नई दिल्ली। 2014 में इराक के मोसुल में गायब हुए 39 भारतीय अब इस दुनिया में नहीं रहे. इस बात की जानकारी खुद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में दी. सुषमा स्वराज ने कहा कि लापता भारतीयों की आईएसआईएस ने हत्या की है.
पहाड़ खोदकर भारतीयों के शव निकाले गए. सभी 39 शवों को अमृतसर लाया जाएगा और तो और 39 में 38 शवों के डीएनए सैंपल मैच भी हुए हैं. जनरल वीके सिंह इराक में मारे गए भारतीयों के पार्थिव शवों को भारत वापस लाने के लिए जाएंगे. लेकिन इस सब के बीच एक सवाल ये भी खड़ा होता है कि आखिर सरकार को इस बात की पुष्टि करने में इतनी देरी क्यों हुई…
सुषमा ने अपने बयान में कहा कि हरजीत मसीह की कहानी सच्ची नहीं थी. पर गौर करने वाली बात ये है कि मसीह ने भी कहा था कि 39 भारतीय नागरिकों को आईएस ने मार डाला है. और सुषमा भी अब तीन साल बाद यही बात कह रही हैं. लेकिन अभी तक उन्हें मसीह पर यकीन क्यों नहीं है?
आईएस ने भारतीयों और बांग्लादेशियों को अलग-अलग रखने को कहा था. और मसीह ने अपना नाम बदलकर कुछ जुगाड़ लगाया और वो बांग्लादेशियों के साथ इरबिल निकल गया. सुषमा ने कहा कि मसीह की कहानी झूठी है क्योंकि मेरे पूछने पर कि आप इरबिल कैसे पहुंचे तो उसने इसका कोई जवाब नहीं दिया. बस इतना कहा कि आप मुझे यहां से निकालो.
सुषमा ने पूरे देश को बताकर ये तो साफ कर दिया कि अब वो 39 भारतीय नागरिक नहीं रहे. लेकिन वो ये बताना भूल गईं कि इन 39 भारतीयों की हत्या कब की गई? हत्या की खबर की पुष्टि होने में 3 साल का वक्त क्यों लग गया? इन तीन सालों में सरकार ने ऐसी क्या-क्या कार्रवाई की जिसके दम पर वो देश को लगातार उनके जिंदा होने का भरोसा दिया जा रहा था? आखिर क्यों मसीह की बात को तवज्जो नहीं दी गई? देश-विदेश में मुसीबत में घिरे भारतीयों की मदद करने वाली सुषमा स्वराज ने एक बहन, मां, पत्नी और बच्चों के भरोसे की उम्मीद तीन सालों तक जगाए रखी और आज अचानक से तोड़ दी.
इराक में लापता 39 भारतीयों में से एक मनजिंदर सिंह की बहन गुपिंदर कौर ने सुषमा से पूछा है कि आखिर क्यों वो चार सालों से बोल रही थी कि मेरा भाई जिंदा है? मैं किस पर विश्वास करूं. मैं उनसे बात करना चाहती हूं. हमें आज तक किसी तरह की जानकारी नहीं दी गई है. हमें जो भी जानकारी मिली वो सिर्फ संसद में उनके बयान के जरिए ही हासिल हुई.
सुषमा स्वराज लगातार इराक में लापता भारतीयों पर अपडेट देती रही हैं. लेकिन इतने सालों में एक बार भी उन्होंने साफ तौर पर इस स्थिति के बारे में कुछ नहीं बोला. सच क्या था, उम्मीद क्यों जगाए रखी गई, मसीह की कहानी पर अब भी यकीन क्यों नहीं… इन सभी सवालों के जवाब विदेश मंत्री को देने चाहिए. उन्हें बताना चाहिए कि आखिर इतने सालों तक किस आधार पर उन्होंने लोगों की उम्मीदों को जिंदा रखा…