व विधायक आसिफ खान बब्बू BJP के कमल को रौंदते हुए विधानसभा में प्रवेश कर जाते हैं। बसपा का हाथी शाहाबाद विधानसभा में कितनी रफ्तार से दौड़ता हुआ दिखाई देगा और निर्दलीय अखिलेश पाठक व कांग्रेसी अज़ीमुश्शान जनता का कितना दिल जीत पाते हैं इसका फैसला भी 23 फरवरी को शाहाबाद की जनता कर देगी।