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दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच अधिकारों की लड़ाई, आज सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी दिल्ली की सत्तासीन आम आदमी पार्टी और उपराज्यपाल (एलजी) के बीच अधिकारों की खींचतान जारी है. एक तरफ उपराज्यपाल से खींचतान जारी है, तो दूसरी तरफ एक बार फिर दिल्ली सरकार अधिकारों के मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. सुप्रीम कोर्ट मंगलवार (17 जुलाई) को केंद्र और दिल्ली सरकार के अधिकारों के मामले पर सुनवाई करने वाली है.

इन मामलों पर दिल्ली सरकार ने दिया SC का रुख
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार ने याचिका दायर कर दिल्ली में अधिकारियों के तबादले का अधिकार केन्द्र की बजाय दिल्ली सरकार के पास होने की मांग की थी साथ ही एक और याचिका दायर कर दिल्ली की एंटी करपशन ब्रांच के अधिकार क्षेत्र का दायरा बढ़ाकर इसमें केन्द्र सरकार ले जुड़े मसलों पर भी कार्रवाई करने के अधिकार की मांग की थी, इन याचिकाओं पर यानि अधिकारों की जंग को लेकर दिल्ली सरकार VS उपराज्यपाल मामले में सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई होगी.

दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र के हक में सुनाया था फैसला
ये सभी याचिकाएं दिल्ली हाई कोर्ट के फ़ैसलों के ख़िलाफ़ दायर की गई थी, जिनमें हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार की इन मांगों को ठुकराते हुए फैसला केन्द्र सरकर के हक़ में सुनाया था. दरअसल, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने अनुच्छेद-239 एए पर व्याख्या की है लेकिन दिल्ली सरकार और केन्द्र सरकार के बीच अधिकारो को लेकर कई और मुद्दे सुप्रीम कोर्ट के सामने आए थे जिस पर अभी सुनवाई होनी बाक़ी रह गई थी.

21 मई 2015 को केंद्र ने दिया था नोटिफिकेशन
होम मिनिस्ट्री के 21 मई के नोटिफिकेशन जारी किया था. नोटिफिकेशन के तहत एलजी के जूरिडिक्शन के तहत सर्विस मैटर, पब्लिक ऑर्डर, पुलिस और लैंड से संबंधित मामले को रखा गया है. इसमें ब्यूरेक्रेट के सर्विस से संबंधित मामले भी शामिल हैं.

इस नोटिस के बाद केंद्र सरकार ने एक और नोटिस जारी किया था. यह नोटिस 23 जुलाई 2014 को जारी किया गया था. नोटिफिकेशन के तहत दिल्ली सरकार के एग्जेक्युटिव पावर को लिमिट किया गया है और दिल्ली सरकार के एंटी करप्शन ब्रांच का अधिकार क्षेत्र दिल्ली सरकार के अधिकारियों तक सीमित किया गया था. इस जांच के दायरे से केंद्र सरकार के अधिकारियों को बाहर कर दिया गया था.