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माायवती ने काशीराम को किया था तो अब अखिलेश ने पिता मुलायम को किया नजरबंद !

लखनऊ/नई दिल्ली। बुढ़ापे में बसपा संस्थापक काशीराम को नजरबंद कर पार्टी की बागडोर हाथ में लेने के जिस आरोप का सामना कभी मायावती कर चुकी हैं, अब वही आरोप अखिलेश यादव पर लगा है। लोकदल के अध्यक्ष सुनील सिंह का आरोप है कि चुनाव आयोग से साइकिल चिह्न मिल जाने के बाद से अखिलेश ने मुलायम को नजरबंद कर दिया है। ताकि शिवपाल एंड कंपनी उन्हें भड़काकर उनके खिलाफ फिर कोई खुराफात न करे। सुनील ने इस बाबत गृहमंत्रालय को पत्र लिखकर मुलायम को नजरबंद से मुक्ति दिलाने की मांग की है।

सुनील सिंह का कहना है कि समाजवादी पार्टी में कलह के दौरान हर रोज मुलायम की ओर से बयान आता था। मगर जब से आयोग ने चुनाव चिह्न को लेकर फैसला दिया है और पार्टी पर अखिलेश का कब्जा हुआ तो मुलायम नेपथ्य में चले गए हैं। तब से बाहर कहीं नहीं दिखे हैं। न ही उनकी ओर से कोई बयान जारी हुआ है। जबकि इस समय विधानसभा चुनाव जैसा कीमती वक्त है। ऐसे में सियासत के पहलवान के चुप रहने पर बहुत सवाल खड़े होते हैं।

कहीं इसलिए तो नहीं कराया नजरबंद

आपको याद होगा। अखिलेश यादव ने अधिवेशन में  में कहा था कि नेताजी से जो चाहे कोई भी कुछ भी दस्तख्वत करा ले। एक आदमी टाइपराइटर लेकर हमेशा मौजूद रहता है। वही कुछ भी टाइप कराकर हस्ताक्षर कराकर लेटर जारी कर दे रहा है। इस पर अधिवेशन में रामगोपाल के प्रस्ताव पर अखिलेश को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने का फैसला हुआ। ताकि सारे अधिकार अखिलेश को मिल जाएं। इससे इस बात को बल मिल रहा है कि कहीं आगे मुलायम को मोहरा बनाकर शिवपाल, अमर सिंह कोई चाल न चलें, इससे बचने के लिए अखिलेश ने मुलायम को नजरबंद करा दिया हो।