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बलात्कारी संत के पीछे तो जिम्मेदार है सभ्य समाज

राजेश श्रीवास्तव

गुरमीत राम रहीम की गिरफ्तारी के बाद एक बार फिर सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर कैसे इस तरह के दुराचारी संत इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा कर लेते हैं। बात चाहे राम रहीम की हो, या आसाराम की, या रामपाल की या फिर रामवृक्ष की। यह सभी वह नाम हैं जिन्होंने राम नाम की चादर ओढ़ कर आम आदमी की आस्था को लूटा। आखिर एक-दो दिनों में तो नहीं खड़ी हो गयी इनकी हैसियत, इनका अरबों-खरबों का साम्राज्य। अगर गौर किया जाये तो इन सबके पीछे का सच कुछ भी परोसा जाए लेकिन जिम्मेदार हम और आप ही हैं। धर्मभीरू समाज इन कथित बाबाओं के चंगुल में फंसकर अपना पाप धोने के लिए इनके आगे अपना सर्वस्व न्यौछावर करने को तैयार रहता है।

समर्पण इस दर्जे का कि अगर पीडिèता अपने परिवार से कहे तो वह भी विश्वास न करे और अपनी ही बेटी का विरोधी हो जाए। यह कैसी आस्था है। क्यों हम अपने बीच के एक अपराधी को धर्म की चादर ओढ़ कर अपने आसपास ऐसा आवरण खड़ा कर लेने का मौका मुहैया करा देते हैं कि आने वाले भविष्य में वह हमारे लिये ही मुसीबत का सबब बन जाए। सभ्य समाज पता नहीं कब सीख्ोगा। हमें इसे समझने के लिए पता नहीं कितनों की कुर्बानी देनी होगी। चार रामों ने तो हमारा इतना नुकसान किया जितना एक कलियुगी रावण ने नहीं किया था। ये राम तो रावण से कई गुना पापी निकल गये।

बाब राम रहीम की अब जब पर्तें खुलने लगी हैं तो पता चला कि उसने सिर्फ दो साध्वियों से नहीं, बल्कि 65 लड़कियों से दुष्कर्म किया। ये वे लड़कियां रहीं, जिन्हें उनके अंधभक्त परिवार ने बाबा की सेवा के लिए डेरे में रखा था। बाबा राम रहीम का डेरा अय्याशी का अड्डा था। बाबा का मन जिस साध्वी पर आ जाता था, उसी को हवस का शिकार बनाते थे। जब कोई साध्वी विरोध करती थी तो उसका ब्रेनवॉश करते थे। कहते थे कि तुमने तो डेरे में आते समय तन-मन और धन सतगुरु को समर्पण का वचन दिया था।

मैं ही तो खुदा हूं, लाओ अपना तन अब मुझे सौंप दो। फिर भी अगर कोई साध्वी उनके बहकावे में नहीं आती थो रिवॉल्वर के दम पर बलात्कार करते थे। एक बार बलात्कार के बाद साध्वियों को बंधक बना लिया जाता था। बाबा के गुर्गे उनकी कड़ी निगरानी करते थे। किसी से बात भी नहीं करने देते थे। सीबीआई ने जब पीड़ित साध्वी को खोज निकाला तो उसने बताया कि कुल 65 लड़कियों के साथ डेरे में बलात्कार हुआ था। हालांकि सीबीआई अन्य पीडिताओं को नहीं तलाश पाईं।

क्योंकि बाकी बाबा के खिलाफ कुछ बोलने से डरतीं थीं। सिर्फ दो महिलाएं ही बयान दे पाईं। जिसके कारण बाबा के खिलाफ मामला तय हुआ। बाबा गुरमीत सिह के खिलाफ यौन शोषण के मामले की शुरुआत एक गुमनाम खत से हुई थी। अकेले राम रहीम ने ऐसा नहीं किया है हम आसाराम और रामपाल की भी रंगीन कहानी खूब टीवी और अखबारों पर देख और पढ़ चुके हैं। लेकिन पता नहीं सभ्य समाज कब जागेगा और कब हम इस तरह के बाबाओं को खड़े होने, पलने और बढ़ने का मौका देना बंद करेंगे।