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आईएएस अफ़सरों की सबसे ताक़तवर लॉबी के ख़िलाफ़ होने के बावजूद योगी ने अनूप चंद्र पांडे को बनाया चीफ़ सेक्रेटरी

लखनऊ। ऐसा सालों बाद हुआ है इसीलिए कोई हैरान है तो कोई परेशान भी. यूपी के चीफ़ सेक्रेटरी राजीव कुमार अभी रिटायर भी नहीं हुए थे लेकिन इससे पहले ही उनके उत्तराधिकारी के नाम का एलान हो गया. ऐसा कभी कभार ही होता है. आपको याद होगा कि इसी साल जनवरी के महीने में डीजीपी को लेकर कितनी खींचतान मची थी. प्रधानमंत्री ऑफ़िस में दो हफ़्तों तक फ़ाइल पड़ी रही. जब योगी सरकार की इज़्ज़त पर बन आई तब जाकर ओपी सिंह के नाम का एलान हुआ.

अब आपको अंदर की खबर बताते हैं, अनूप चंद्र पांडे कैसे बने यूपी की ब्यूरोक्रेसी के नये बॉस? वो भी उस हालात में जब आईएएस अफ़सरों की सबसे ताक़तवर लॉबी उनके ख़िलाफ़ थी. सीएम योगी आदित्यनाथ के ऑफ़िस के कई अफ़सरों ने पांडे के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया था. सब अपने अपने तर्कों से मुख्यमंत्री को समझाने में लगे थे. पांडे को चीफ़ सेक्रेटरी बनाने पर नुक़सान का ब्यौरा बता रहे थे.

एक सीनियर आईएएस अफ़सर ने तो पांडे की एक झूठी रिपोर्ट योगी के सामने रख दी. एक और ताक़तवर आईएएस अधिकारी ने कहा, “पांडे को मुख्य सचिव बनाने से संदेश ठीक नहीं जायेगा, वे कई अधिकारियों से जूनियर हैं.” अफ़सरों की इस ताक़तवर लॉबी ने योगी को मनाने और समझाने के लाख जतन किए लेकिन योगी तो अपना मन पहले ही बना चुके थे. वे अपने फ़ैसले पर अड़े रहे, रत्ती भर भी टस से मस नहीं हुए.

बुधवार 27 जून को लोकभवन में कैबिनेट की मीटिंग थी. चीफ़ सेक्रेटरी राजीव कुमार को सबने विदाई दी. उन्होंने भी सब को हाथ जोड़ कर धन्यवाद किया. वे 30 जून को रिटायर हो रहे हैं लेकिन योगी आदित्यनाथ के सिवा किसी को नये मुख्य सचिव के नाम के बारे में भनक तक नहीं थी. कैबिनेट से बाहर निकलने से पहले उन्होंने दिल्ली में किसी को फ़ोन किया, फिर वे एक कार्यक्रम में चले गए. जब वे अपने ऑफ़िस लौटे तब तक उनके आदेश पर अमल हो चुका था. नियुक्ति विभाग से सरकारी आदेश जारी हो गया.

1984 बैच के आईएएस अधिकारी अनूप चंद्र पांडे चीफ़ सेक्रेटरी बना दिए गए. जब तक ये ख़बर सत्ता के गलियारों में पहुँचती. योगी मगहर के लिए रवाना हो चुके थे. इधर एनेक्सी भवन में सब पांडे को बधाई दे रहे थे.. उधर अफ़सरों की सबसे ताक़तवर लॉबी कोप भवन में जा चुकी थी. जब योगी लखनऊ वापस लौटे. तो एक बार फिर कुछ अफ़सरों ने उन्हें समझाने की कोशिशें की. कहा मुख्य सचिव बनाने के फैसले पर फिर से विचार करें. लेकिन योगी तो इस बार अंगद बन चुके थे. वे नहीं माने. योगी ने कहा जौ फ़ैसला कर लिया अब उस पर कोई बहस नहीं हो सकती है.

विपक्ष आरोप लगाता रहता है कि यूपी में एक दो नहीं, कई मुख्य मंत्री हैं. कहा जाता है कि फैसले दिल्ली में लिए जाते हैं.. ये तक आरोप लगा कि सीएम ऑफ़िस के अधिकारी भी उनकी पसंद के नहीं हैं. अफ़सरों की तैनाती में योगी आम तौर पर दखल नहीं देते हैं. लेकिन इस बार उन्होंने सबको चौंका दिया है. वक़्त से पहले ही अनूप चंद्र पांडे को चीफ़ सेक्रेटरी बनाने का फ़ैसला हो गया. योगी जानते हैं अगला लोकसभा चुनाव एक तरह से उनके लिए भी अग्नि परीक्षा है.