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मौत का BRD : बच्चे मरते हैं तो मरते रहें डॉक्टर्स लगे प्राइवेट प्रैक्टिस में

एक न्यूज़ चैनल ने अपने स्टिंग ऑपरेशन में डॉक्टरों के प्राइवेट प्रैक्टिस का किया बड़ा खुलासा

लखनऊ।  बीआरडी मेडिकल कालेज  गोरखपुर में बीती 10 अगस्त को ऑक्सीजन की कमी से 36 बच्चो की मौत का मंज़र अभी किसी की आंखों से उतरा नही है। अभी उन बच्चों की चिता की अग्नि शांत भी नही हुई है कि रोगियों के लिए भगवान माने जाने वाले मेडिकल कालेज और पूर्वांचल के सरकारी डॉक्टर्स ने अस्पताल छोड़  कर प्राइवेट प्रैक्टिस के माध्यम से अपनी जेब भरना शुरू कर दी है।जबकि पिछले 48 घंटो में मेडिकल कालेज में  42 और बच्चो की मौत हो चुकी है।

डॉ कफील जैसे डॉक्टर जो बच्चो के मसीहा बनकर बच्चो की मौत वाली काली रात को गैस सिलेंडर लेकर अचानक प्रकट हो गए थे आज अपने जुर्म को स्वीकार न कर पुलिस की आँखों से बचते फिर रहे है तथा फरार घोषित है। मेडिकल कालेज के प्रधानाचार्य को उनकी पत्नी समेत कानपुर स्टेशन से कल गिरफ्तार कर लिया गया है। एसटीएफ ने कफील के घर पर दो बार छापे मारे है पर वह बच निकलने में सफल हुए है। कफील उस रात न तो ड्यूटी पर थे,न  उनके हितैषियों के अनुसार वे प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे थे और न अपने घर पर थे तो  थे कहाँ ? अभी किसी ने इस ओर ध्यान नही दिया है कि इतनी जल्दी ऑक्सीजन की कमी सुनकर सिलेंडर सहित जैसे प्रकट हो गये।

एक न्यूज़ चैनल ने गोरखपुर और कुशीनगर में सरकारी डॉक्टरों द्वारा प्राइवेट प्रैक्टिस द्वारा रुपयों से जेब भरने का स्टिंग ऑपरेशन किया था। गोरखपुर  मेडिकल कालेज के दो डॉ आर के शाही व डॉ सुभाष के अलावा कुशीनगर के उप मुख्य  चिकितसाधिकारी डॉ ताहिर को प्राइवेट प्रैक्टिस में बकायदा लिप्त पाया है।

न्यूज़ चैनल ने दावा किया है कि उनके पास सरकारी डॉक्टर्स के हस्त लिखित पर्चे और वीडियो रिकार्डिंग मौजूद है जिसे वे राज्य सरकार और केंद्र सरकार के संबंधित अधिकारियो तंक को देने को तैयार है। उन्होंने डॉक्टर्स की हैंड राइटिंग की फॉरेंसिक जांच कराए जाने की भी बात कही है।

प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ मेडिकल कालेज के दोषीयो को ऐसी सज़ा देने की बात कह चुके है जिसे सब देखते रह जाएंगे। अब देखना यह है कि मुख्य मंत्री इस  स्टिंग ऑपरेशन आधार पर डॉक्टर शाही,डॉ सुभाष और डॉ ताहिर के विरुद्ध कितनी कड़ी कार्यवाही करते है। आज होने वाली मुख्य मंत्री की कार्यवाही से निश्चित रूप से दूसरे सरकारी डॉक्टरों को नसीहत मिल सकेगी ।