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मसूद अजहर पर फैसला आज, UNSC में ग्लोबल आतंकी के प्रस्ताव पर आपत्ति का आखिरी दिन

संयुक्त राष्ट्र। पाकिस्तान की शह में पल रहे आतंकी सरगना मसूद अजहर का क्या होगा इस पर आज शाम बड़ा फैसला हो जाएगा. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मसूद को ग्लोबल आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव पर आपत्ति दर्ज कराने का आज आखिरी दिन है. आज शाम तक सुरक्षा परिषद का कोई सदस्य मसूद के नाम पर आपत्ति नहीं जताता तो मसूद को ग्लोबल आतंकी घोषित करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.

पुलवामा हमले के बाद फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका ने मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित करने का प्रस्ताव रखा था. इस प्रस्ताव पर चीन ने अब तक कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई है. चीन का ताजा रूख उसके पुराने रिकॉर्ड से काफी अलग है, इससे पहले वीटो पॉवर का इस्तेमाल कर वो कई बार मसूद को बचा चुका है.

अमेरिका का मसूद अजहर पर बड़ा बयान
अमेरिकी विदेश विभाग प्रवक्ता रॉबर्ट पालडीनो ने कहा कि जैश-ए-मोहम्मद एक घोषित आतंकी संगठन है और उसका संस्थापक मसूद अजहर यूएन आतंकियों की फेहरिस्त में शामिल किए जाने की सभी ज़रूरतें पूरी करता है. ऐसे में अमेरिका यह सुनिश्चित करेगा कि यूएन के आतंकियों की सूची पूरी तरह अपडेट हो. पलाडीनो ने कहा कि क्षेत्रीय स्थिरता और शांति के मुद्दे पर चीन और अमेरिका एक राय हैं. ऐसे में मसूद अज़हर का नाम यदि नहीं जुड़ पाता है तो यह शांति व स्थिरता प्रयासों के खिलाफ होगा.

चीन ने कब ककब लगाया अड़ंगा?
चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में से एक है और इसलिए वीटो इस्तेमाल करने की शक्ति रखता है. वह बार-बार पाकिस्तान के लिए इस मामले में हस्तक्षेप करता है. उसने पहले मार्च 2016 और फिर अक्टूबर 2016 में भारत की कोशिशों को रोक दिया. 2017 में अमेरिका ने ब्रिटेन और फ्रांस के समर्थन से संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध समिति 1267 में एक प्रस्ताव पारित किया था जिसमें पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन के प्रमुख पर प्रतिबंध की मांग की गई थी. इस प्रस्ताव पर चीन ने अड़ंगा लगा दिया था.

अजहर पर प्रतिबंध लगाने की भारत की कोशिश कब शुरू हुई?
जैश-ए-मोहम्मद ने जब पठानकोट में वायु सेना अड्डे पर हमले की जिम्मेदारी का दावा किया था तब भारत ने संयुक्त राष्ट्र से अपील की थी कि उसे वैश्विक आतंकी घोषित किया जाए. भारत ने यूएनएससी (संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद) की समिति के सामने अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित किए जाने की मांग की. बता दें कि मसूद अजहर को कंधार विमान अपहरण कांड के बाद अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार ने छोड़ दिया था.

चीन मसूद अजहर का समर्थन क्यों कर रहा है?
माना जा रहा है कि चीन और पाकिस्तान ‘ऑल वेदर फ्रेंड्स’ की तरह हैं. इसके साथ ही चीन भारत को एक प्रतियोगी और यहां तक ​​कि एक बड़े खतरे के रूप में भी देखता है. चीन का अजहर का समर्थन करना भारत को तकलीफ पहुंचाने और पाकिस्तान को खुश करने का एक तरीका है. इसके अलावा चीन और पाकिस्तान कई समझौतों के साझीदार भी हैं. चीन ने पाकिस्तान के साथ हाल में ही $51 बिलियन वन रोड वन बेल्ट (OROB) योजना सहित अन्य विकास परियोजनाओं में निवेश किया है.

एक अन्य कारण यह भी है कि 1950 में चीन ने तिब्बत पर कब्जा कर लिया था. इसके बाद 1959 में तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा को भारत ने शरण दी. चीन इस बात से भी खफा है, चीन का मानना है कि दलाई लामा चीन के लिए वही है जो भारत के लिए हाफिज सईद है.