स्वप्नों की पृष्ठभूमि में भी कहीं यथार्थ की परछाई रहती है. कई बार सपने बीते हुए कल तथा आने वाले कल की ओर इशारा करते हैं. पश्चिमी मनोविज्ञानी कार्लजुग ने एक छात्रा का उल्लेख किया है, जिसे सपने में मृत्यु का पूर्वाभास हो जाता है. वह देखती है कि वह मर चुकी है व कक्षा चल रही है. उसके पास कई मृत सहेलियां अगली बेंच पर बैठी हैं. कक्षा का वातावरण बहुत शांत व गंभीर है. उसे आभास होता है कि वह स्वयं शिक्षक है व मरने के तुरंत बाद लोगों को अपने ज़िंदगी का वृतांत सुना रही है.अन्य लोग चाव से सुन रहे थे. बाद में उसका यह स्वप्न सत्य साबित हुआ.
‘स्लीप एंड ड्रीम्स’ में श्री अरविंद एवं श्री मां ने एक यात्री का उदाहरण दिया है, जिसे सपने में चेतावनी मिलती है. यात्री एक होटल में ठहरता है. स्वप्न में वह एक वेटर को उसकी अर्थी की ओर संकेत करता है व अंदर प्रवेश करने के लिए कहता है. प्रातः काल कमरे से बाहर आते समय उसे वही लड़का दिखता है. वैसे ही कपड़ा पहने हुए लिफ्ट की ओर इशारा कर रहा था. यात्री जब लिफ्ट की ओर जाने ही वाला था कि आकस्मित लिफ्ट टूट गई व उसमें सवार सभी लोग मारे गए. स्वप्न विश्लेषक जे। आर।ब्लैंड ने प्रसिद्ध शासक नौशेर खां के ऐसे ही एक सपने का जिक्र किया है.