नई दिल्ली। कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस मिलकर सरकार बनाने जा रही है. 23 मई को कुमारस्वामी राज्य के सीएम के पद की शपथ लेंगे. खबर मिल रही है कि राज्य में मुख्यमंत्री को मिलाकर कुल 34 मंत्री होने की उम्मीद है जिसमें 20 कांग्रेस के जबकि मुख्यमंत्री को मिलाकर 14 मंत्री जेडीएस से होंगे. एनडीटीवी से बातचीत करते हुए एचडी कुमारास्वामी ने कहा है कि कांग्रेस और जेडीएस के बीच सरकार चलाने को लेकर एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम होगा. हालांकि बारी-बारी से सीएम बनने के फॉर्मूले को सिरे से खारिज कर दिया है. लेकिन देश की राजनीति में गठबंधन की सरकारों का अनुभव बहुत अच्छा नहीं रहा है. न्यूनतम साझा कार्यक्रम के तहत बनने वाली सरकारें बाद में ‘सौदेबाजी’, ‘निजी स्वार्थों’ और वैचारिक मतभेदों के चलते धराशाई हो गईं. अब ऐसे में कर्नाटक में सरकार का भविष्य क्या होगा ये देखने वाली बात होगी. चुनाव में 38 सीटें पाने वाली जेडीएस के नेता एचडी कुमारस्वामी मुख्यमंत्री होंगे, 78 सीटें पाने वाली कांग्रेस समर्थन देगी और उसके कोटे से उप मुख्यमंत्री होगा.
बिहार में नहीं चला गठबंधन
साल 2015 में बिहार में मजबूत विपक्ष की एकता के बड़े मिसाल बने महागठबंधन (जेडयू+आरजेडी+कांग्रेस) ने विधानसभा चुनाव में धमाकेदार जीत दर्ज की लेकिन मुश्किल से डेढ़ साल ही बीते होंगे कि जेडीयू नेता और सीएम नीतीश कुमार ने खुद ही इस्तीफा दे दिया और बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली. महागठबंधन बनने से पहले नीतीश कुमार ने 15 साल तक बीजेपी के साथ गठबंधन में रहे और दो बार मुख्यमंत्री का कार्यकाल पूरा किया. लेकिन नरेंद्र मोदी को पीएम बनाने के मुद्दे पर वह बीजेपी से अलग हो गये और आजेडी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी.
यूपी में जब मिले मुलायम-कांशीराम और गेस्ट हाउस कांड
1992 में मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी बनाई थी. एक साल बाद हुए विधानसभा चुनाव में कुल 425 सीटों में से सपा को 109 और बसपा को 67 सीटें मिली थीं, बीजेपी को 177 जीतकर बड़ी पार्टी बनी थी. चुनाव में जीत के बाद एक नारा भी बहुत प्रचलित हुआ था ‘मिले मुलायम कांशीराम, हवा में उड़ गए जय श्रीराम’. लेकिन जल्द ही बसपा का सपा से मोहभंग हो गया और समर्थन वापस ले लिया. इसी बीच बीजेपी ने राज्यपाल को चिट्ठी दी गई कि अगर मायावती सरकार बनाती हैं तो वह समर्थन देगी. इन्हीं घटनाक्रमों के मायावती अपने विधायकों के साथ गेस्टहाउस में बैठक कर रही थीं तभी सपा के कुछ कथित कार्यकर्ताओं ने उन पर हमला कर दिया जिसे गेस्ट हाउस कांड के नाम से जाना है. मुलायम सिंह की सरकार अल्पमत आकर गिर गई. तब बीजेपी की ओर से नारा दिया गया- ‘लड़े मुलायम-कांशीराम, जोर से बोलो जय श्री राम’
बसपा-बीजेपी का गठबंधन
मायावती पहली बार जून, 1995 में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन तोड़कर भाजपा एवं अन्य दलों के बाहरी समर्थन से मुख्यमंत्री बनीं थीं और तब उनका कार्यकाल महज चार महीने का था. वह दूसरी बार 1997 और तीसरी बार 2002 में मुख्यमंत्री बनीं और तब उनकी पार्टी बसपा का भाजपा के साथ गठबंधन था. लेकिन किसी भी बार कार्यकाल पूरा नहीं हो पाया.
एचडी कुमार-येदियुरप्पा का भी हुआ था गठबंधन
येदियुरप्पा पहली बार 12 नवंबर, 2007 को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने थे. सीएम बनने के बाद आठवें ही दिन 19 नवंबर, 2007 को उन्हें पद छोड़ना पड़ा था. गठबंधन सरकार में हुए समझौते के अनुसार मुख्यमंत्री पद पर दोनों दलों के नेताओं को बराबर-बराबर वक्त तक सीम पद पर रहना था. समझौते के तहत येदियुरप्पा ने जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी को फरवरी, 2006 में मुख्यमंत्री बनवा दिया था, लेकिन जब अक्टूबर, 2007 में येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री बनने का वक्त आया, तो कुमारस्वामी समझौते से मुकर गए. येदियुरप्पा के दल ने समर्थन वापस ले लिया, और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया.
दिल्ली में ‘आप’ को लाई कांग्रेस
दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में आम आदमी पार्टी ने पहली बार कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनवाई. लेकिन ये देश की एक अजीबो-गरीब गठबंधन की सरकार की थी. जहां समर्थन देने वाले और लेने वाले दलों के नेता पहले ही दिन से एक दूसरे को चुनौती दे रहे थे. कांग्रेस के विधायकों के दम पर आप ने सरकार बनाई थी लेकिन इस सरकार का हाल भी सबने देखा.