नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर सरकार से भाजपा के पीछे हटने पर अब तमाम राजनीतिक पार्टियां अपनी-अपनी राय देने लगी हैं। महबूबा मुफ्ती ने भी सीएम पद से इस्तीफा दे दिया है जिसके बाद शाम पांच बजे पार्टी नेताओं की बैठक होनी है। खबर है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला राज्यपाल एनएन वोहरा से मिले हैं। शाम चार बजे नेशनल कॉन्फ्रेंस ने भी अपने नेताओं की बैठक बुलाई है। वहीं इस गठबंधन सरकार के टूटने पर शिवसेना ने कहा है कि पहले ही ये एक अनौपचारिक गठबंधन था। किसी भी तरह इसे राष्ट्रीय स्तर पर पहले से ही मजबूत नहीं माना जा रहा था। वैसे सूत्रों का कहना है कि आपरेशन ऑलआउट के चलते ये गठबंधन टूटा है, बता दें कि पीडीपी सीजफायर खत्म करने के लिए तैयार नही थी। पीडीपी अलगाववादियों से बातचीत की पक्षधर थी, जिससे भाजपा पर बड़ा दबाव था और इससे सरकार में शामिल भाजपा मंत्री बातचीत के विरोध में थे।
उधर कांग्रेस की तरफ देख रही पीडीपी को समर्थन मिलने में मुश्किल है। क्योंकि कांग्रेस चाहती है कि सूबे में राज्यपाल शासन हो। ऐसे में पीडीपी के लिए एकलौता चांस भी हाथ से निकलता दिख रहा है। पीडीपी का कहना है कि वो भाजपा के इस फैसले से चकित है क्योंकि इससे पहले उसे कोई ऐसे संकेत नहीं मिले जिससे उसे सरकार पर आने वाले इस संकट का पता चले। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने तो बीजेपी के इस फैसले पर खुशी जाहिर की है।
पीडीपी नेता नईम अख्तर ने महबूबा के इस्तीफे का ऐलान करते हुए कहा कि उन्हें भी कुछ ज्यादा समझ नहीं आ रहा है। पार्टी बैठक में ही बात होगी कि आगे क्या करना है। बता दें कि सूबे में विधानसभा की कुल 87 सीटें हैं, जिसमें पीडीपी के पास 28 और भाजपा के खाते में 25 सीटें हैं।
उधर विपक्ष की तिजोरी खंगालें तो नेशनल कॉन्फ्रेंस के पास 15 और कांग्रेस के पास 12 सीटें हैं। बात करें अन्य की तो उनके पास भी कुल मिलाकर 9 सीटें हैं। ऐसे में भाजपा के पीडीपी से समर्थन वापस लेने से पीडीपी की दूसरी पार्टी से सेटिंग की संभावना बन रही है लेकिन कांग्रेस ने इसमें कोई देरी नहीं की कि वो भी पीडीपी के साथ नहीं आना चाहती है। बीजेपी के बिना पीडीपी, एनसी और कांग्रेस के विधायकों को अगर मिला दें तब भी विधानसभा में बहुमत पूरा हो सकता है। तीनों के पास कुल 55 सीटें हो जाएंगी, जो बहुमत से काफी अधिक है।