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गुजरात नतीजे पर शिवसेना का तंज, कहा-‘बंदरों ने शेर को तमाचा जड़ दिया’

मुंबई। गुजरात चुनाव के परिणाम आने के बाद शिवसेना ने अपनी सहयोगी भाजपा पर तीखा हमला बोला है. शिवसेना ने कहा कि ‘गुजरात मॉडल हिल गया है’ और राज्य के चुनावी नतीजे तानाशाही शासन में यकीन रखने वालों के लिए ‘खतरे की घंटी’ है. शिवसेना ने मुखपत्र ‘सामना’ में लिखे गए एक संपादकीय में कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पाटीदार नेता हार्दिक पटेल को ‘बंदर’ कहकर उनका मजाक उड़ाया गया, लेकिन ‘इन बंदरों ने शेर को तमाचा जड़ दिया’.

गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के एक दिन बाद शिवसेना ने यह हमला किया है. भाजपा को इस बार 99 सीट मिली, जबकि 2012 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को 115 सीट मिली थी. कांग्रेस को पिछली बार 61 सीट मिली थी, जबकि इस बार 77 सीटें हासिल कर पार्टी ने अपने प्रदर्शन में सुधार किया. शिवसेना ने कहा कि भाजपा किसी तरह चुनावी परीक्षा पास करने में सफल हुई है, लेकिन दिखा ऐसे रही है जैसे उसे बहुत अच्छे नंबर मिले हों.

संपादकीय में कहा गया कि भाजपा ने गुजरात और हिमाचल में जीत जरूर हासिल की, लेकिन कांग्रेस भी हारी नहीं है. शिवसेना ने कहा, ‘कांग्रेस मुक्त भारत का सपना पूरा नहीं हो सका.’ पार्टी ने कहा कि गुजरात के चुनावी नतीजे ‘तानाशाही शासन में यकीन रखने वालों के लिए खतरे की घंटी है.’

संपादकीय में कहा गया, ‘भाजपा भले ही चुनाव जीत गई हो, लेकिन चर्चे तो राहुल गांधी की प्रगति के हैं. कहा जा रहा था कि गुजरात में भाजपा 150 से कम सीटें नहीं जीतेगी, लेकिन 100 सीटों तक पहुंचना भी उनके लिए मुश्किल हो गया.’ पार्टी ने भाजपा से कहा कि वह गुजरात में राहुल और हार्दिक के ‘जबर्दस्त प्रदर्शन’ पर गौर करे. पार्टी ने कहा कि गुजरात के 99 विधानसभा क्षेत्रों के लोगों ने मोदी का साथ दिया, लेकिन ‘राहुल गांधी-हार्दिक पटेल की जोड़ी’ ने 77 सीटों पर जीत हासिल की.

शिवसेना ने कहा कि कुछ लोगों ने राहुल और हार्दिक को भाजपा नेतृत्व की तुलना में ‘बंदर’ करार दिया, लेकिन ‘इन बंदरों ने शेर को तमाचा जड़ दिया है और खतरे की घंटी बजा दी है.’ पार्टी ने कहा, ‘मजाक उड़ाने के इस खेल में शामिल लोग अब ऐसा दिखा रहे हैं कि वे बहुत अच्छे नंबरों से पास हो गए, जबकि वह किसी तरह से परीक्षा में पास हो सके हैं.’

शिवसेना ने कहा, ‘विकास के गुजरात मॉडल के बारे में बहुत कुछ बोला गया, लेकिन अब वह हिल चुका है. हम कामना करते हैं कि 2019 के चुनाव तक यह धराशायी न हो जाए.