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मनुष्य ही नहीं, भेड़, बकरियां, गाय, कुत्ते व घोड़े आदि भी देखते है सपने

सपनों का मनोविज्ञान प्रारम्भ से ही मनुष्य के लिए कौतूहल का विषय रहा है. दार्शनिकों, वैज्ञानिकों मनोचिकित्सकों ने अपने-अपने ढंग से इसकी व्याख्या की है. सपना आज भी शोध का रोचक विषय बना हुआ है. उसे अचेतन मन की भाषा मानते हुए भी अभी तक कोई निश्चित मत नहीं बन पाया है.हजारों वर्ष पहले यूनान के दार्शनिक हिप्पोक्रेटस का मानना था कि नींद के बाद आत्मा बॉडी से निकलकर यहां-वहां घूमती है. उस स्थिति में वह जो देखती या सुनती है, वही स्वप्न है. प्लेटो ने अपनी पुस्तक ‘टाइमिमस’ में स्वप्नों को दैहिक एवं मानसिक लक्षणों की अभिव्यक्ति के रूप में बताया है.अरस्तु ने लिखा है कि मनुष्य ही नहीं, भेड़, बकरियां, गाय, कुत्ते  घोड़े आदि भी सपने देखते हैं.
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स्वप्नों की पृष्ठभूमि में भी कहीं यथार्थ की परछाई रहती है. कई बार सपने बीते हुए कल तथा आने वाले कल की ओर इशारा करते हैं. पश्चिमी मनोविज्ञानी कार्लजुग ने एक छात्रा का उल्लेख किया है, जिसे सपने में मृत्यु का पूर्वाभास हो जाता है. वह देखती है कि वह मर चुकी है  कक्षा चल रही है. उसके पास कई मृत सहेलियां अगली बेंच पर बैठी हैं. कक्षा का वातावरण बहुत शांत  गंभीर है. उसे आभास होता है कि वह स्वयं शिक्षक है  मरने के तुरंत बाद लोगों को अपने ज़िंदगी का वृतांत सुना रही है.अन्य लोग चाव से सुन रहे थे. बाद में उसका यह स्वप्न सत्य साबित हुआ.

‘स्लीप एंड ड्रीम्स’ में श्री अरविंद एवं श्री मां ने एक यात्री का उदाहरण दिया है, जिसे सपने में चेतावनी मिलती है. यात्री एक होटल में ठहरता है. स्वप्न में वह एक वेटर को उसकी अर्थी की ओर संकेत करता है  अंदर प्रवेश करने के लिए कहता है. प्रातः काल कमरे से बाहर आते समय उसे वही लड़का दिखता है. वैसे ही कपड़ा पहने हुए लिफ्ट की ओर इशारा कर रहा था. यात्री जब लिफ्ट की ओर जाने ही वाला था कि आकस्मित लिफ्ट टूट गई  उसमें सवार सभी लोग मारे गए. स्वप्न विश्लेषक जे आरब्लैंड ने प्रसिद्ध शासक नौशेर खां के ऐसे ही एक सपने का जिक्र किया है.

नौशेर खां ने सपने में देखा कि वह सोने के पात्र में मदिरा पान कर रहा है. उसी पात्र में एक काले कुत्ते ने भी शराब पी. उसने अपने मंत्री बुजुरमिहिर को अगले दिन बुलाकर स्वप्न सुनाया  विश्लेषण चाहा.मंत्री ने जो विश्लेषण बताया, उसके अनुसार उसकी प्रिय रानी के पास कोई काला दास है, वह उसका प्रेमी है. यह बात अंततः सही निकली.

गौतम बुद्ध के जन्म से पूर्व उनकी माता महामाया ने स्वप्न देखा था कि छह दांतों वाले हाथी ने उनके बॉडी में प्रवेश किया है. स्वप्नशास्त्रियों ने इसकी व्याख्या करते हुए बताया था कि जन्म लेने वाला शिशु या तो चक्रवर्ती सम्राट होगा या महान संत. भविष्य में यह बात सत्य हुई. महावीर के ज़िंदगी में अस्थिग्राम के शूलपाणि मंदिर में रात के अंतिम प्रहर में देखे गए ऐतिहासिक स्वप्न का उल्लेख है.महावीर ने स्वप्न में पिशाच की मौत, सफेद पंछी, कोयल, फूलों के दो हार, बैल, कमल के फूलों का सरोवर, समुद्र, रवि की किरणें, बांहों में लिपटा पर्वत तथा मेरु पर्वत की चढ़ाई देखी. उसी गांव के ज्योतिषी ने नौ स्वप्नों का विश्लेषण किया  बताया था. दो फूलों के पराजय वाले एक स्वप्न का विश्लेषण महावीर ने स्वयं बताया था कि यह गृहस्थ  संन्यास दोनों में विश्वास जगाने का बोध है.

वैज्ञानिक आविष्कारों एवं साहित्यिक रचनाओं में सपनों की किरदार को देखा जा सकता है. नील वोहर की परमाणु संरचना  फ्रेडरिक द्वारा बेन्जाइन की रसायन रचना की खोज इसके उदाहरण हैं.हेनरी फेहर के अनुसार, सृजनशील आदमी सपनों में अपनी समस्याओं के निवारण खोजते हैं.पटकथा लेखक जेम्स कैमरून ने स्वप्न से प्राप्त संकेतों के आधार पर ही अर्नाल्ड श्वार्जनेगर की प्रसिद्ध एक्शन फिल्म ‘द टर्मीनेटर’ की स्क्रिप्ट लिखी थी. यह कहना उचित ही है कि सपनों का दुनिया जगत में अस्तित्व के गहन आश्चर्य  निवारण समेटे हुए है. जरूरत है समझने  समाधानों के रचनात्मक उपयोग की, जिससे कि यह मात्र कौतूहल एवं आश्चर्य भर न रहकर ज़िंदगी की गुत्थियों को हल कर लेने वाला एक सशक्त माध्यम बन सके.