नई दिल्ली। भाजपा नेतृत्व का मानना है कि बेशक वह कर्नाटक में सरकार बनाने से चूक गए, लेकिन कांग्रेस और जदएस के अंतर्विरोध से 2019 में भाजपा को फायदा होगा।
-येद्दयुरप्पा की सरकार गिरने के कारणों पर मंथन के लिए तीन दिवसीय कार्यशाला में बोले भाजपा नेता
भगवा पार्टी उन स्थितियों पर विचार कर रही है जिनके चलते बीएस येद्दयुरप्पा को त्यागपत्र देना पड़ा। अहम कारण यह रहा कि पार्टी सात अतिरिक्त विधायकों का जुगाड़ नहीं कर सकी। एक नेता का कहना है कि बेशक हम एक लड़ाई हार गए, लेकिन निर्णायक युद्ध का नतीजा हमारे पक्ष में रहने वाला है। उनका इशारा 2019 के चुनाव पर था। उनका कहना था कि कर्नाटक में सरकार बनाने का फैसला दो कारणों पर आधारित था। पहला यह कि हमने माना कि जनमत भाजपा के पक्ष में गया है और दूसरा दक्षिण भारत में विजय पताका फहराने के लिए जरूरी है कि कर्नाटक में जीत हासिल की जाए।
गौरतलब है कि इस राज्य के अलावा भाजपा दक्षिण के दूसरे सूबों में अपनी दमदार उपस्थिति कभी भी दर्ज नहीं करा सकी है। पार्टी की कोशिश थी कि कर्नाटक में सरकार बनाने के बाद वह दक्षिण के दूसरे हिस्सों में दमदार तैयारी कर सकेगी।
पार्टी नेताओं का मानना है कि कांग्रेस व जदएस के नेता खुश तो हैं, लेकिन धरातल पर यह ज्यादा नहीं दिखने वाली। उनका मानना है कि दोनों ही पार्टियों को जमीनी स्तर पर एक दूसरे के कार्यकर्ताओं को साधना मुश्किल होगा। जबकि भाजपा के लिए फायदा यह है कि लिंगायत उसके पक्ष में ज्यादा तेजी से जुटेंगे तो ओल्ड मैसूर में भी उसकी जड़ें मजबूत होंगी। वोक्कालिंगा के बहुतायत वाले क्षेत्र में कांग्रेस व जदएस की दोस्ती बहुत से लोगों के गले के नीचे नहीं उतरेगी। यह हिस्सा जदएस का माना जाता है।