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जाने बीजेपी किस गणित से बिगाड़ेगी लालू और अखिलेश का सियासी खेल

उत्तर प्रदेश और बिहार में सियासी नजरिए से सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के तौर पर यादवों को देखा जाता है। बिहार में जहां 14 फीसदी के करीब यादव हैं, वहीं उत्तर प्रदेश में 10 फीसदी के करीब यादवों की आबादी है। इसी जातिगत और सियासी आंकड़ों को नजर में रखते हुए भाजपा ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को बिहार से सियासी समीकरण साधने की कमान सौंपी है…

लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा ने अपने तरकश से वह तीर चल ही दिया, जिससे यूपी और बिहार की सियासत गरमा गई है। दरअसल भाजपा उत्तर प्रदेश और बिहार में अखिलेश और लालू यादव की सियासी गणित बिगड़ने के लिए मध्यप्रदेश के नए मुख्यमंत्री मोहन यादव को बिहार के दो दिवसीय दौरे पर भेज रही है। बिहार से यादवों को साधने की भाजपा की यह रणनीति न सिर्फ बिहार बल्कि उत्तर प्रदेश तक भी पहुंचेगी। फिलहाल यादवों के वोट से सरकार की दशा और दिशा तय होने वाले राज्यों में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के पहुंचने से सियासी तपिश बढ़ गई है। भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि जल्द ही मोहन यादव उत्तर प्रदेश में भी पहुंचेंगे। यूपी भाजपा की ओर से मोहन यादव को पश्चिम उत्तर प्रदेश में आने के लिए प्रस्ताव तैयार कर आला कमान से साझा किया गया है। वहीं उत्तर प्रदेश और बिहार में मोहन यादव के आने को लेकर समाजवादी पार्टी के नेताओं का मानना है कि उनके आने से उनकी पार्टी से जुड़े लोगों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

उत्तर प्रदेश और बिहार में सियासी नजरिए से सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के तौर पर यादवों को देखा जाता है। बिहार में जहां 14 फीसदी के करीब यादव हैं, वहीं उत्तर प्रदेश में 10 फीसदी के करीब यादवों की आबादी है। इसी जातिगत और सियासी आंकड़ों को नजर में रखते हुए भाजपा ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को बिहार से सियासी समीकरण साधने की कमान सौंपी है। मोहन यादव 18 और 19 जनवरी को बिहार के दौरे पर रहेंगे। जानकारी के मुताबिक इस दौरान वह कृष्ण चेतना मंच की ओर से एक कार्यक्रम में शिरकत करेंगे। कृष्ण चेतना मंच के सहसचिव दीपक यादव कहते हैं कि इस कार्यक्रम में यादव समुदाय से जुड़े सभी लोग शिरकत करने पहुंच रहे हैं। उन्होंने बताया कि यदुवंशियों को जोड़ने के लिहाज से यह एक गैर राजनीतिक कार्यक्रम किया जा रहा है। हालांकि सियासी गलियारों में चर्चा इसी बात की है कि ऐसे ही कार्यक्रमों के माध्यम से शुरुआत बिहार के यादवों को जोड़ने की की गई है।

सियासी गलियारों में कहा यही जा रहा है कि उत्तर प्रदेश और बिहार में यादवों अपने पाले में करने की भाजपा बड़ी प्लानिंग कर चुकी है। इसके लिए उन्होंने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को मैदान में उतारा है। दरअसल उत्तर प्रदेश और बिहार में यादव एक बड़े वोट बैंक के तौर पर सियासी दलों से जुड़े हैं। जिसमें बिहार में राजद के साथ और उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के साथ यादवों की मजबूत भागीदारी मानी जाती है। हालांकि भाजपा ने यादवों को अपने साथ जोड़ने के लिए पहले भी कई दांव चले हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश और बिहार में भाजपा को उतनी सफलता नहीं मिली है। ऐसे में ट्रंप कार्ड के तौर पर मोहन यादव को बिहार से यदुवंशियों के साथ अपना नाता जोड़ने और कार्यक्रमों में शिरकत करने का मुफीद मौका मान रही है।

जिस तरीके से अगले हफ़्ते मध्यप्रदेश के सीएम मोहन यादव की बिहार पहुंचने की प्लानिंग है, ठीक उसी तरह कुछ दिनों बाद उत्तर प्रदेश में भी उनकी एंट्री होगी। जनता पार्टी से जुड़े राजनीतिकारों का मानना है कि यादव समाज और अन्य सभी पिछड़ी दलों के लिए उनकी पार्टी लगातार काम करती रही है। पिछड़ों और यादवों की नुमाइंदगी करने के लिए उनके जनप्रतिनिधि भाजपा में हैं। यादवों के नेता के तौर पर केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव भाजपा में बड़े पद पर हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में योगी कैबिनेट में भी भाजपा ने यादव को मंत्री बनाया है। इसके अलावा लोकसभा, राज्यसभा और विधान परिषद जिला पंचायत में भी भाजपा की ओर से यादवों को अपने समुदाय का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है। भाजपा से जुड़े रणनीतिकारों का मानना है कि बिहार के बाद उत्तर प्रदेश में भी मोहन यादव की सभाएं आयोजित होंगी और अन्य कार्यक्रमों में भी वह शिरकत करेंगे।

दरअसल बीते कुछ समय से भाजपा लगातार यादव समुदाय को अपने पक्ष में करने के लिए प्रयास कर रही है। सियासी जानकार मानते हैं कि राजस्थान, मध्यप्रदेश और हरियाणा में बहुत हद तक यादवों को अपने पक्ष में भाजपा ने किया है। हरियाणा में भाजपा ने यादव समुदाय को साधने के लिए राव इंद्रजीत को अपना चेहरा बनाया है। वहीं, बिहार के नित्यानंद राय को केंद्र में महत्वपूर्ण मंत्रालय देकर यादवों को साधा है। मध्यप्रदेश में मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने उत्तर प्रदेश और बिहार के यादवों को साधने की तैयारी की है। यादव महासभा के टीडी यादव कहते हैं कि भाजपा के संसदीय बोर्ड में दो प्रमुख यादव नेता शामिल हैं। उनका कहना है कि यादव महासभा के अध्यक्ष रहे हरिमोहन सिंह यादव की पुण्यतिथि पर प्रधानमंत्री मोदी का शामिल होना यह बताता है कि किस तरह से भाजपा यादवों को अपने साथ जोड़ने की कवायद कर रही है।

उत्तर प्रदेश भाजपा ने बिहार के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मोहन यादव के कार्यक्रमों की योजना बनाई है। यूपी भाजपा से जुड़े एक वरिष्ठ पदाधिकारी बताते हैं कि इसके लिए उन्होंने आला कमान से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यादव के कार्यक्रमों की शुरुआत करने की बात कही है। उत्तर प्रदेश और बिहार में मोहन यादव के आने को लेकर समाजवादी पार्टी के नेताओं का मानना है कि उनके आने से समाजवादी पार्टी के वोट बैंक पर कोई असर नहीं पड़ने वाला। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पूर्व मंत्री राजेंद्र चौधरी कहते हैं कि उनके दल के साथ जो लोग जुड़े हैं, वह हमेशा उनके साथ आगे भी रहेंगे। किसी नेता के आने और न आने से उनकी पार्टी और उनकी पार्टी से जुड़े कार्यकर्ताओं और प्रदेश के लोगों पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला।