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नोटबंदी के राजनीतिक फायदे भुनाने में कामयाब रहे मोदी, और बढ़ा कद

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी वाले ऐलान को आज एक साल पूरे हो गए हैं. मोदी के इस कदम से देश की अर्थव्यवस्था को क्या फायदे- नुकसान हुए और काले धन पर कितनी लगाम लगी, इस पर चर्चा हो रही है और पक्ष-विपक्ष इसपर सबकी अपनी-अपनी राय है. लेकिन एक बात साफ है कि मुश्किलों के बावजूद आम जनता ने जिस तरह से नोटबंदी के फैसले का सपोर्ट किया उससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राजनीतिक कद काफी बढ़ गया है. इस फैसले से मोदी काले धन के खिलाफ लड़ाई में खुद को योद्धा साबित करने में सफल रहे. हालांकि इस लड़ाई में उन्हें कितनी जीत मिली ये बहस का विषय है.

नोटबंदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सबसे साहसिक फैसला कहा जा सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि इसका देश के तकरीबन हर व्यक्ति पर सीधा असर होना था. ऐलान के शुरुआती दिनों में आम लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ी. बैंकों की लाइनों में लोगों ने तकलीफ सहीं, एटीएम सेंटर के बाहर रात गुजारीं, पुलिस की लाठियां भी खाईं, लेकिन पीएम मोदी की मंशा पर कोई बड़ा सवाल नहीं खड़ा किया. जिन विपक्ष दलों ने इस मुद्दे पर पीएम को व्यक्तिगत रूप से घेरना चाहा उन्हें जनता का समर्थन नहीं मिला. ममता, केजरीवाल की इस मुद्दे पर हुई रैलियों में जुटी गिनी-चुनी भीड़ इसका सबूत है. आम लोगों का यही विश्वास पीएम मोदी का कद बढ़ाने में मददगार रहा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के फरमान को लोगों ने काले धन, भ्रष्टाचार और नकली नोटों को अर्थव्यवस्था से खत्म करने के कदम के रूप में देखा. हालांकि इन मुद्दों पर नोटबंदी से कोई बहुत उल्लेखनीय उपलब्धि नहीं हासिल हुई लेकिन इसके बाजवूद ज्यादातर लोगों का मानना है कि नोटबंदी सही और जरूरी कदम था लेकिन उसे लागू करने को  लेकर या तैयारियों के स्तर पर सरकार से कुछ चूकें हुईं.

नोटबंदी से लोगों में एक संदेश गया कि प्रधानमंत्री कठोर कदम उठाने से गुरेज नहीं करते. क्योंकि जिस समय नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था, तो राजनीतिक जानकारों का मानना था कि नरेंद्र मोदी ने इस फैसले को लेकर अपना राजनीतिक नुकसान कर लिया है. लेकिन नोटबंदी के बाद हुए चुनावों में जिस तरह से लोगों ने बीजेपी को वोट दिए उससे साफ है कि ये राजनीतिक जानकार गलत थे और वो जनता का मूड भांपने में विफल रहे.

आम खास सब बराबर

नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी से आम जनता में ये संदेश गया कि मोदी के राज में आम हों या खास, सब बराबर है. बैंकों की लाइन में खड़े मजदूर इस बात से खुश थे कि उन्हें थोड़ी मुश्किल जरूर हुई लेकिन उनका मालिक या साहूकार ज्यादा परेशान है. एक तरह से अमीरों को हुई दिक्कत गरीबों को लिए संतोष बन गई जिसका फायदा मोदी को हुआ क्योंकि आम जनता का उनमें विश्वास बढ़ा.

कालेधन और आतंकियों को झटकानोटबंदी के अपने ऐतिहासिक ऐलान के वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि ये फैसला कालेधन, भ्रष्टाचर और आतंकवादी संगठनों पर लगाम लगाने के लिए है. भले ही इस संबंध में अभी कोई ठोस आंकड़े सामने नहीं आए हैं, लेकिन इसका असर जरूर दिखा है. इसे देश की अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता आई है और कालेधन पर कुछ हद तक नियंत्रण दिखा. यही वजह थी कि मोदी के नोटबंदी के फैसले को देश की जनता का भरपूर सहयोग मिला. क्योंकि देश की आवाम भ्रष्टाचार और कालेधन से आजिज हो गई थी. बीजेपी ने भी इसे जन आंदोलन का रूप दिया, जिसे बाकायदा लोगों ने स्वीकार किया.