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क्या मॉनसून सत्र में मोदी सरकार के खिलाफ आएगा अविश्वास प्रस्ताव?

नई दिल्ली। संसद का मॉनसूत्र सत्र अगले हफ्ते 18 जुलाई से शुरू हो रहा है. सबसे बड़ा सवाल इस सत्र को लेकर यही उठ रहा है कि क्या इसमें मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है? पिछले बजट सत्र में विभिन्न विपक्षी दलों की ओर से कई बार अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया गया लेकिन एक बार भी यह प्रस्ताव सदन में रखा नहीं जा सका. इस सत्र में अगर हंगामा थमा और विपक्षी दलों ने एकजुटता दिखाई तो अविश्वास प्रस्ताव लाकर इस पर बहस और वोटिंग कराई जा सकती है.

टीडीपी और कांग्रेस इस बात के संकेत दे चुकी हैं कि वह इस प्रस्ताव को सत्र के दौरान सदन में ला सकती हैं. आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा न देने से नाराज टीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस ने बजट सत्र में कई बार यह प्रस्ताव लाने की कोशिश की थी. इसके अलावा कांग्रेस, टीआरएस, एनसीपी समेत कई विपक्षी दल बीते सत्र में अविश्वास प्रस्ताव लाने की विफल कोशिश कर चुके हैं.

टीडीपी अब भी नाराज

बजट सत्र के दूसरे हिस्से में टीडीपी ने जोर-शोर से आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग उठाई थी. यही वजह रही कि राज्यसभा में सिर्फ 45 घंटे तक कामकाज हो सका जबकि 124 घंटे हंगामे की भेंट चढ़ गए. इस बार भी टीडीपी अपनी मांगों को उठाने के लिए तैयार है. राज्यसभा में टीडीपी नेता वाई. एस. चौधरी ने कहा कि हमारी मांगें अभी पूरी नहीं हुई हैं, ऐसे में शांत बैठने का तो सवाल ही नहीं है. उन्होंने कहा कि बीते बजट सत्र की तरह इस सत्र में भी हम अपनी मांगों को उठाएंगे.

चौधरी से जब पूछा गया कि क्या इस बार भी टीडीपी संसद में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी? इस पर उन्होंने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में विपक्षी दलों को किसी भी रूप में अपना विरोध दर्ज कराने का अधिकार है, हम फिर से अविश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं.

कांग्रेस ने कसी कमर

कांग्रेस की ओर से भी मॉनसूत्र सत्र में केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के संकेत दिए गए हैं. कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि ऐसे कई मुद्दे हैं जिनपर सामूहिक रूप से फैसला लिया जा सकता है. सिंघवी ने कहा कि सरकार को किस तरह घेरेंगे, यह अभी नहीं कहा जा सकता, लेकिन हम जनहित से जुड़े कई मुद्दों पर सरकार को किनारे करने को तैयार हैं.

सिंघवी ने कहा कि जम्मू कश्मीर, कमजोर अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी, किसान, भ्रष्टाचार से जुड़े कई मुद्दे हैं जिनपर सरकार को संसद में जवाब देना होगा. इसलिए सरकार को इन सभी मुद्दों पर अविश्वास प्रस्ताव के लिए तैयार रहना चाहिए, लेकिन यह एक सामूहिक फैसला होगा.

प्रस्ताव लाने की प्रक्रिया

सदन में जो भी दल अविश्वास प्रस्ताव लाना चाहता है पहले उसे स्पीकर को इसकी लिखित सूचना देनी होती है. इसके बाद स्पीकर उस दल के किसी सांसद से इसे पेश करने के लिए कहते हैं. लेकिन यह तभी स्वीकार किया जाता है जब प्रस्ताव को कम से कम 50 सांसदों का समर्थन हासिल हो. सदन में इसपर  चर्चा हो सकती है और फिर वोटिंग कराई जा सकती है या समर्थन करने वाले सांसदों को खड़ा कर उनकी गिनती की जा सकती है.

आमतौर पर यह प्रस्ताव सरकार को गिराने के मकसद से लाया जाता है जब कोई सरकार अल्पमत में आ जाती है. लेकिन इसका इस्तेमाल सरकारों को घेरने और चेतावनी स्वरूप भी किया जाने लगा है. बीते दिनों में कई प्रस्ताव ऐसे भी आए जब सरकार के पास पर्याप्त आंकड़े थे और उसे कोई खतरा नहीं था.

मोदी सरकार के मौजूदा आंकड़ों से भी जाहिर है कि उसे इस प्रस्ताव से कोई खतरा नहीं है. बीजेपी के पास इस वक्त बहुमत के आंकड़े 272 से एक सीट कम है लेकिन इसमें एनडीए के साझीदारों को शामिल कर लिया जाए तो यह संख्या काफी हो जाती है.