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जवान के पेट में बम रखने वाले नक्सलियों को 25-25 लाख, शहीदों को 5-10 लाख

रांची। दुर्दांत नक्सलियों के सिर पर जितना बड़ा इनाम, सरेंडर करने पर उन्हें उतना ही बड़ा तोहफा। झारखंड सरकार की तरफ से उन्हें जमीन, घर, नौकरी, शिक्षा और 25 लाख रु. तक बांटे जा रहे हैं। वहीं, देश के लिए जान देने वाले शहीदों के परिवार को सरकार महज 5 से 10 लाख रुपए और भरोसा ही दे रही है। जब शहीदों के गांव जाकर उनके घर वालों से पूछा गया कि राज्य सरकार ने अब तक आपके लिए क्या किया है। क्या नक्सलियों के लिए सरेंडर पॉलिसी ठीक है? तो जवाब सरकार को सोचने पर मजबूर कर देने वाला मिला। शहीदों के परिवारों में गुस्सा है, क्योंकि उनकी इकोनॉमिक कंडीशन आज भी अच्छी नहीं है।
दरअसल झारखंड सरकार ऑपरेशन ‘नई दिशा’ चलाती है, जिसमें वो नक्सलियों का सरेंडर करवाती है। यह ऑपरेशन 18 फरवरी 2008 को शुरू हुआ था। दो साल तक एक भी नक्सली ने इस स्कीम के तहत सरेंडर नहीं किया। 2010 से अब तक करीब 150 नक्सली सरेंडर कर चुके हैं। इनमें से 125 नक्सलियों ने नई दिशा के तहत सरेंडर किया। पिछले 7 साल में सरेंडर पॉलिसी पर राज्य सरकार ने 3.30 करोड़ रु. से ज्यादा खर्च किया है।
1. शहीद हवलदार प्रभु सहाय तिर्की: अप्रैल 2017 को करगिल एवलान्च में शहीद हुए।
झारखंड के इटकी का सेमरा गांव। शहीद प्रभु सहाय तिर्की के छोटे भाई जोन तिर्की बताते हैं कि राज्य सरकार ने दो किस्तों में 5 लाख दिए। ऐसा लगा कि भीख दे रहे हैं। पहले दो लाख रुपए फिर गांव वालों के विरोध के बाद 3 लाख रुपए और। भाभी सुचिता को दो बेटे हैं। इतने पैसे से उनका कितना फ्यूचर बनेगा। केंद्र सरकार ने नौकरी का ऑफर दिया है। भाभी उसके लिए सोच रही हैं, लेकिन राज्य सरकार की तरफ से कुछ और नहीं मिला। बच्चों की फीस भी नहीं माफ हुुई। निराशा होती है जब राज्य सरकार नक्सलियों को 15-15 लाख रुपए बांटती है। 6 अप्रैल 2017 को जब एवलान्च में प्रभु कई फीट नीचे तक बर्फ के साथ सरकते रहे। इसी दौरान उन्होंने वायरलेस से कमांड सेंटर पर एवलान्च की जानकारी दी। फिर 18 फीट अंदर दब गए। उनकी जानकारी से 2 जवानों की जान बचाई गई।
दुर्दांत हत्यारा कान्हू मुंडा
– सरेंडर : 16 फरवरी 2017
– सिर पर इनाम : 25 लाख
– सरकार ने दिए : 25 लाख
– कितने मामले दर्ज : 47
सबसे जघन्य अपराध
कान्हू मुंडा ने 2000 में बीडीओ प्रशांत लायक को किडनैप किया था। 2016 में कोकपाड़ा स्टेशन पर लाेकल ट्रेन में लूट भी की थी। पुलिसकर्मियों के घर की कुर्की करता था। मुसाबनी में सीआरपीएफ कैंप में बम लगाने जैसे गंभीर अपराध में भी शामिल रहा है ये दुर्दांत नक्सली।
2. शहीद सिपाही जावरा मुंडा: सितंबर 2016 को उड़ी हमले में शहीद हुए।
पढ़ाई और पानी से लेकर टॉयलेट तक के वादे झूठे
खूंटी का मेराल गांव। शहीद की पत्नी झिंगी ने बताया कि राज्य सरकार ने 10 लाख रुपए और कई भरोसे दिए थे। जिसमें बच्चों की मुफ्त पढ़ाई, घर तक पक्की सड़क, समाधि स्थल बनाना। यह सारे वादे भूल गई सरकार। शहीद की तीन बेटियां हैं। बड़ी 9वीं में है। उसकी पूूरी फीस देनी पड़ती है। मंझली चौथी कक्षा में है और छोटी नर्सरी में है। इनके स्कूलों ने अपनी तरफ से फीस माफ कर दी। पानी की दिक्कत है। दूसरों के नल से पानी मांगना पड़ता है। छह महीने पहले टॉयलेट के लिए एप्लिकेशन दिया था। अब तक नहीं बना। उड़ी के बेस पर जब आतंकियों ने तीन मिनट में 17 ग्रेनेड फेंके। तब वहां तैनात जावरा तुरंत अपने साथियों के साथ आतंकियों पर टूट पड़े थे। लगातार आतंकियों की तरफ फायरिंग करते रहे। इससे आतंकियों का ध्यान बंटा और उन्हें मारने में मदद मिली।
दुर्दांत हत्यारा बालकेश्वर
– सरेंडर : 14 जुलाई 2016
– सिर पर इनाम : 25 लाख
– सरकार ने दिए : 25 लाख
– कितने मामले दर्ज : 76+
सबसे जघन्य अपराध
जनवरी 2013 में लातेहार के कटिया में सीआरपीएफ जवान को मारकर उसके पेट में बम लगाने में शामिल था। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था। यही नहीं, रांची में पोस्टमार्टम हाउस को उड़ाने की भी साजिश में शामिल रहा है बालकेश्वर। इस नक्सली पर 76 से ज्यादा मामले भी दर्ज हैं।
3. शहीद सिपाही नैमन कुजूर: सितंबर 2016 को उड़ी हमले में शहीद हुए
गुमला जिले के उरू गांव के शहीद नैमन कुजूर की पत्नी वीणा तिग्गा कहती हैं कि 9 अप्रैल 2013 को हमारी शादी हुई थी। महज 21 साल की उम्र में ही वे शहीद हो गए। ऐसा लगता है, जैसे 10 लाख रु. देकर राज्य सरकार ने उनकी जान की कीमत अदा कर दी। अब तक हेल्थ कार्ड, डिपेंडेंट कार्ड या कैंटीन कार्ड नहीं बना। नौकरी भी नहीं मिली, घर भी नहीं है। मायके वाले तो रोज नहीं आएंगे। सास-ससुर बूढ़े हैं। बेटे को पढ़ाने के लिए रांची में एसबेस्टस के कमरे में रहती हूं। सरकार जिस तरह से नक्सलियों को सम्मान दे रही है, उसे देखकर लगता है कि यह सैनिकों और सुरक्षाकर्मियों का अपमान है। नैमन उड़ी आर्मी बेस में तैनात थे। जब आतंकियों ने हमला किया तो वे भी शहीद जावरा के साथ तैनात थे, लेकिन बेस के दूसरी तरफ। हमला हुआ तो उन्होंने तुरंत अपने साथियों के साथ काउंटर अटैक किया, लेकिन शहीद हो गए।
दुर्दांत हत्यारा कुंदन पाहन
– सरेंडर: 14 मई 2017
– सिर पर इनाम: 15 लाख
– सरकार ने दिए: 15 लाख
– कितने मामले दर्ज: 128
सबसे जघन्य अपराध
इंस्पेक्टर फ्रांसिस इंदवार का सिर काटा था इसने। डीएसपी प्रमोद कुमार की हत्या। पूर्व मंत्री रमेश सिंह मुंडा की हत्या और पांच करोड़ की लूट भी कर चुका है।
4. शहीद सिपाही कुलदीप लकड़ा:अप्रैल 2017 को करगिल के बटालिक सेक्टर में एवलान्च में शहीद हुए।
दो बेटियों की शादी करनी है पर शहीद की पत्नी के पास पैसे नहीं
मांडर का बिसाखटंगा गांव के शहीद कुलदीप लकड़ा के पिता जेवियर ने बताया कि राज्य सरकार ने दो किस्तों में पांच लाख रुपए दिए। पहली किस्त घर आकर दी थी। दूसरी किस्त ब्लॉक ऑफिस में बुलाकर दी थी। इसके बाद सरकार हमें भूल ही गई। न तो किसी के लिए मुफ्त शिक्षा की बात की, न ही नौकरी का आश्वासन दिया। पैसा भी ऐसे दिया जैसे बेइज्जती की जा रही हो। दो बेटियों की शादी करनी है। इतने पैसों में क्या होगा? यहां की सरकार तो अपराधियों को पैसा बांट रही है। जबकि शहीदों के परिजन बुरी हालत में हैं। बीमार रहता हूं, इसलिए खुद खेती भी नहीं कर पाता। कुलदीप की पहली पोस्टिंग थी। उसने कहा था कि बटालिक सेक्टर बहुत खूबसूरत है। एक दो बार पाकिस्तानी सीजफायर उल्लंघन का मुंहतोड़ जवाब भी दिया है। यहां रहना थोड़ा कठिन जरूर है लेकिन सबके साथ मजा आता है यहां ड्यूटी करने में।
दुर्दांत हत्यारा नकुल यादव
– सरेंडर : 04 मई 2017
– सिर पर इनाम : 15 लाख
– सरकार ने दिए : 15 लाख
– कितने मामले दर्ज : 144
सबसे जघन्य अपराध
विभिन्न जिलों के 35 बच्चों का अपहरण कर नक्सली बनाना। लोहरदगा के सेनहा थाना क्षेत्र में सीरियल ब्लास्ट, 11 पुलिसकर्मी शहीद, 60 जख्मी हुए थे।
5. शहीद लांस नायक बिहारी मरांडी: अप्रैल 2017 को करगिल के बटालिक सेक्टर में एवलान्च में शहीद हुए।
घोषणा हुई 5 लाख देने की, पर मिले केवल 2 लाख
पाकुड़ जिले के हिरणपुर ब्लॉक का रघुनाथपुर संथाली टोला। शहीद बिहारी के बड़े भाई प्रधान मरांडी ने बताया कि सीएम ने 5 लाख देने की घोषणा की थी। अब तक दो लाख ही मिले हैं। शेष तीन लाख के लिए डीसी ने बताया कि सरकार की ओर से उन्हें एेसी कोई सूचना नहीं। हमारे गांव में सड़क, अस्पताल और पानी की दिक्कत है। ये हो जाएं तो गांव का विकास हो, पर राज्य सरकार तो नक्सलियों को पैसा बांट रही है। जितनी जल्दी हो नक्सली सरेंडर पॉलिसी बदली जाए। यह बिल्कुल गलत है। गांव के युवा तो हथियार उठाने की बात कर रहे हैं। उनकी सोच गलत हो रही है। शहीद बिहारी 2002 में सेना में गए। चुनौतियों वाली जगह पर ही पोस्टिंग कराते थे। जब भी आतंकियों से या सीमापार से मुठभेड़ होती थी, उनकी बहादुरी की चर्चा उनके अफसर करते थे। कहते थे, सीमा पर हालात नॉर्मल हो जाए तो वे शादी करना चाहेंगे। जून में शादी होने वाली थी।”
दुर्दांत हत्यारा डिंबा पाहन
– सरेंडर : 07 जनवरी 2017
– सिर पर इनाम : 15 लाख
– सरकार ने दिए : 15 लाख
– कितने मामले दर्ज : 25 से 30
सबसे जघन्य अपराध
इंस्पेक्टर फ्रांसिस इंदवार की सिर काटकर हत्या की थी इस नक्सली ने। डीएसपी प्रमोद कुमार और पूर्व मंत्री रमेश सिंह मुंडा की भी हत्या की।