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जब भाषण पढ़ते वक्त कांप रहे थे सोनिया गांधी के हाथ

नई दिल्ली। कांग्रेस में आज से राहुल गांधी युग की शुरुआत हो गई है. अध्यक्ष के रूप में सोनिया गांधी के आखिरी भाषण के साथ ही कांग्रेस पार्टी की कमान राहुल गांधी के हाथों में आ गई. लेकिन बतौर अध्यक्ष अपने आखिरी भाषण में सोनिया गांधी ने जहां अपने अतीत के दर्द को उकेरा, वहीं राहुल को आशीर्वाद भी दिया.

सोनिया गांधी के भाषण की मुख्य बातें:

-राहुल मेरा बेटा है, उसकी तारीफ करना उचित नहीं लगता. पहले उन्होंने परिवार में हिंसा देखी, फिर राजनीति में उसने व्यक्तिगत हमले झेले, जिसने उन्हें और मजबूत और निडर बनाया है. मुझे राहुल की सहनशीलता पर गर्व है.

-सोनिया गांधी ने इस दौरान राजनीतिक तौर पर कांग्रेस पार्टी में बदलाव पर जोर दिया. उन्होंने अपने बयान में कहा कि कांग्रेस में सुधार की जरूरत है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को अपने अंतर्मन में देखकर आगे बढ़ना पड़ेगा और खुद को भी दुरुस्त करना पड़ेगा.

-सोनिया गांधी ने कहा कि देश में भय का माहौल है.  आज जितनी बड़ी चुनौती है, उतनी शायद पहले कभी नहीं थी. सोनिया ने कहा कि आज संवैधानिक मूल्यों पर हमला हो रहा है, लेकिन हम डरने वाले नहीं हैं.

-सोनिया ने ये भी कहा कि कांग्रेस का मकसद सत्ता या शोहरत नहीं है, बल्कि देश है. उन्होंने कहा कि अगर हम अपने उसूलों पर खरे नहीं उतरेंगे, तो आम जनता का साथ नहीं पाएंगे. ये नैतिक लड़ाई है, इसलिए हर त्याग और बलिदान के लिए तैयार रहना होगा.

-अपने भाषण में सोनिया गांधी ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी को भी याद किया. उन्होंने बताया कि इंदिरा की हत्या के बाद मैं अपने पति और बच्चों को राजनीति से दूर रखना चाहती थी. उन्होंने कहा कि मैं खुद भी राजनीति में नहीं आना चाहती थी, लेकिन इंदिरा और राजीव के बलिदान के लिए राजनीति में आई.

उन्होंने बताया कि जब इंदिरा की हत्या हुई तो मुझे मां खोने का गम हुआ. इंदिरा जी ने मुझे बेटी के रूप में अपनाया.

-सोनिया गांधी ने ये भी बताया कि जब उन्होंने अध्यक्ष पद संभाला तब पार्टी के चुनौतीपूर्ण वक्त था . जब मुझे अध्यक्ष चुना गया और मैंने पहला भाषण दिया तो मैं घबराई हुई थी, यहां तक कि मेरे हाथ कांप रहे थे.